जीवन को ऐसे जीएं – तभी आपको वो सब मिलेगा जो आप चाहते हैं

By: arcarrierpoint

On: Monday, November 10, 2025 6:01 PM

जीवन को ऐसे जीएं
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जीवन को ऐसे जीएं – हम भले न चाहें, पर बदलाव होना तय है। हम अगर स्वयं आगे नहीं बढ़ते, तो जिंदगी ऐसे हालात बना देती है कि आगे बढ़ना हमारी मजबूरी हो जाती है। हम बदलाव से कतराते हैं, क्योंकि उसके साथ कुछ बेचैनी और डर जुड़े होते हैं। यहां कुछ ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं, जिनसे आप जान सकते हैं कि आपका जीवन बेहतर दिशा में आगे बढ़ रहा है –

जीवन में अक्सर बेहतर क तर बदलाव उन पलों की उपज होते हैं, जो हमें बेचैन और असुरक्षित महसूस कराते हैं। कई बार हम बदलाव की ओर कदम ही तब बढ़ाते हैं, जब आगे बढ़ना ही हमारे सामने एकमात्र विकल्प बचता है।
दरअसल, स्थिरता और संतुलन हमारी बुनियादी संरचना का हिस्सा हैं। हम सुरक्षित दायरों में रहने के लिए बने हैं, जिसमें सब कुछ जाना पहचाना रहे। पर, जरूरी नहीं यही जाने-पहचाने रास्ते हमारे लिए अच्छे भी हों। कहीं न कहीं हम स्वयं भी यह जानते हैं।

हम जब अपनी भीतरी प्रेरणाओं पर ध्यान नहीं देते, तो जिंदगी स्वयं ही ऐसे हालात बना देती है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए मजबूर कर देते हैं। बदलाव की इस प्रक्रिया से डरने की बजाय, हमें इन्हें गले लगाना चाहिए। इसका अर्थ है जीवन में कुछ बड़ा होने वाला है। यहां कुछ बातें हैं, जो बदलाव से पहले हमारे जीवन में घटती हैं-

बदलाव की और ले जाने वाली वजह छोटी भी हो सकती है और बड़ी भी। कुछ लोगों के लिए सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया किसी अपने के दूर होने, किसी से धोखा मिलने या अचानक नौकरी छूट जाने के नुकसान से जुड़ी होती है। कुछ ऐसा छूटना, जिससे आपकी भविष्य की खुशियां जुड़ी थीं। यह वजह बहुत मामूली भी हो सकती है, जिसका पता ही न चले। मसलन, अपने किसी पुराने दोस्त को देखकर आप अपनी प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित हो जाएं। या फिर आपका करीबी कुछ बड़ा करने जा रहा है, जिसे देखकर आप यह सोचने के लिए मजबूर हो जाएं कि आखिर आप जिंदगी में क्या चाहते हैं? ध्यान रखें, जीवन में किसी न किसी बाधा के होने पर ही बेहतर बदलाव आते हैं। कुछ ऐसा, जो हमें अपनी मौजूदा स्थिति पर सोचने और उसे बदलने के लिए प्रेरित या मजबूर कर देता है।

कई बार बदलाव की ओर ले जाने वाले कारण लंबे समय से हमारे जीवन में होते हैं, बस हम उनका एहसास नहीं कर पाते। आमतौर पर हम जो कुछ भी खोते हैं, उसका एहसास कहीं न कहीं हमारे भीतर लंबे समय से बना होता है। जैसे, जो रिश्ता खत्म हुआ, उसमें लंबे समय से खटास बढ़ रही थी। जिस नौकरी को आपने छोड़ा या छूट गई, उसमें आपको लंबे समय से अच्छा नहीं लग रहा था या इस बात की आशंका थी।
जीवन में कुछ भी चिना मकसद के नहीं होता। वहीं कुछ भी हो जाए, हम अपना मकसद तलाश सकते हैं। पर सबसे पहले जरूरी यह है कि हम अपने सच को स्वीकार ले।

जब कोई सीमा पार करता है या आपके साथ अन्याय होता है, तो गुस्सा आना सामान्य है। अच्छी भली जिंदगी अचानक पटरी से उतर जाए और आपको नहीं पता कि आगे क्या होगा, तो दुखी होना और डर महसूस करना सामान्य है। जितना आप इन भावनाओं का विरोध करेंगे, उतना यह आपसे चिपकी रहेंगी। यह समझे कि यह उठा-पटक बड़े बदलाव की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके भीतर गहरे ज्ञान के बीज छिपे हैं।

लंबे समय तक भीतर दबी हुई भावनाओं के बीज कई बार कई गुणा बनकर छूटते हैं। हमारी भावनाएं तब तक भीतर बनी रहती हैं, जब तक हम सही सबक नहीं सीख लेते। अक्सर दबे हुए भाव हमें अप्रिय और अयोग्य होने का एहसास कराने लगते हैं। पर उनका असल संदेश यह है कि हम अपने मूल्यों से मिलते-जुलते हालात नहीं बना पा रहे है। हम यह नहीं पहचान पा रहे हैं कि हम वास्तव में कितने योग्य और प्रिय हैं,

