किस्तों में आसान जिंदगी:-अब ‘अपना घर’ का सपना ही कर्ज से पूरा नहीं हो रहा, बल्कि कई छोटी-बड़ी चीजें भी ईएमआई पर खरीदी जा रही हैं। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इनकी किस्तों पर एक आम व्यक्ति अपनी कमाई का औसतन 25% खर्च कर रहा है।
किस्तों से पूरे होते छोटे-बड़े सपने
पालेकर कोई काम करना) को कभी गलत माना जाता था, लेकिन अब यह न केवल एक बड़े वर्ग की महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा करने का एक वैध तरीका बन गया है, बल्कि इसे अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले बड़े फैक्टर के रूप में भी देखा जा रहा है। ‘अपने घर’ का सपना तो आम व्यक्ति कर्ज लिए बगैर पूरा कर भी नहीं सकता।
लेकिन इस समय आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर है कि
लोग अन्य मदों के लिए भी बेतहाशा लोन ले रहे हैं। इस तरह के कर्ज को नॉनसिंग रिटेल सीन’ कला जाता है। पर्सनल एकेन, क्रेडिट कार्ड के जरिए लिया गया लोन, कंज्यूमर ड्यूरेचल लोन वगैरह इसी कैटेगरी में आते हैं।
आरबीआई की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट कहती है कि
मार्च 2025 तक कुल घरेलू कर्ज में नॉन हाउसिंग रिटेल लोन 54.9 फीसदी हो गया है। रिपोर्ट के मुतविक इतने अधिक कर्ज की वजह से आम आदमी की खर्च योग्य आय का 25.7 फीसदी हिस्सा यानी एक चौथाई इसकी ईएमआई चुकाने में जा रहा है।
इसने हाउसिंग लोन को भी पीछे छोड़ दिया है। अब आप का औसतन 14,7 फीसदी हिस्स्य ही हाउसिंग लोन की ईएमआई में खर्च हो रहा है। हालांकि दोनों को मिला दिया जाएं तो यह आप कर औसतन बरीच 40 फीसदी हिस्सा हो जाता है।
एक साल में ही कर्ज 10.8% बढ़ा
लोन लेने की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से भारत में उधारकर्ताओं के ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। इस बात का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि मार्च 2025 के अंत तक प्रत्येक उधारकर्ता पर औसत कर्ज बढ़कर 45 लाख रुपए पहुंच गया।
ठीक एक साल पहले (मार्च 2024) की तुलना में यह 10.8 फीसदी, जबकि दो साल पहले (मार्च 2023) की तुलना में यह 23 फीसदी ज्यादा है। हालांकि ईएमआई ने उपभोक्ताओं की वितीय जागरूता में बढ़ोतरी की है। बीसीजी और फिल्क्कों की एक अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि ईएमआई का इस्तेमाल करने कलों में से 67 फीसदी लोग नियमित रूप से बेडिट स्कोर चेक करते हैं. जबकि ईएमआई इस्तेमाल न करने वालों में यह आंकड़ा 15 फीसदी का है
बीते 5 साल में ऐसा रहा कर्ज का ट्रेंड
वर्ष | आत्मनिर्भर | बिज़नेस | हाउसिंग | एजुकेशन | व्हीकल | हॉलिडे |
---|---|---|---|---|---|---|
2020 | 1% | 5% | NA | NA | 1% | 0% |
2021 | 26% | 28% | 13% | 4% | 2% | NA |
2022 | 53% | 14% | 9% | 4% | 3% | NA |
2023 | 44% | 19% | 10% | 4% | 3% | 2% |
2024 | 37% | 21% | 15% | 4% | 5% | 3% |
क्रेडिट कार्ड : पांच साल में 96% बढ़े
आरबीआई के अनुसार भारत में क्रेडिट कार्ड्स की संख्या दिसंबर 2024 तक 10.80 करोड़ हो गई है। बीते पांच साल में इसमें करीब 96 फीसदी का इजाफा हुआ है।
लोग ज्यादा कर्ज क्यों ले रहे हैं?
बैंक खुद ही कर्ज को प्रमोट कर रहेः आजकल
बैंक आम लोगों को कर्ज (जैसे होम लोन या पर्सनल लोन) देने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। बड़ी कंपनियों को कर्ज देने के मौकों में कमी आने और आम लोगों को दिए गए कर्ज में धोखाधड़ी का खतरा कम होने की वजह से भी बैंक खुद ही कर्ज लेने के लिए लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से पहुंच आसान
पहले कई लोग ईएमआई का इस्तेमाल इसलिए भी नहीं कर पाते थे, क्योंकि ऑफलाइन की प्रक्रिया काफी जटिल होती थी। लेकिन अब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की वजह से ईएमआई को चुनना काफी आसान हो गया है और इसलिए भी लोग छोटे-छोटे उत्पादों के लिए भी ईएमआई का उपयोग करने लगे हैं।
किस चीज के लिए लोग ले रहे लोन ?
कर्ज की प्रवृत्ति को लेकर होम क्रेडिट इंडिया ने एक सर्वे किया था। इसकी रिपोर्ट ‘हाऊ इंडिया बॉरोज, 2024’ के मुताबिक आम लागों ने पिछले साल इस तरह से कर्ज लिया थाः
- 37% लोगों ने स्मार्टफोन और अन्य होम अप्लायंसेज के लिए।
- 21% लोगों ने बिजनेस के विस्तार और नए बिजनेस शुरू करने के लिए।
- 15% लोगों ने घर के रखरखाव, मरम्मत और निर्माण कार्य के लिए।
- 6% लोगों ने वाहन लेने के लिए|
- 5% अपनी या अपने परिवार में किसी की शादी के लिए।
- 4% लोगों ने उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन लिया।
- 3% मेडिकल सुविधा के लिए
लोगों का सोचने का तरीका क्यों बदला?
- एकमुश्त खर्च से बचना चाहते हैं लोग
- नौकरीपेशा वर्ग के पास अब अधिक विकल्प हैं
- डिजिटल भुगतान और आसान लोन प्रोसेस ने इसे आसान बनाया
- महंगाई के कारण अब भारी-भरकम खर्च टालना मुश्किल
EMI का असर – फायदे और नुकसान
नुकसान:
- बकाया समय पर न चुकाने पर क्रेडिट स्कोर खराब
- लंबी अवधि में ज्यादा ब्याज भुगतान
- एक साथ कई ईएमआई होने पर मासिक बजट पर दबाव
फायदा:
- जरूरत की चीज़ तुरंत मिल जाती है
- बजट के हिसाब से आसान भुगतान
- क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर भविष्य में बेहतर लोन विकल्प
सावधानी ज़रूरी है!
EMI की सुविधा जहां एक तरफ़ जीवन को आसान बनाती है, वहीं अगर प्लानिंग के बिना खर्च किया जाए तो यह भविष्य की वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुँचा सकती है।
- समय पर भुगतान न करने पर क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।
- कई किस्तों का दबाव मानसिक तनाव भी बढ़ा सकता है।
- लंबी अवधि में ब्याज दरें कुल कीमत को बहुत ज्यादा कर देती हैं।
आपका अगला कदम:
क्या आप EMI के जरिए कोई खरीदारी या लोन लेने की सोच रहे हैं? तो पहले यह जांचें:
- EMI आपकी आय का 30% से ज़्यादा तो नहीं?
- क्या आपके पास बैकअप प्लान है?
- ब्याज दरें और शर्तें आपने पूरी पढ़ ली हैं?
सोच-समझकर लिया गया EMI का फैसला – आपके सपनों को हकीकत बना सकता है।