अगर बनना चाहते हैं क्रिकेटर तो शुभमन गील की इन बातों का रखें ध्यान- करीब 15-16 साल पुरानी बात है। मोहाली की पीसीए एकेडमी में गेंदबाजों को तैयार करने के लिए एक अच्छे बैट्समैन की तलाश चल रही थी। बीसीसीआई के लिए तेज गेंदबाज तैयार करने वाली एकेडमी के प्रभारी रहे पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी बल्लेबाज खोज रहे थे। एक दिन बारिश के कारण प्रैक्टिस बंद करनी पड़ी। तभी उन्होंने देखा कि कुछ बच्चे मैच खेल रहे हैं। उनमें से एक बच्चा सटीक शॉट खेल रहा था। उन्होंने दूर बैठकर मैच देख रहे शख्स से बच्चे के बारे में पूछा। वे शुभमन गिल थे। उन्होंने शुभमन के पिता लखविंदर से शुभमन को नेट्स पर भेजने के लिए कहा। नेट्स पर 11 साल के शुभमन अंडर-19 के बॉलर्स का सामना कर लगे। इस अभ्यास ने भविष्य के क्रिकेट स्टार की झलक दिखला दी थी।
यूथ क्रिकेट के डॉन ब्रैडमैन कहे जाते हैं गिल स्पाइडर मैन की ‘आवाज’ भी बन चुके हैं
शुभमन जब केवल 3 साल के थे तभी से टीवी पर क्रिकेट देखने लगे थे। हालांकि शुभमन का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा। पिता ने इनका दाखिला मोहाली स्टेडियम के पास एक एकेडमी में कराया। यहां शुभमन रोजाना सुबह 3.30 बजे उठते और 4 बजे एकेडमी पहुंच जाते। दिनभर अभ्यास करने के बाद वह शाम को घर लौटते थे। इसके बाद भी एकेडमी में शाम का सेशन देखने के लिए पिता के साथ पहुंच जाते थे। उनके पिता ने भी बहुत त्याग किया। शुभमन बताते हैं कि खेती-किसानी के लिए उन्हें मोहाली से फाजिलका अपडाउन करना पड़ता। उनके बारे में विराट कोहली ने कहा था ’19 साल की उम्र में मैं शुभमन के 10 फीसदी के बराबर भी नहीं था।’ शुभमन को गोल्फ खेलना पसंद है।
बचपन : पिता किसान थे, गिल खिलौनों की जगह बैट मांगते थे
शुभमन के दादा दीदार सिंह किसान थे। वे शुभमन के पिता लखविंदर को पहलवान बनाना चाहते थे, लेकिन लखविंदर को क्रिकेट पसंद था। पर वे क्रिकेटर नहीं बन सके। लखविंदर कहते हैं कि दूसरे बच्चे जहां खेलने के लिए खिलौने मांगते थे वहीं शुभमन बैट मांगता था। लखविंदर इन्हें 8 साल की उम्र में मोहाली ले कर चले गए। यहीं मोहाली क्रिकेट एकेडमी में दाखिला करा दिया।
करियर : 14 की उम्र में रिकॉर्ड साझेदारी, भारतीय टीम के उपकप्तान
शुभमन की प्रैक्टिस के लिए पिता खेत में मैदान बनवाकर वहां काम करने वाले युवाओं से बॉलिंग करवाते थे। आउट करने पर 100 रु. इनाम देते थे। शुभमन ने 14 की उम्र में अंडर-16 इंटर डिस्ट्रिक्ट कॉम्पीटिशन में 587 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की थी, जो कि एक रिकॉर्ड है। आईपीएल की टीम गुजरात टाइटन्स के कप्तान हैं जबकि चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए चुनी गई भारतीय टीम के उपकप्तान बनाए गए हैं।
क्रिकेट से अलग: एनिमेटेड फिल्म में आवाज भी दे चुके हैं शुभमन
क्रिकेट के मैदान पर चौके और छक्के लगाने वाले शुभमन गिल टीवी पर भी जलवा बिखेर चुके हैं। दरअसल 2023 में आई स्पाइडर मैन पर आधारित एनिमेडेट फिल्म ‘स्पाइडर-मैन-अक्रॉस द स्पाइडर वर्स’ के लीड कैरेक्टर पवित्र प्रभाकर के हिंदी और पंजाबी संस्करण में उन्होंने अपनी आवाज दी है। स्पाइडर मैन कैरेक्टर शुभमन को बेहद पसंद है।
