दो भाइयों ने उधार के पैसे से शुरू किया डोमिनोज़ और आज इसकी कमाई 1.20 लाख करोड़:-दुनिया की सबसे बड़ी पिज़्ज़ा चेन में से एक डोमिनोज़ की शुरुआत इतनी साधारण थी कि आज की सफलता सुनकर यक़ीन करना मुश्किल होता है। आज इस ब्रांड की वैल्यू 1.20 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है, लेकिन इसके पीछे संघर्ष, जोखिम और लगातार सीखने की कहानी छिपी है।
दो भाइयों ने 500 डॉलर उधार लेकर शुरू की थी डोमिनोज, आज 1.20 लाख करोड़ रुपए की कंपनी
साल 2009, ब्रांड कीज नाम की मार्केट रिसर्च कंपनी ने अमेरिका में पिज्जा की क्वालिटी को लेकर एक सर्वे किया। इस सर्वे में डोमिनोज पिज्जा स्वाद के मामले में अमेरिकी पिज्जा कंपनियों में सबसे निचले पायदान पर रहा। तब इसे अमेरिका में सबसे खराब पिज्जा माना गया।
ग्राहकों ने कहा कि
डोमिनोज का पिज्जा कार्डबोर्ड जैसा है। सॉस घटिया हैं। कंपनी के तत्कालीन मुख्य मार्केटिंग अधिकारी ने ग्राहकों के सामने खुद स्वीकार किया कि उनकी पिज्जा क्वालिटी सच में खराब हो गई है।
एक समय तो कंपनी ने खुद के सर्वे में यह पाया कि
अगर डोमिनोज के पिज्जा को अगर नाम बदलकर लोगों को दिया जाए तो वे ले लेंगे, लेकिन डोमिनोज के नाम पर नहीं लेंगे। 2008 में इसके शेयर की कीमत अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर लगभग 2.20 डॉलर पर पहुंच गई। इसके चलते कंपनी का मार्केट कैप तब 20 करोड़ डॉलर से भी कम रह गया था
हालांकि कंपनी ने कभी हार नहीं मानी।
अपनी गलतियों से न केवल सीखा बल्कि खुद में आमूलचूल बदलाव भी किए। खुलेआम कमियों को स्वीकार किया। कंपनी को मिले नकारात्मक फीडबैक टीवी पर लोगों के सामने स्वीकारे। इसके बाद ऐसे रणनीतिक बदलाव किए कि दुनिया की नंबर वन पिज्जा कंपनी बन गई। आज ब्रांड से सबक में कहानी डोमिनोज पिज्जा की
वर्तमान स्थिति
90 से अधिक देशों में है डोमिनोज का कारोबार
डोमिनोज के वर्तमान में करीब 90 देशों में 21,000 से अधिक स्टोर्स हैं, जिनमें 6,800 स्टोर्स के साथ अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है। भारत इसका दूसरा बड़ा बाजार बन चुका है। यहां करीब 1,900 से अधिक स्टोर्स संचालित हैं। कंपनी अगले 5 साल में भारत में स्टोर्स की संख्या 4,000 करना चाहती है। वर्तमान में कंपनी का मार्केट कैप करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए है। डोमिनोज एआई से ऑर्डर, ड्रोन/रोबोटिक डिलीवरी जैसे तरीकों पर काम कर रही है
सबक क्यों:- 2009 में एक अमेरिकी मार्केट रिसर्च कंपनी ने स्वाद के मामले में निचले पायदान पर रखा था, पर आज लोगों की पसंदीदा ।
- 90 से अधिक देशों में कारोबार करती है डोमिनोज
- 21,500 से ज्यादा आउलेट्स हैं इसके दुनियाभर में
- 1996 में नई दिल्ली से भारत में की थी शुरुआत
- 1900 से ज्यादा स्टोर हैं डोमिनोज के भारत में इस समय
- अमेरिका के मिशिगन में डोमिनिक्स पिज्जा के रूप में डोमिनोज की शुरुआत हुई थी
ऐसे पिछड़ने लगी थी डोमिनोज
सिर्फ तेज डिलीवरी पर फोकस
डोमिनोज की यूएसपी थी ’30 मिनट या फ्री, पर वे क्वालिटी से ज्यादा स्पीड के पीछे भागने लगे। ग्राहकों को डिलीवरी तो जल्दी मिली, लेकिन स्वाद से समझौता हुआ। यही गलती ब्रांड के विरोध में गई।
ग्राहकों के विश्वास में गिरावट
2009 में नॉर्थ कैरोलाइना के एक स्टोर में दो कर्मचारियों ने एक घृणित हरकत करते हुए पिज्जा का वीडियो बनाकर वायरल किया। इससे छवि बेहद खराब हुई।
प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना
पापा जॉन्स, पिज्जा हट जैसे कई लोकल आउलेट्स ने इनोवेशन किए। क्वालिटी सुधारी, जो डोमिनोज पर भारी पड़ी।
तकनीक में कमजोर
