होली 13 से 15 तक
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इस साल होली 13 से 15 तक मनाया जाएगा | होली विवाद समाप्त | 3 दिन मनेगा होली

इस साल होली 13 से 15 तक मनाया जाएगा- इस वर्ष 13 मार्च को होलिका दहन होगा. 10: 45 मिनट रात्रि के बाद होलिका दहन का शुभमुहुर्त है. आचार्य राजनाथ झा ने बताया कि शास्त्र के अनुसार भद्रा में दो काम करना निषिद्ध माना गया. एक रक्षाबंधन और होलिका दहन. रक्षाबंधन मनाने पर राज का नाश होता है. जबकि होलिका दहन करने से गांवों में अग्नि दहन होता है. इसलिए 10:45 मिनट के बाद भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन करना धर्म शास्त्रों के अनुसार उचित है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि रहेगी.

अतः स्नान, दान और अपने इष्ट देवी-देवताओं को सिंदूर, विशेष भाग अर्पित किया जायेगा, 15 को प्रातः काल के प्रतिपाद में होलिका का भस्म धारण कर उत्साह, उमंग और सौहार्द पूर्वक होली खेली जायेगी. आचार्य राकेश झा ने बताया कि होली को लेकर लोगो में संशय की स्थिति बनी हुई है. लेकिन होलिका दहन को लेकर मिथिला एवं बनारस दोनों ही पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है. फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जायेगा.

फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च को होगी. फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10:11 बजे से शुरू हो रहा है और भद्रा भी उसी समय से आरंभहो रहा है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11:22 बजे तक ही है. उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बतलाये गये हैं. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए, झा ने बताया कि रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है. प्रेम, सौहार्द, भाईचारा का प्रतीक व रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को मनायी जायेगी

गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने कहा कि फाल्गुन पूर्णिमा गुरुवार को होगा. इसी दिन सुबह 10. 02 से पूर्णिमा तिथि लग जायेगी. भद्रा रात्रि 10.37 बजे समाप्त होगी. भद्रा की समाप्ति के बाद रात्रि 10.37 बजे के बाद होलिका दहन किया जायेगा. काशी में रंग की होली 14 मार्च को मनायी जायेगी. शास्त्रीय प्रमाण व परंपरा के अनुसार उदया तिथि चैत कृष्ण प्रतिपदा को रंग की होली और धूली वंदन मनाया जाता है. इसलिए 15 मार्च को रंग की होली मनायी जायेगी.

होली को लेकर शहर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. होलिका दहन और होली के दिन तीन हजार अतिरिक्त पुलिस बल तैनात होंगे. साथ ही अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती रहेगी. हालांकि, अभी से ही संवेदनशील स्थानों को चिह्नित कर वहां विशेष नजर रखी जा रही है. पर्व के दिन सादे लिबास में भी पुलिसकर्मी अलग-अलग जगहों पर तैनात रहेंगे. क्यूआरटी के जवानों को अलग अलग जगहों पर तैनात किया जायेगा

सीसीटीवी कैमरे से भी पुलिस शहर पर नजर रखेगी. अगर हंगामा करते पकड़े गये, तो उनके खिलाफ में कानूनी कार्रवाई की जायेगी. डायल 112 में तैनात पुलिसकर्मियों को भी अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है. खास बात यह है कि गली-मुहल्लों में पैदल गश्ती करायी जायेगी. होली को लेकर बड़ी संख्या में लोग गांव चले जाते हैं और घर खाली हो जाते हैं. इन घरों पर चोरों की नजर रहती है. गली-मुहल्लों के अंदर गश्ती कर नजर रखी जायेगी. साथ ही जहां अपार्टमेंट हैं, वहां भी निगाह रखी जायेगी.

पुलिस होटलों में भी 13 से 15 मार्च तक सर्च अभियान चलायेगी. साथ ही सोशल मीडिया पर भी नजर रखेगी. होली के दिन शुक्रवार को जुम्मे की नमाज भी है. इसलिए मंदिरों व मस्जिदों के आसपास भी पुलिस तैनात रहेगी. एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि होली पर सुरक्षा के तमाम इंतजाम किये गये हैं. अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती रहेगी.

मां बगलामुखी पीठ परिषद के संस्थापक और ज्योतिष मर्मज्ञ पं. महेश मोहन झा ने बताया होलिका दहन 13 मार्च एवं रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन दो शुभ नक्षत्रों का संयोग रहेगा। सुबह 7.46 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। इसके बाद पूरे दिन हस्त नक्षत्र रहेगा। दोपहर 12.55 बजे के बाद वृद्धि योग भी रहेगा। उन्होंने कहा कि मिथिला और बनारसी दोनों पंचांगों में होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा दो दिन होने के कारण होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाएगी।

फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को होगा। स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार को रहेगी। पूर्णिमा तिथि 13 मार्च की सुबह 10.11 बजे से शुरू होगी। इसी समय से भद्रा भी आरंभ होगी, जो रात 10.47 बजे तक रहेगी। 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11. 22 बजे तक ही रहेगी। 13 मार्च की रात पूर्णिमा तिथि रहेगी। भद्रा रात 10.47 बजे समाप्त हो जाएगा। इसलिए 13 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा। 14 मार्च को सूर्योदय कालीन पूर्णिमा रहेगी। इस दिन स्नान-दान की पूर्णिमा होगी। कुलदेवता को सिंदूर अर्पण किया जाएगा।

पं. महेश मोहन झा के अनुसार, होलिका दहन के दिन पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद आटा, गुड़, कपूर, तिल, तेल, धूप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी और गाय के गोबर से बने उपले डालकर सात बार परिक्रमा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। नकारात्मकता दूर होती है। रोग-शोक से मुक्ति मिलती है। मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। होलिका दहन के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। व्यक्ति दीर्घायु होता है और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

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