कम पैसा लगाकर बनाए करोड़ों का बिजनेस – भारतीय स्टार्टअप जगत में पीयूष बंसल (40) कार्की मशहूर नाम है। उनकी कंपनी लेंसकार्ट के चश्मे आज पूरे भारत में काफी पसंद किए जाते हैं। फिलहाल पीयूष बंसल चर्चा में हैं। हाल ही में 31 अक्टूबर को उनकी कंपनी का आईपीओ लॉन्च हुआ है। इससे उनकी कंपनी की वैल्यूएशन 70 हजार करोड़ रुपए हो गई है। पीयूष ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। जानते हैं उनकी संघर्ष से सफलता की कहानी
रिसेप्शनिस्ट रहे, 5 स्टार्टअप फेल हुए, अब हैं आईवियर किंग
पीयूष बंसल का जन्म 26 अप्रैल 1985 को दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पिता बाल किशन बंसल बिजनेसमैन थे और मां किरण गृहिणी। डॉन बॉस्को स्कूल से पढ़ाई करने वाले पीयूष का सपना आईआईटी में जाने का था। लेकिन जेईई में फेल हो गए। पीयूष की निराशा को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन्हें कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी भेज दिया। यहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। लेकिन यहां की जिंदगी आसान नहीं थी। विदेश में अकेले, सीमित पैसे के साथ पीयूष को पार्ट-टाइम जॉब करना पड़ा
संघर्ष : हाई पैकेज नौकरी छोड़ी, शुरुआती स्टार्टअप भी फेल हुए
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद पीयूष ने कई कंपनियों में नौकरी के लिए अप्लाई किया। यहां तक कि पैसों की कमी और खर्च के लिए उन्होंने रिसेप्शनिस्ट की नौकरी तक की। इसी बीच पीयूष ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में भी अप्लाई किया। लगातार दो बार अप्लाई करने के बाद पीयूष का माइक्रोसॉफ्ट में चयन हुआ। हालांकि यहां भी उन्हें काम में सुकून नहीं मिल रहा था तो हाई पैकेज की नौकरी छोड़ वह 25 लाख रुपए की सेविंग्स लेकर 2008 में भारत लौटे। अपने घर के बेसमेंट में उन्होंने ‘सर्च माई कैंपस नाम’ से पहला स्टार्टअप शुरू किया लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद ‘फ्लायर’ नाम से यूएस में एक आईवियर साइट बनाई, लेकिन वह भी चल नहीं पाई। इसी तरह पीयूष के 3 और स्टार्टअप भी असफल हो गए।
शुरुआत: गैरेज में ऑफिस खोला अब है बड़ी आईवियर रिटेलर कंपनी
2010 में पीयूष ने पूरा फोकस आईवियर वेबसाइट लेंसकार्ट पर लगा दिया। इसके लिए उन्होंने एक गैरेज में अपना ऑफिस शुरू किया और शुरुआत में कॉन्टैक्ट लेंस बेचे। लगातार इनोवेशन, खुद की प्रोडक्शन यूनिट, वर्चुअल कंसल्टेशन, डिजिटल बुकिंग, क्विक डिलीवरी मॉडल जैसे कदमों से कंपनी तेजी से बढ़ी। आज लेंसकार्ट भारतीय बाजार के साथ-साथ कई अन्य देशों में भी मौजूद है और देश की सबसे बड़ी आईवियर रिटेलर कंपनियों में शामिल है।
सफलता : 600 करोड़ रुपए नेटवर्थ, देशभर में 2700 से ज्यादा स्टोर्स
2019 में लेंसकार्ट यूनिकॉर्न बनी थी। यही नहीं पीयूष चर्चित शो शार्क टैंक में भी जज बने थे। उन्हें फोर्ब्स की ‘बेस्ट 40 अंडर 40 आंत्रप्रेन्योर’ की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। लेंसकार्ट के देशभर में 2700 से ज्यादा स्टोर हैं। वहीं पीयूष बंसल की नेटवर्थ 600 करोड़ रुपए है। 2 मिनट रीड
8-12 लाख के निवेश से शुरू करें ई-बाइक रेंटल बिजनेस
शहरों में रोजमर्रा की आवाजाही के साधनों में बड़ा बदलाव आ रहा है। सस्टेनेबल ई-बाइक और स्कूटर रेंटल हब का विजनेस तेजी से बढ़ रहा है। कॉलेज कैंपस, पर्यटन स्थलों और भीड़-भाड़ वाले शहरी इलाकों के पास इस सेवा की डिमांड बढ़ रही है। यह उन के लिए परफेक्ट है जो ग्रीन फ्यूचर में निवेश करना चाहते हैं। मार्केट रिसर्च फर्म मॉरडोर इंटेलिजेंस के अनुसार, वर्ष 2025-2030 के बीच इसके सालाना 12.17% कम्पाउंडेड रेट से बढ़ने का अनुमान है। अभी देश में इसका बाजार 64 करोड़ रुपए का है।
शुरुआती निवेश
| 10 ई-स्कूटर | 8 लाख |
| डॉकिंग/चार्जिंग स्टेशन, ऐप, जीपीएस | 1.5–2 लाख |
| बीमा, लाइसेंसिंग, मार्केटिंग | 50 हजार – 1 लाख |
| वर्किंग कैपिटल | 1 लाख |
| कुल निवेश | 10–12 लाख |
- व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन लेना होगा और ई-बाइक का बीमा करना होगा।
- पार्किंग के लिए सुरक्षित जगह (जैसे कॉलेज कैंपस या मेट्रो स्टेशन के पास) की आवश्यकता।
- ग्राहकों के लिए एक यूजर-फ्रेंडली मोबाइल एप होना सबसे जरूरी है
यह बिजनेस 8 से 12 लाख के शुरुआती निवेश से शुरू किया जा सकता है, जो फ्लीट के आकार और इन्फ्रा पर निर्भर करता है। ग्राहक एक एप के माध्यम से ई-बाइक या ई-स्कूटर किराये पर लेते हैं और इसे पूर्व निर्धारित डॉकिंग स्टेशन पर वापस करते हैं। यह पूरा सिस्टम टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिससे ऑपरेशन सुरक्षित हो जाता है।
शुरुआत में 1 लाख रु. तक कमाई संभव
शुरुआती चरण में (लगभग 10 ई-स्कूटर के साथ), प्रति माह 75 हजार से 1 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। बिजनेस स्थापित हो जाने के बाद, फ्लीट का आकार बढ़ने और सिस्टम के पूरी तरह से ऑटोमेटेड होने पर, यह कमाई 1.5-2 लाख रु. महीना या इससे अधिक तक पहुंच सकती है।
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