2000 के दशक में ऑनलाइन ऑर्डर, डिजिटल मार्केटिंग जैसी टेक्नोलॉजी का दौर आया। डोमिनोज इस बदलाव में पिछड़ा, इसका सीधा असर ग्रोथ पर पड़ा।
इस तरह की वापसी
ईमानदार मार्केटिंग अपनाना
डोमिनोज ने पूरा सच दिखाने का जोखिम उठाया। ग्राहकों की शिकायतों को टीवी और वेब कैम्पेन में खुलेआम स्वीकारा। पिज्जा टर्नअराउंड डॉक्यूमेंट्री बनाई। प्रोडक्ट टेस्टिंग में ग्राहकों को शामिल किया, जो मिसाल बना।
हाई क्वालिटी सामग्री
ब्रांड ने क्रस्ट, सॉस और चीज सब पूरी तरह बदल दिए। हर कदम पर ग्राहकों की प्रतिक्रिया शामिल की। नई रेसिपी लॉन्च कर सिर्फ स्वाद नहीं, छवि भी आमूलचूल परिवर्तित कर ली।
टेक्नोलॉजी को अपनाना
ऑनलाइन ऑर्डर, मोबाइल एप्स, जीपीएस ट्रैकिंग और एआई आधारित डिलीवरी मॉडल से टेक-फर्स्ट फूड कंपनी बन गई।
केंद्र में ग्राहक वाला पोर्टफोलियो
कंपनी ने डेजी फ्लेवर, लोकल टेस्ट और वैरायटी को अपनाया। पराठा पिज्जा, फ्लेवर क्रस्ट, वीगन पिज्जा जैसे विकल्पों से तेजी से नए ग्राहक जोड़े।
पुरानी कार के बदले मिल गई थी डोमिनोज की आधी हिस्सेदारी
शुरुआत : अनाथालय में पले टॉम मोनाघन ने रखी थी इसकी नींव
1960 में अमेरिका के मिशिगन शहर के यप्सिलैंटी इलाके में दो भाइयों टॉम और जेम्स मोनाघन ने 500 डॉलर उधार लेकर एक पिज्जेरिया खरीदी। नाम रखा डोमिनिक्स। दरअसल टॉम अनाथालय में पले थे। उनके पास घर खर्च और कॉलेज फीस के भी पैसे नहीं थे। इसलिए पार्ट टाइम काम के रूप में इसे शुरू किया ताकि रात में काम कर दिन में पढ़ाई कर सकें।
ऐसे पड़ा नाम: स्टोर की संख्या बढ़ने पर एक कर्मचारी ने कहा क्यों न नाम डोमिनोज कर दें, जिसका अर्थ होता है श्रृंखला यानी हर स्टोर कड़ी की तरह जुड़े।
गिरावट: साल 2000 से बिगड़ने लगी थी डोमिनोज की छवि
2000 के दशक में डोमिनोज के सामने कई संकट उभरने लगे। ग्राहक क्वालिटी को लेकर लगातार शिकायत कर रहे थे। लोगों का कहना था कि पिज्जा का स्वाद खराब है। इसका बेस (क्रस्ट) कार्ड बोर्ड जैसा है और सॉस बेस्वाद है। कर्मचारियों ने 30 मिनट में डिलीवरी के प्रेशर में गुणवत्ता से समझौता किया। 2009 में फूड टेंपरिंग के एक वीडियो ने गहरी चोट पहुंचाई।
सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी: पिज्जा हट, पापा जॉन्स इंटरनेशनल, मैकडॉनल्ड्स, ला पिनोज, ओवनस्टोरी आदि इसके प्रमुख देशी-विदेशी प्रतिद्वंद्वी हैं।
राजामौली कभी संन्यासियों की तरह भगवा पहनते थे, कॉमिक्स पढ़ने का शौक, जानवरों से लगाव
28 अप्रैल 2017, फिल्म बाहुबली 2
द कंक्लूजन रिलीज हुई। हैरत की बात है कि इसकी एडवांस बुकिंग खुलने के 24 घंटे के अंदर ही 10 लाख से ज्यादा टिकट ऑनलाइन विक गए। यहां तक कि कई वेबसाइट क्रैश हो गई। यह करिश्मा था फिल्म के डायरेक्टर राजामौली का।
उनकी कार्यशैली ऐसी थी कि
उनकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई। राजामौली के परिवार के पास 360 एकड़ जमीन थी। उनके पिता और चाचा फिल्म मेकिंग को लेकर बहुत जुनूनी थे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दोनों ने जमीन का ज्यादातर हिस्सा बेच दिया और चेनई शिफ्ट हो गए।
दोनों ने कई फिल्में बनाई, लेकिन ज्यादातर फ्लॉप हो गई। इस कारण परिवार को आर्थिक दिक्कतों का इतना अधिक सामना करना पड़ा कि एक समय 13 लोगों के परिवार को 2 कमरों में रहना पड़ा।
2005 में एक साक्षात्कार में राजामौली ने बताया कि
वे टीवी के डायरेक्टर के रूप में रोज करीब 17 घंटे काम किया करते थे। हालांकि संघर्ष के इन दिनों के पहले वे काफी धार्मिक थे। एक साक्षात्कार में वे कहते हैं, ‘हमारे परिवार में सभी धार्मिक रहे हैं। धार्मिक उत्सुकता में मैंने धर्मग्रंथ पढ़ने शुरू किए, तीर्थ यात्राएं कीं। भगवा वस्त्र पहनकर कुछ वर्षों तक संन्यासी की तरह जीवन भी जिया।’ पर अब वे किसी धर्म को नहीं मानते।
