डुग स्टॉक्स पर बढ़ रहा निवेशकों का भरोसा
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अगर आप हर महीने ₹100 रूपया यहाँ लगाएंगे तो – आने वाले समय में होगें करोडपति

अगर आप हर महीने ₹100 रूपया यहाँ लगाएंगे तो – देश में चिकित्सा खर्च तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में एक सही और पर्याप्त कवरेज बाला हेल्थ इंश्योरेंस होना जरूरी है। पॉलिसी लेते वक्त इस बात को समझना जरूरी है कि आपकी जरूरत के हिसाब से फैमिली फ्लोटर प्लान काम करेंगे या व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा। इसे समझाते हैं…

‘ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, यह आपके लिए स्टॉक्स में निवेश करने का सही समय हो सकता है।’ यह कहना है मॉर्गन स्टेनली इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट रिथम देसाई का। उन्होंने चैत्रई में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। हाल ही में बाजार में आई गिरावट पर उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती खपत, निजी उधारी और मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता देश को मजबूत स्थिति में रखती है। इसलिए मौजूदा गिरावट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। इस दौरान दर्शकों के बीच हल्की चर्चा भी सुनाई दी- ‘कौन से स्टॉक्स में निवेश करें?

कार्यक्रम के दौरान कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ड्रग स्टॉक्स अब नए सेफ हेवन बन रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों की वजह से महंगाई के जोखिम के साथ ही नए सिरे से मंदी की आशंका और चिंताएं भी बढ़ रही हैं। दुनियाभर के निवेशक स्थिर, नकदी पैदा करने वाली ऐसी कंपनियों की तलाश कर रहे हैं, जो स्थिर रिटर्न दें, अच्छा कैश जेनरेट करें और जिनकी वैल्युएशन उचित हो। फाइनेंस और एनर्जी सेक्टर के बाद हेल्थकेयर सेक्टर निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है। यह रियल एस्टेट, इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर स्टेपल्स सेक्टर से सस्ता विकल्प साबित हो रहा है।

बाजार में गिरावट के बावजूद कई फार्मा कंपनियों के शेयरों में 13% से 20% तक की बढ़त देखी गई। वहीं, अस्पताल ऑपरेट करने वाली कंपनियों के मुनाफे में भी जबरदस्त उछाल आया। यह तेजी उस सेक्टर के लिए बड़ा बदलाव है, जो पिछले कुछ वर्षों से पिछड़ रहा था। कई वर्षों से ठहरे ऐसे स्टॉक्स अब आगे बढ़ रहे हैं। कई साल के टैक मैनिया और राजनीतिक अनिश्चितता से प्रभावित रहने के बाद अब हेल्थकेयर सेक्टर को निवेशकों का भाटेगा मिल रहा है। इसकी वजह है मस्ती कीमत, स्थिर ग्रोथ और आर्थिक मंदी या सुस्ती के दौरान भी मजबूती बनाए रखने की क्षमता।

भारत में हेल्थकेयर सेक्टर 2020 से 2025 के बीच 22-25% की दर से बढ़ते हुए 372 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इस ग्रोथ का असर फार्मास्युटिकल सेक्टर पर भी दिखेगा। खासकर, सस्ती जेनरिक दवाओं की मांग बढ़ने से इस सेक्टर को मजबूती मिलेगी। बड़ी आबादी को किफायती इलाज उपलब्ध कराने की जरूरत इस ग्रोथ को और तेज कर सकती है। मैनेजमेंट टिपः वैश्विक अनिश्चितता के बीच हेल्थ सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर फिर से निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर की तेजी अब धीमी पड़ रही है और बड़ी फार्मा कंपनियां इसको जगह ले रही हैं। हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयर पहले ही उछाल मार चुके हैं, लेकिन वैल्यू इन्वेस्टर्स के लिए अभी भी कई अच्छे अवसर मौजूद हैं।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य बौमा में हर व्यक्ति के लिए अलग सम एश्योर्ड होता है। अधिकतम 6 लोग कबर होते हैं। उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और अन्य फैक्टर प्रीमियम तय करते हैं, जबकि फ्लोटर प्लान में पॉलिसी कवर सभी बीमित सदस्यों के बीच साझा होता है। इसमें प्रीमियम की गणना सबसे बड़े सदस्य की उम्र के आधार पर होती है। फैमिली फ्लोटर पॉलिसी में एक ही सदस्य एक बार में बड़ा क्लेम ले लेता है तो बाकी सदस्यों के लिए कवरेज घट जाता है।