इसलिए हम हमेशा खुद को दूसरों की नजर में हीन समझते रहते हैं। अतीत में किस बात ने आपको ठेस पहुंचाई, आपको तब कैसा महसुस हुआ था, इसे याद करने की प्रक्रिया में, आप पाएंगे कि आपका बहुत सारा आत्मविश्वास उन अनुभवों से बना था, जो आपके भीतर एक के ऊपर एक जमा हो रहे थे। और अब, आप खुद को खुलने का मौका दे रहे हैं। खुद को अतीत के बोझ से हल्का बना रहे हैं।

कई बार ऐसा होता है कि आप हमेशा के लिए हार मानने वाले होते है कि तभी उम्मीद की एक किरण दिखाई देती है। हो सकता है कि एक दिन अचानक आपके मन में कुछ नया करने का विचार आ जाए, हो सकता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति से जुड़ जाए, जिसके पास आपके योग्य अच्छे मौके हैं, आप किसी नए काम को करने के लिए प्रेरित हो जाए, आप कहीं दूसरे स्थान पर चले जाए… या आपको लगे कि जल्दी ही अब आपकी जिंदगी में ऐसा कुछ होने वाला है। कुल मिलाकर, कहीं न कहीं भीतर लगता है कि कुछ अच्छा हो सकता है, बस आप पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। हालांकि, इसकी जरूरत्त भी नहीं है। अपनी उस हल्की सी उम्मीद को थामे बस आप आगे बढ़ते रहें।

मन में आ रहे नए विचारों की ओर धीरे-धीरे कदम बढ़ाना। हो सकता है कि अपने विचारों की दिशा में बढ़ना, इससे जुड़ी बेचैनी आपको अपने बालों और कपड़ों के स्टाइल, काम करने के तरीकों और खाली समय का इस्तेमाल अलग ढंग से करने के लिए प्रेरित करे। पर, धीरे-धीरे, छोटे-छोटे कदमों से आप खुद को नए तरीके से उभरते हुए महसूस करते हैं। आप उन नए विचार, नई दिनचर्या में खुद को ढलता हुआ पाते हैं, जो आप बनना चाहते हैं।

छोटे बदलावों के बाद अब आप यह जान गए हैं कि लंबी छलांग लगाने का समय आ गया है। यह नई नौकरी शुरु करना, पुरानी को छोड़ना या फिर जीवन में किसी ऐसी चीज को बदलना, जिसे आप पहले सोच भी सकते है। यह बदलाव की प्रक्रिया का डराने वाला एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अपने जीवन में नई और सकारात्मक चीजों को लाने के लिए, कई बार आपको उन तक पहुंचना पड़ता है।

इसके लिए आपको अपने सुरक्षित दायरों से बाहर निकलकर नए तरीकों से सोचना पड़ता है। खुद पर और अपनी सौच पर भरोसा रखना पड़ता है। यही वह छलांग है. जिसके लिए आप तैयार हो रहे हैं। यह वह सपना था, जो आपके भीतर गहराई से छिपा हुआ था। जिसने आपको अपनी बीती चीजों से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, उन भावनाओं पर काम करने के लिए तैयार किया, जो आपका रास्ता रोक रही थीं, और अब आपका सच बन चुकी है। यह आपके भीतर हमेशा से मौजूद रहा है। बस आपको इसे चुनने का साहस ढूंढना था।

अंततः आप अपनी बाधाओं को पार कर, नए जीवन में प्रवेश कर चुके हैं। अब आप समझ पा रहे होंगे कि दुख और बेचैन कर रहे विचारों का भी एक मकसद था। अगर आप सजग है, तो यह समझ पाए कि मूल रूप से अगर ये बाधाएं जीवन में न होती, तो आप अपने सुरक्षित दायरों से बाहर ही न निकलते। अपने शेष जीवन को अधूरे सपनों के साथ ही जीते चले जाते। अपने डर से आगे निकलने की कोशिश न करते और साहस की कमी के कारण विपरीत हालातों को ही अपनी नियति मान लेते।

कभी-कभी जब हम वो काम नहीं करते, जो हमें करना चाहिए, तो हम अपने लिए ऐसी परिस्थितियां बना लेते हैं, जहां आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता। भाग्य को नकारा नहीं जा सकता।
शायद, यह सोचकर आपको कुछ शांति मिल सकती है। आप समझ पाएंगे कि अपनी भावनाओं से डरने की जरूरत नहीं है। कई बार तूफान के बाद ही आसमान साफ होता है। उन बीजों को पानी मिलता है, जो लंबे समय से पनपने का इंतजार कर रहे थे। आपको बस एक धक्के की जरूरत थी।

जीवन की भागदौड़ में कहीं ऐसा तो नहीं कि सबसे नाता ही टूट गया है? अपनों से ही नहीं, स्वयं खुद से भी दूर हो गए हैं? जानने वाले बहुत हैं, बावजूद दो लोग भी ऐसे नहीं, जिनके सामने खुलकर हंसा-रोया जा सके। अगर ऐसा है तो थोड़ा खुद पर काम करिए।

