दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना भारत | एक व्यक्ति पर मात्र इतना जमीन पानी और भोजन:-ऐतिहासिक डेटा, नीतियों और बदलावों से जानिए बीते 75 सालों में भारत की आबादी कैसे बदली और देश के संसाधनों में हर व्यक्ति की कितनी हिस्सेदारी है|
भारत की जनसंख्या यात्रा: 1947 से अब तक… 10 बिंदुओं में समझिए
एक स्टेशन, रोज 10 लाख यात्री
पश्चिम बंगाल का हावड़ा रेलवे जंक्शन भारत में सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। यहां से रोज 1000 से अधिक ट्रेनों की आवाजाही होती है। प्रतिदिन 10 लाख से अधिक यात्रियों को यह स्टेशन संभालता है।
अब हर परिवार में औसतन 2 से कम बच्चे
1) 1947: आजादी और पहली बार आबादी पर चर्चा
आजादी के समय भारत की आबादी लगभग 33 करोड़ थी। जीवन प्रत्याशा केवल 32 वर्ष थी। विभाजन के बाद शरणार्थी, खाद्य व चिकित्सा व्यवस्था का बड़ा संकट था। टर्निंग पॉइंट : तब पहली बार स्वास्थ्य और शिक्षा को एक राष्ट्रीय लक्ष्य के रूप में देखा गया। जनसंख्या नीति जैसी कोई ठोस योजना नहीं थी।
2) 1951: पहली जनगणना और संकट के बारे में पता चला
1951 में पहली जनगणना में जनसंख्या लगभग 36 करोड़ तक पहुंच गई। देश को अपने जनसंख्या पैटर्न की असली तस्बीर मिली।
टर्निंग पीईट : सरकार को पहली बार अंदाजा हुआ कि बहुत अधिक थीं, जिससे जनसंख्या की वृद्धि सीमित थी। वृद्धि बहुत तेज है। लेकिन जन्म दर और मृत्यु दर दोनों
3) 1952 : पहला राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम
भारत ने विश्व का पहला सरकारी रूप से मान्यता प्राप्त परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया। मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर घटाना और जागरूकता बढ़ाना था। टर्निंग पॉइंट: यह पहल भले धीरे चली हो, लेकिन इससे नीति-स्तर पर सरकार की जनसंख्या विषयक प्रतिबद्धता शुरु हुई।
4) 1961-1971: आबादी विस्फोट, 10 साल में 10 करोड़ लोग बढ़े
1961 में जनसख्या 43.9 करोड़ थी। यह 1971 तक 10 करोड़ बढ़कर 54.8 करोड़ हो गई। मृत्यु दर दर में में गिरावट गिरावट इसका मुख्य कारण थी। जन्मदर भी बहुत अधिक थी। टर्निंग पॉइंट: 10 साल में करीब 10 करोड़ की वृद्धि ने निर्माताओं को चौंका दिया। यह दौर जनसंख्या नीति विस्फोट’ के रूप में देखा गया।
5) 1976: पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का मसौदा
आपातकाल से पहले सरकार ने पहली बार जनसंख्या नीति बनाई। उद्देश्य दो बच्चों का आदर्श परिवार, कम उम्र में शादी की रोकथाम, नसबंदी जैसे उपाय करना था। टर्निंग पॉईटः जनसंख्या नीति का मसौदा आया, लेकिन उसका क्रियान्वयन आपातकाल की राजनीतिक परिस्थितियों में उलझ गया।
6) 1975-77: आपातकाल और जबरन नसबंदी अभियान
नसबंदी को जबरदस्ती लागू किया गया। 1976-77 में ७० लाख से अधिक पुरुष नसबंदी की गई। सामाजिक अविश्वास और सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा। टर्निंग पॉइंट जनसंख्या नीति को दमन का हथियार’ माना जाने लगा, जिससे आगे की योजनाओं में रुकावट आई। 1975 में सालाना वृद्धि 2.29% हुई।
7) 1978-1994 : स्वैच्छिक और जागरूकता आधारित योजनाएं
इस दौरान स्वैच्छिक नसबंदी पर जोर रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला-केंद्रित दृष्टिकोण सामने आया। ‘हम दी, हमारे दो’ जैसे जन अभियान चलाए गए। टर्निंग पॉइंट इससे साक्षरता, टीकाकरण और प्रसब स्वास्थ्य में सुधार हुआ। स्वास्थ्य सेवाओं और जनसंख्या नियंत्रण योजनाओं पर विश्वास लौटा।
8) 2000: नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति
इसका लक्ष्य 2010 तक प्रजनन दर को 2.1 तक लाना था। यानी पति-पत्नी की आबादी दो बच्चों से रिप्लेस हो। महिला शिक्षा और किशोर स्वास्थ्य पर जोर दिया गया। वर्ष 2000 में प्रजनन दर 3.35 और 2010 में 2.6 थी। टर्निंग पॉइंट इस नीति ने परिवार नियोजन को सशक्तीकरण से जोडा, विशेषकर महिलाओं के संदर्भमें। राज्यों को टारगेट दिए गए
9) 2010-2020: आबादी स्थिरीकरण के संकेत
इस दौरान अधिकांश राज्यों में प्रजनन दर 2.1 या उससे कम हो गई। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में इससे प्रजनन दर इससे नीचे भी चली गई। जीवन प्रत्याशा बढ़कर 69-70 वर्ष हुई।