जुनून : 8 की उम्र में दो घंटे प्रैक्टिस के बाद जाते थे स्कूल
क्रिकेट के इतने दीवाने थे कि दिनभर खेलते और रात को बैट सिरहाने रखकर सोते थे। मात्र 8 साल की उम्र में सुबह 3.30 बजे उठकर 4 बजे से दो घंटे मैच की प्रैक्टिस करते, इसके बाद स्कूल जाते थे। अकेले होने पर दीवार का सहारा लेकर गेंद और बल्ले से प्रैक्टिस करते थे।
उपलब्धिः औसत के मामले में विराट कोहली से भी आगे
50 या अधिक मैच खेल चुके बल्लेबाजों में शुभमन का औसत सर्वाधिक है। उन्होंने 60.16 की औसत से रन बनाए हैं। 57.93 की औसत के साथ विराट दूसरे नंबर पर हैं। वनडे में सबसे तेज 2500 रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने केवल 50वें मैच में यह उपलब्धि हासिल कर ली है।
खासः अंडर-19 वनडे मैचों में 100 की औसत से रन बनाए
2017 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद उन्हें युथ क्रिकेट का डॉन ब्रैडमैन कहा जाने लगा। उन्होंने 5 पारियों में 372 रन बनाए। • अंडर-19 वनडे मैचों में उन्होंने 100 की औसत से रन बनाए हैं। कुल 16 मैचों में उन्हें 15 बार बैटिंग का मौका मिला। इसमें 104.45 की औसत से 1,149 रन बनाए।
सिम वाला पहला फोन बनाया, 40% बाजार पर था नोकिया का कब्जा, अब 1% से भी कम
नेल्सन मंडेला एक असेंबली में भाषण दे रहे थे। तभी एक फोन बज उठा। नोकिया ट्यून सुनकर मंडेला मुस्कराकर बोले, यह धुन कितनी खूबसूरत है। हर किसी को जोड़ती है। उस समय नोकिया ट्यून इतनी प्रसिद्ध थी कि इसे रोज करीब 180 करोड़ बार दुनिया में सुना जाता था। 1998 से 2012 तक नोकिया दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी थी। 1989 में नोकिया ने ही दुनिया का पहला सिम वाला फोन बनाया था। 2008 में 40% मोबाइल बाजार पर इसका कब्जा था।
अब 1% से भी कम हिस्सेदारी है। फोन इतने मजबूत थे कि 3310 मॉडल को लोगों ने ‘अमर फोन’ तक कहा। 90 के दशक में, प्रिंसेस डायना को जब नोकिया का फोन गिफ्ट किया गया तो उन्होंने इसे ‘फैशन एक्सेसरी’ के रूप में दिखाया था। फोन पकड़े हुई उनकी तस्वीर ने इसे शाही प्रतिष्ठा का प्रतीक बना दिया। एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स तक नोकिया से प्रभावित थे। वे कहते थे, ‘नोकिया ने मोबाइल फोन को आम लोगों के लिए सुलभ बनाया है’। परंतु स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम अपनाने जैसे निर्णयों में देरी ने इसे पीछे कर दिया। आज ब्रांड से सबक में पढ़िए नोकिया की कहानी।
5जी पेटेंट पर ध्यान, चांद पर 4जी नेटवर्क लगा रही
नोकिया ने 2014 में मोबाइल कारोबार माइक्रोसॉफ्ट को बेच दिया था। अब कंपनी भविष्य की योजनाओं के तहत 5जी टेक्नोलॉजी, इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स और वैश्विक साझेदारियों के जरिए तकनीकी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। कंपनी ने 5जी तकनीक में 7000 पेटेंट विकसित किए हैं। इसके अलावा नोकिया इंट्यूटिव मशीन्स के साथ मिलकर चांद पर 4जी नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई है। यह प्रोजेक्ट इसी साल नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इसका उद्देश्य चांद पर अपना 4जी नेटवर्क उपलब्ध कराना है।