अगर परिवार के सभी सदस्य 40 साल के भीतर और स्वस्थ हैं तो फ्लोटर पॉलिसी किफायती होती है। एक कपल (30 और 32 वर्ष) और उनके बच्चे (आयु 5) के लिए 10 लाख की बीमा राशि वाली व्यक्तिगत पॉलिसी की लागत (8,000-7,500 5,000) 20,500 सालाना हो सकती है। सभी के लिए 10 लाख रुपए कबर वाली फ्लोटर पॉलिसी की लागत 15 से 17 हजार रुपए होगी। यानी व्यक्तिगत पॉलिसी की तुलना में 25% किफायती।

चूंकि फ्लोटर का प्रीमियम सबसे बड़े सदस्य की उम्र पर आधारित होता हैं, इसलिए 60 को शामिल करने पर पॉलिसी महंगी हो जाती है। 35 वर्षीय दंपती के लिए फ्लोटर योजना की लागत सालाना 15,000 हो सकती है, लेकिन 65 वर्षीय माता-पिता को जोड़ने से यह 40 हजार या उससे अधिक तक पहुंच सकती है।

  • अगर परिवार में बुजुर्ग सदस्य हैं, जिनके बीमार पड़ने की ज्यादा आशंका है या कोई सदस्य पहले से ही किसी बीमारी की चपेट में है तो व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लेना सही है।
  • बड़े परिवारों (जैसे, 5 सदस्य) में, यदि एक ही वर्ष में कई लोगों को चिकित्ग देखभाल की आवश्यकता होती है तो फ्लोटर बीमा राशि पर्याप्त नहीं हो सकती है।
  • अगर परिवार में ज्यादा सदस्य हों तो स्वस्थ और युवा लोगों को फैमिली फ्लोटर प्लान में शामिल करना और जुजुगों के लिए व्यक्तिगत पॉलिसी लेना बेहतर होता है।
  • सीमित कवरेज। फैमली फ्लोटर पॉलिसी में नया सदस्य जुड़ने पर मेडिकल हिस्ट्री का वेटिंग पोरियड सभी के लिए रीसेट हो सकता है। • प्राथमिक पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में अन्य सदस्यों को अधिक उम्र (और लागत) पर नई पॉलिसी लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
  • फ्लोटर में 25 वर्ष की उम्र पार होते ही वे स्कीम से बाहर हो जाते हैं। यदि हर साल अलग-अलग सदस्यों की वजह से क्लेम लेना पड़ता है तो कंपनी प्रीमियम बड़ा सकती है।
  • यदि फैमिली प्लानिंग की योजना बना रहे हैं तो यह पड़तालन करनी चाहिए कि क्या फ्लोटर पॉलिसी मातृत्व खचों को कबर
  • करती है।

रिटायरमेंट के लिए बचत पहली कमाई से ही शुरू कर देनी चाहिए, भले ही आपकी सैलरी कितनी ही कम न हो।

10% नियम के मुताबिक आपको मौजूदा सैलरी का 10% रिटायरमेंट फंड में लगाना चाहिए और इसमें हर साल 10% की वृद्धि करनी चाहिए। मान लीजिए कि आप 25 वर्ष के हैं और हर महीने 30 हजार कमाते हैं। 10% यानी 3 हजार एनपीएस जैसे रिटायरमेंट फंड में लगाए। हर साल इसमें 10% राशि जोड़े। सालाना औसतन 10% रिटर्न के साथ गणना करते हैं…. • 60 वर्ष की उम्र में 3.4 करोड़ रुपए का फंड बनेगा, इसमें आपका निवेश 97.57 लाख होगा।

यह राशि आपकी बचत खत्म होने के डर के बिना आपकी जीवनशैली को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। आपका वार्षिक खर्च 10 लाख है, तो 30X नियम के मुताबिक रिटायरमेंट के लिए 3 करोड़ रुपए बचाने का लक्ष्य रखें। हर साल अपने रिटायरमेंट फंड में से 4% का ही इस्तेमाल करें, बाकी निवेशित रखें 30X नियम का एक प्रमुख घटक 4% सालाना निकासी दर है। यानी 3 करोड़ की बचत पर आप हर साल 12 लाख निकाल सकते हैं। इस लिहाज से आपका फंड 25-30 वर्षों तक आसानी से चलेगा। बाकी रकम भी सुरक्षित साधन में निवेशित रखने से बढ़ती रहेगी। इससे महंगाई को मात देने में मदद मिलेगी।