टर्निंग पोइंट भारत जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर बढ़ने लगा। युवा जनसंख्या की विशालता को डेमोग्राफिक डिविडेंड के रूप में देखा जाने लगा
10) 2023-2025: सबसे बड़ी आबादी, सबसे बड़ी चुनौती
भारत चीन को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। जनसंख्या 146 करोड़ से अधिक हो गई है। बुजुर्ग आबादी, शहरीकरण, बेरोजगारी और पर्यावरण जैसी चुनौतियां हैं।
टर्निंग पॉइंट जनसंख्या अब ‘नियंत्रण’ का नहीं बल्कि प्रबंधन’ का विषय है। लक्ष्य है कि आबादी को संसाधन के रूप में प्रयोग किया जा सके।
दुनिया की आबादी के महत्वपूर्ण तथ्य
सबसे ज्यादा आबादी 2022
में दुनिया में भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना था। अब आबादी 146 करोड़ से ज्यादा है। दूसरे नंबर पर चीन है, जहां की आबादी 141 करोड़ है।
सबसे कम आबादी 501
है होली सी (Holy See) की जनसंख्या। यह रोमन कैथोलिक चर्च का केंद्रीय शासकीय प्राधिकरण है। इसका संचालन वेटिकन सिटी से होता है।
धार्मिक मान्यताएं 31%
ईसाई हैं दुनिया की आबादी में। इसके बाद 23% मुस्लिम हैं। 16% खुद को नास्तिक मानते हैं। हिन्दुओं का प्रतिशत 15 है। शेष अन्य धर्मों को मानने वाले हैं
अब तक कितने जन्म 106
अरब लोग इस पृथ्वी पर जन्म ले चुके हैं मानव जाति की शुरुआत से अब तक। आज जो जनसंख्या जीवित है, वह अब तक जन्मे सभी मनुष्यों की 6% है।
घट रही है दर 0.85%
प्रति वर्ष है 2025 में विश्व जनसंख्या वृद्धि दर लगभग। दर घट रही है। 2015 में यह दर 1.25% प्रति वर्ष थी। 2020 में घटकर यह 0.97% रह गई थी।
ऐसे बढ़ेगी आबादी 1000
करोड़ होने का अनुमान है दुनिया की आबादी वर्ष 2060 तक। आबादी वर्तमान दर से बढ़ती रही तो 2037 में विश्व की आबादी 500 करोड़ हो जाएगी।
संसाधनों में आपका हिस्सा
हर व्यक्ति को कितनी जमीन, पानी और अन्न
जानिए हर भारतीय के हिस्से में कितनी जमीन, पानी, अन्न, दूध या वृक्ष आते हैं- ये आंकड़े केवल संख्याएं नहीं हैं, बल्कि भविष्य की स्थिरता, पर्यावरण संतुलन और जीवन गुणवत्ता का संकेत हैं। यह जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।
प्रति व्यक्ति पानी 135 लीटर
भारत में हर साल 3,880 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी वर्षा से मिलता है। इसमें से 1999 बिलियन क्यूबिक मीटर ही उपलब्ध होता है व हम 699 बिलियन क्यूबिक मीटर ही उपयोग कर पाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति दैनिक पेयजल मानक 135 लीटर प्रति दिन है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह 55 लीटर प्रति दिन है।
अन्न हर माह 17 किलोग्राम
सालाना अनाज उत्पादन 300-308 मिलियन टन (मुख्यतः चावल-गेहूं) है। 2023-24 में उत्पादन 308 मिलियन टन रहा था। पिछले तीन वर्षों का औसत लगभग 300 मिलियन टन है। मासिक प्रति व्यक्ति अन्न उपलब्धता (नेट) 17.3 किलोग्राम प्रति माह है, जबकि वार्षिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता 207.6 किलो है।
प्रति व्यक्ति दूध रोज 471 ग्राम
2022-23 में भारत का कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन था। यह आंकड़ा 2023-24 में रिकॉर्ड तोड़ते हुए 239.30 मिलियन टन तक पहुंच गया।
2023-24 में प्रति व्यक्ति दैनिक उपलब्धता 471 ग्राम थी। फिर भी 6 से 23 महीने की आयु के 40% बच्चे रोजाना दूध या दूध उत्पाद नहीं ले पाते।
प्रति व्यक्ति कृषि भूमि 1100 वर्ग मीटर
भारत की कुल कृषि योग्य भूमि 159 मिलियन हेक्टेयर ( 3.93 अरब एकड़) है। बीते दशकों में प्रति व्यक्ति कृषि भूमि में लगातार गिरावट आई है- 1950 में यह करीब 0.5 हेक्टेयर थी।
भारत की आबादी 1.4 अरब से भी अधिक हो चुकी है। हर भारतीय के हिस्से में केवल 0.11 हेक्टेयर (1100 वर्ग मीटर) कृषि भूमि आती है।
प्रति व्यक्ति 28 पेड़
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में लगभग 35 अरब पेड़ (3,500 करोड़) मौजूद हैं। अनुमान के अनुसार, पूरी दुनिया में लगभग 3 ट्रिलियन (3000 अरब) पेड़ हैं।
प्रति व्यक्ति औसतन 25-28 पेड़ उपलब्ध हैं। वैश्विक औसत अनुमानित रूप से 400-500 पेड़ प्रति व्यक्ति होता है।
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