हमारी कुछ छोटी-छोटी आदतें, हमें दूसरों से दूर कर सकती हैं। जैसे, कोई पास खड़ा है, पर आप अपने कंप्यूटर या फोन में मस्त हैं। कोई दुखी है, आप अपनी बात किए जा रहे हैं। जरूरत थी खेद जताने की, पर आप कुछ और ही बात कर रहे हैं। क्या करें: जब कोई कुछ कह रहा हो तो कुछ देर के लिए अपने काम से ध्यान हटाकर उन्हें सुनें। उन्हें यह एहसास कराएं कि आप उन्हें सुन रहे हैं। दोस्त की तरह सुनें। आगर वे चारों दोस्त अगर की बातों में आपके लिए भी बहुत कुछ उपयोगी हो सकता है।

क्या अपनों के साथ होने वाली सुख-दुख की बातें आपको सबसे देर में पता चलती है? आप यही बस कहते रहते हैं, ‘मुझे कोई बताता ही नहीं, मैं भी खाली नहीं आदि।’ क्या करें: कहा जाता है कि लोग इसलिए अकेले होते हैं, क्योंकि वे मित्रता का पुल बनाने के बजाय दुश्मनी की दीवारें खड़ी करते हैं। अहंकार के कारण हम हमेशा दूसरों पर दोष डाल देते हैं। एक बार खुद संबंधों की जिम्मेदारी लें। अपने व्यवहार पर गौर करेंगे, तो दूसरों से अपने रिश्ते सुधारने की पहल करना आपके लिए आसान हो जाएगा।

माना आपकी दोस्तों की सूची लंबी है, पर क्या कुछ ऐसे दोस्त हैं, जिनसे जरूरत पर बात कर सकें, जिनके साथ उदास होने पर कुछ देर खाली बैठ या टहल सकें ? क्या करेंः अधिक लोगों से पहचान होना अच्छी सामाजिक जिंदगी की निशानी नहीं है। जीवन में कुछ ऐसे संबंध होने चाहिए, जो दिल के करीब हों। जो हमें उतना ही मानते हैं, जितना आप उन्हें मानते हैं। उनके सुख-दुख में खुद को शामिल करें। यदि वे दूर हैं, तो तकनीक के जरिये उनसे जुड़े रहें।

कई बार हम खुद को हीन और अयोग्य मानते हैं, इसलिए दूसरों से दूरी बनाकर रखते हैं। क्या करेंः आप खुद को महत्व दें। भरोसा रखें कि आपके पास भी दुनिया के साथ शेयर करने के लिए कई महत्वपूर्ण चीजें हैं। आपको किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है।

जीवन में कुछ भी पाने के लिए सबसे पहले यह तय करें कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं। गोल जितना स्पष्ट होगा, रास्ता उतना आसान होगा।

  • आप कौन-सी नौकरी चाहते हैं?
  • आप किस तरह की लाइफस्टाइल चाहते हैं?
  • आप कितना पैसा कमाना चाहते हैं?
  • आप किस तरह के इंसान बनना चाहते हैं?

जब लक्ष्य स्पष्ट होते हैं, तो मन उसी दिशा में काम करने लगता है।
स्पष्ट लक्ष्य = स्पष्ट जीवन।

किस्मत का खेल सिर्फ 10% है, 90% आपकी रोज़मर्रा की आदतों का होता है।

  • सुबह देर तक सोना
  • मोबाइल में टाइम वेस्ट करना
  • काम को टालना
  • गलत संगत
  • अनियमित दिनचर्या

ये सब आपके सपनों को धीमा कर देते हैं। लेकिन छोटी-छोटी अच्छी आदतें, जैसे– रोज़ 1 घंटा सीखना, 30 मिनट व्यायाम, नियमित नींद, लक्ष्य से जुड़ी गतिविधि, ये सब आपको मंज़िल तक ले जाने वाली सीढ़ियाँ हैं।

आदतें वही चुनें जो आपके भविष्य को मजबूत बनाए।

विचार बहुत ताकतवर होते हैं। अगर आप हमेशा यही सोचते हैं—

  • “मेरे बस की बात नहीं।”
  • “मेरी किस्मत खराब है।”
  • “मैं कभी सफल नहीं हो पाऊँगा।”

तो जीवन भी आपको वही देगा जिसके आप योग्य खुद को समझते हैं। लेकिन जब आप सोचते हैं—

  • “मैं कर सकता हूँ।”
  • “मैं कोशिश जारी रखूँगा।”
  • “मैं इसका हकदार हूँ।”

तो वही ऊर्जा आपकी लाइफ में आकर्षित होती है।

आप वही बनते हैं, जो आप सोचते हैं।

एक दिन की मेहनत से कोई बदलता नहीं। सपने तब पूरे होते हैं जब मेहनत रोज़ की आदत बन जाए।

  • हर दिन थोड़ा-थोड़ा सीखें।
  • हर दिन कुछ कदम आगे बढ़ें।
  • कभी किसी एक हार से निराश न हों।

याद रखें—
धीमी गति से चलना भी गलत दिशा में दौड़ने से बेहतर है।

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