जिसकी आय उसी पर टैक्स। इस संबंध में आयकर विभाग ने हाल ही में क्लचिंग प्रोविर्जस पर चोशर जारी किया है। दरअसल, टैक्स देनदारी कम करने के इरादे से टैक्सपेयर्स पत्नी, बच्चों, वहू, सास-ससुर आदि के नाम पर निवेश करते हैं, ताकि आय को कृत्रिम रूप से बांटकर टैक्स बेनिफिट लिया जा सके। बलबिंग प्रोविजंस का मकसद इस तरह की टैक्स चोरी रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे निवेश से हुई आय पर टैक्स प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने वाले पर लगे। ऐसे में परिवार के सदस्यों के बीच वित्तीय लेनदेन के दौरान क्लंबिंग प्रोविर्जस को ध्यान में रखना चाहिए।

  1. धारा 60: यदि कोई संपत्ति बिना किसी कन्सिडरेशन (बिना कीमत लिए) के दूसरे को ट्रांसफर करता है ती उससे होने वाली आप उसी व्यक्ति की आय में जुड़ेगी।
  2. धारा 61: यदि कोई रिवोकेबल एग्रीमेंट (रह करने योग्य) के तहत एसेट भेजता है, तो भी उससे होने वाली आय ट्रांसफर करने वाले की आय में जुड़ेगी। 3. धारा 62: यदि संपत्ति इरिवोकेबल एग्रीमेंट (जिसे बदला न जा सके) के तहत भेजी गई है और न्यूनतम अवधि 6 वर्ष या अधिक है, तो इससे होने वाली आमदनी ट्रांसफर करने बाले व्यक्ति की आय में नहीं जुड़ेगी। पर 6 वर्ष से कम करार पर क्लविंग प्रोविजंस के नियम लागू होंगे।
  3. धारा 64 (1) (Ⅱ): यदि किसी व्यवसाय संस्थान में कोई अपने पत्ति/पत्नी को वेतन, भत्ते, या किसी अन्य तरह की आय भेजता है तो ऐसी आय
  4. क्लब मानी जाएगी। लेकिन यदि पति/पत्नी अपने व्यक्तिगत कौशल, योग्यता के आधार पर ऐसी आय अर्जित करते हैं, तो यह क्लब नहीं होगी। यानी पति या पत्नी के पास ‘टेक्निकल या प्रोफेशनल पोग्यता’ हैं तो क्लबिंग प्रावधान लागू नहीं होंगे। हाल ही में आए नए इनकम टैक्स बिल में टेक्निकल नॉलेज या एक्सपीरियंस को भी जोड़ा गया है।

धारा

  1. धारा 64 (1) (Iv): यदि पति अपनी पत्नी को बिना किसी लाभ के संपत्ति देता है, तो उससे होने वाली आमदनी पति की आय में आएगी।
  2. धारा 64 (1) (vi): कोई अपनी बहू को संपत्ति गिफ्ट करता है, तो उससे होने वाली आय ससुर की आय में जुड़ेगी। मान लीजिए, रमेश ने अपनी वह सुनीता को 10 लाख रुपए दिए। सुनीता ने रकम बैंक में जमा की और 80 हजार ब्याज कमाया। यह राशि रमेश की आय में जुड़ेगी।
  3. लेकिन इस पैसे को सुनीता आगे निवेश करके कमाई करती है तो ये उसकी आय होगी।
  4. धारा 64 (1) (vii) और 64 (1) (vin): यदि कोई अपनी नाबालिग संतान या किसी एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) को कोई संपत्ति देता है, तो उससे अर्जित आय व्यक्ति की आय में क्लब होगी।
  5. धारा 64 (1A): नाबालिग की आय माता-पिता की आग में जुड़ेगी। लेकिन यदि नाबालिग अपने श्रम, स्किल, टेलेंट से कमाई करता है तो क्लब नहीं होगी। 9. धारा 64(2): अगर कोई एसेट एचयूएफ को देता है तो उससे होने वाली आय ट्रांसफर करने वाले व्यक्ति की आय में जोड़ी जाएगी। यदि क्लबिंग की गई आय पर पहले से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की गई है, तो इसका क्रेडिट उस व्यक्ति को मिलेगा जिसकी आय में यह जोड़ी या बलब की गई है।

जिसकी आय उसी पर टैक्स। इस संबंध में आयकर विभाग ने हाल ही में क्लचिंग प्रोविर्जस पर चोशर जारी किया है। दरअसल, टैक्स देनदारी कम करने के इरादे से टैक्सपेयर्स पत्नी, बच्चों, वहू, सास-ससुर आदि के नाम पर निवेश करते हैं, ताकि आय को कृत्रिम रूप से बांटकर टैक्स बेनिफिट लिया जा सके। बलबिंग प्रोविजंस का मकसद इस तरह की टैक्स चोरी रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे निवेश से हुई आय पर टैक्स प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने वाले पर लगे। ऐसे में परिवार के सदस्यों के बीच वित्तीय लेनदेन के दौरान क्लंबिंग प्रोविर्जस को ध्यान में रखना चाहिए।

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