उन्हें कहानियां और कॉमिक्स पढ़ने का शौक है। जानवरों से बेहद लगाव है। उन्होंने अपने फार्म हाउस में कई डॉग पाल रखे हैं। शहरी भीड़भाड़ से दूर रहना पसंद करते हैं।
चर्चा में क्यों- हाल ही में हैदराबाद के एक कार्यक्रम में उन्होंने हनुमानजी को लेकर टिप्पणी की है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
उनकी मां ने श्रीशैलम तीर्थ यात्रा के बाद सपना देखा। फिर बेटे को जन्म दिया। नाम रखा श्रीशैल श्री राजामौली।
- जन्म : 10 अक्टूबर 1973 (52) वर्ष), रायचुर, कर्नाटक
- शिक्षा : कॉलेज ड्रॉप आउट
- परिवार : पत्नी- रमा, बेटा- कार्तिकेय (रमा की पहली शादीसे), बेटी- मयूका (दत्तक)
- संपत्ति : करीब 1000 करोड़ रु. (विभित्र मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार)
शुरुआत
विरासत में मिली निर्देशन की कला
भाइयों राजामौली का जन्म कर्नाटक में वी. विजयेंद्र प्रसाद और राजनंदनी के घर हुआ था। विजयेंद्र दक्षिण के प्रसिद्ध स्क्रीन राइटर और डायरेक्टर हैं। उनके पिता 5 के साथ संयुक्त परिवार में रहते थे। उनकी दादी बचपन से ही उन्हें रामायण, महाभारत जैसे धर्मग्रंथों की जानकारी देती थीं। 7 साल की उम्र से उन्होंने अमर चित्र कथा पढ़ना शुरू कर दिया था।
विवाह
4 साल बड़ी, तलाकशुदा थीं राजामौली की पत्नी
राजामौली की प्रेम कहानी बेहद रोचक है। उनकी पत्नी रमा प्रसिद्ध संगीत निर्देशक एमएम कीरवानी की पत्नी श्रीवल्ली की छोटी बहन हैं। जब दोनों की मुलाकात हुई तो वे पहले से शादीशुदा थीं। उनका बेटा भी था। हालांकि तलाक का केस चल रहा था। साल 2000 में उनके तलाक के बाद 2001 में राजामौली ने उन्हें प्रपोज किया। इसी साल दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली।
करियर
पिता की डांट से बचने के लिए बन गए डायरेक्टर
एक दिन उनके पिता विजयेंद्र ने पूछा कि आखिर तुम करना क्या चाहते हो। तब उन्होंने डर से कह दिया कि वे डायरेक्टर बनना चाहते हैं। पिता ने उन्हें फिल्म संपादक कोटागिरी वेंकटेश्वर राव के पास भेज दिया। इसके बाद वे पिता को असिस्ट करने लगे। राजामौली ने करियर की शुरुआत विज्ञापनों और टीवी धारावाहिक के निर्देशक के रूप में की।
रोचक : 100 एकड़ के फार्म हाउस में रहते हैं, महंगी कारों का शौक
खास : जक्कन्ना उपनाम मिला है, जो निपुणता का प्रतीक है
- उन्हें ‘जक्कन्ना’ के नाम से भी जाना जाता है, जो कि मध्यकालीन मूर्तिकार जकत्रा के नाम पर है। दरअसल कुछ लोग मानते हैं कि वे भी अपने काम को किसी कुशल मूर्तिकार की तरह ही तराशते हैं।
- हैदराबाद में फरिस्ट थीम पर बार और एक रेस्टोरेंट खोला है।
उपलब्धि: 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 5 फिल्मफेयर पा चुके हैं
- राजामौली को कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जैसे उन्हें चार राष्ट्रीय फिल्म और 5 फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं।
- पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
- 2016 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री राजामौली 100 एकड़ के फार्म हाउस में रहतेहैं। 7 करोड़ की रेंज रोवर उनकी फेवरेट कार है।
रिकॉर्ड : 23 साल के करियर 12 फिल्में बनाईं, 11 हिट
- 23 साल के करियर में उन्होंने 12 फिल्में बनाई हैं, जिनमें 11 हिट रही हैं।
- बाहुबली-2 पहली भारतीय फिल्म थी, जिसने 1000 करोड़ रु. की कमाई का पायदान हुआ।
- 2022 में आई फिल्म आरआरआर ने भी 1000 करोड़ रु. से अधिक कमाए।
- यह कमाई फिल्म ने सिर्फ 16 दिनों में की थी।
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