शुरुआत : कागज बनाने वाली कंपनी ने नींव रखी
फिनलैंड के इंजीनियर फेड्रिक इदेस्तैम ने अपने मित्र नियो मैकलिन के साथ 1871 में नोकिया शहर के पास एक कंपनी स्थापित की। इसका नाम रखा ‘नोकिया ऐब’। कंपनी ने कागज, टायर, रबर, जूते चप्पल व भारी मशीनरी जैसे उत्पाद बनाए। 1967 में 3 कंपनियों नोकिया ऐब, रबर वर्क्स और केबल फैक्ट्री को मर्ज कर नोकिया की स्थापना हुई।
गलती : शीर्ष नेतृत्व में बदलाव ने कंपनी को डुबोया
2006 में कंपनी ने ओली-पेक्का कल्लास्वुओ को जोरमा ओलिल्ला की जगह सीईओ बनाया। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार ओली बिजनेस को लेकर रूढ़िवादी नजरिया रखते थे, जो अक्सर नए प्रोडक्ट और टेक विचारों को खारिज कर देते थे। उन्होंने इनोवेशन पर ध्यान न देकर अपने स्मार्टफोन और फीचर फोन को ही मजबूत करने का फैसला लिया
ऐसे पड़ा नाम नोकिया
नोकिया ने बाद में फोन बनाने वाली नोकिया-मोबिरा ओवाई नाम से अलग कंपनी बनाई। यही नोकिया मोबाइल बनी।
सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी
2007 में एपल कंपनी ने आईफोन लॉन्च किया। यह टच स्क्रीन मोबाइल फोन था, जो नोकिया का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी बना
ऐसे नोकिया बना लीडर
- मजबूत और यूजर फ्रेंडली- उसका नारा ‘कनेक्टिंग पीपुल’ दुनियाभर में मशहूर हुआ। नोकिया फोन को चलाना आसान था। नोकिया के 3310, 1100 जैसे फोन मजबूती के लिए जाने गए।
- इनोवेशन पर फोकस पॉलिफोनिक रिंगटोन,
- एसएमएस, स्नेक गेम जैसे इनोवेशन, मनोरंजन फोन में जोड़े। सबसे पहले शुरुआती इंटरनेट एक्सेस (WAP) की सुविधा फोन में शुरू की।
- हर वर्ग के लिए प्रोडक्ट कंपनी ने प्रीमियम फोन्स से लेकर सस्ते और बेसिक फोन तक हर तरह के ग्राहकों के लिए बनाए। इस वजह से, कंपनी बड़े से लेकर छोटे देशों तक के बाजारों में लीडर बनी।
- मजबूत डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क- 150 देशों में नोकिया के मोबाइल थे। भारत, अफ्रीका और एशिया जैसे उभरते बाजारों में इसकी मजबूत पकड़ थी। स्थानीय भाषाओं के हिसाब से मार्केटिंग की।
ऐसे बाजार से बाहर हुआ
- टचस्क्रीन तकनीक में देरी 2007 में एपल ने टचस्क्रीन वाला आईफोन लॉन्च किया, लेकिन नोकिया ने काफी समय तक कीपैड फोन पर ध्यान केंद्रित रखा। टचस्क्रीन को देर से अपनाया।
- पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पुराने सम्बियन
- ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता, जो धीरे-धीरे आउटडेटेड हो गया। यह आईओएस व एंड्रॉयड जैसी आधुनिक व यूजर-फ्रेंडली तकनीक में पिछड़ा।
- एंड्रॉयड को अपनाने का मौका खोना-नोकिया ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की जगह विंडोज फोन ओएस चुना। इसमें सीमित एप और कमजोर डेवलपर सपोर्ट था जो लोकप्रिय नहीं हुआ।
- धीमा इनोवेशन- नए बदलावों में बहुत पीछे रह
गया। जब सैमसंग जैसे ब्रांड ने तेजी से एंड्रायड को अपनाया और एपल आईफोन में लगातार इनोवेशन लाता रहा, तब नोकिया ने ध्यान नहीं दिया
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