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जीवन में इन आसान नियमों को अपनाए – सफलता आपके कदम चूमेगी

जीवन में इन आसान नियमों को अपनाए -:-बुरे से बुरे वक्त में भी हमारे चारों ओर, हमारे भीतर ऊर्जा का शक्तिशाली आभामंडल होता है। जब हम इस आभामंडल के संपर्क में आते हैं तो जीवित, ऊर्जावान, प्रसन्न और शांत महसूस करने लगते हैं। हमारी उम्मीदों और इच्छाओं को नई ऊर्जा मिलती है। खुद से ये जुड़ना हमें कई संभावनाओं से जोड़ देता है।

जब आप अपने भीतर नए सपनों और इच्छाओं का होना अनुभव करते हैं तो एक जीवंतता महसूस होती है। आप रचनात्मकता के प्रति जागरूक होने लगते हैं। हमें अपने चारों ओर आपको संभावनाएं नजर आने लगती हैं। इतना ही नहीं, जब इस रचनात्मक ऊर्जा से हमारे तार जुड़ते हैं तो हम अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन कर पाने में सक्षम हो जाते हैं। हममें से ज्यादातर लोगों ने कम से कम एक बार इस ऊर्जा का अनुभव अवश्य किया होगा। फिर चाहे वह दफ्तर की कोई सफल मीटिंग हो या घर में एक नन्हा मेहमान आने की खुशखबरी हो या अपने परिवार के संग कुछ बेहद खुशनुमा और प्यारभरे पल हों, ये सभी अहसास हमारे भीतर नई ऊर्जा का संचार कर देते हैं। लेकिन इतना शानदार अहसास होने के बावजूद हम इसे हमेशा क्यों नहीं जुड़ पाते हैं?

रचनात्मकता के साथ जुड़ने के लिए स्वयं को बंधन मुक्त करना आवश्यक है, लेकिन अतीत के कष्टकारी अनुभव हमें ऐसा करने से रोकते हैं। बहुत ज्यादा पीड़ा का अहसास हमारी संवेदनाओं को सुन्न कर देता है। कुछ अच्छा महसूस करने की क्षमता खत्म सी होने लगती है। तब मन में स्वयं को लेकर ही संशय पैदा होने लगता है। लगता है कि हमारे भीतर ही कोई कमी रही होगी, जो इतना कष्ट सहना पड़ा। तनाव, चिंता, डर, अकेलापन और उलझन भरे विचार दिमाग में इतनी गहराई तक बैठ जाते हैं कि हम हर कीमत पर स्वयं को कड़वे अनुभवों से बचाने के प्रयास करने लगते हैं। बहुत सारी तकलीफ झेल चुका व्यक्ति किसी पर विश्वास नहीं कर पाता और बाहरी दुनिया से स्वयं को बिल्कुल काट लेता है। नतीजतन, दुख से बचने के लिए हम स्वयं को और ज्यादा पीड़ा पहुंचाने लगते हैं।

मेरा शादीशुदा जीवन बहुत अच्छा नहीं रहा और इस रिश्ते से मुझे सिवाय निराशा के कुछ नहीं मिला। लिहाजा पुरुषों को लेकर मेरे भीतर धारणा बन गई कि सभी आदमी खराब होते हैं। फिर जब मैंने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास किया तो मैं बहुत दुविधा में पड़ गई। एक तरफ मैं किसी साथी की कामना कर रही थी तो दूसरी ओर पहली शादी के कड़वे अनुभव मुझे डरा रहे थे। इसलिए मैंने अपने दायरे को और छोटा कर लिया ताकि मेरे दिल को ठेस लगने की कोई संभावना ही न बचे।

मैं खुद से पूछती, ‘क्या संभव है कि कोई नया रिश्ता मुझे वही दुख दे सकता है?’ हां, इस बात की संभावना है। पर, यह भी संभव है कि किसी नए रिश्ते में मुझे प्रेम, आनंद, उत्साह, प्रगति व सुनहरे अवसरों को चुनने का अवसर मिल जाए। कैसा लगेगा यदि जीवन बिना किसी कष्ट के सिर्फ आनंद की ही अनुभूति देता रहे? जब हम बंधनमुक्त तरीके से जीना शुरू कर देते हैं तो रचनात्मकता स्वतः हमारे भीतर आने लगती है और हम अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन कर पाते हैं। ऐसा होने पर ही जीवन जीने का वास्तव में मजा आता है।

हमारे पास हमेशा दो विकल्प होते हैं। या तो स्वयं को सीमाओं में बांधकर घुट-घुट कर जिया जाए या फिर अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी की कहानी लिखी जाए। यदि आप अपनी सहजता से आगे निकलने के बारे में हौसला करेंगे ही नहीं तो क्या वास्तव में आप जीवन के भरपूर आनंद उठा पाएंगे? शुरुआत में मुझे इस बात पर क्रोध आया, क्योंकि मैं कोई तीसरा विकल्प भी चाहती थी, जिसमें भविष्य में किसी भी प्रकार का दुख न होने का भरोसा हो। लेकिन बिना दुख के अनुभव के सुख की अनुभूति नहीं हो सकती है और सबसे बड़ी बात यह है कि एक बार चोट खाया हुआ इनसान दोबारा पीड़ा का दंश झेलना चाहता ही नहीं है। लेकिन हमें अपने डर पर काबू पाकर भविष्य की ओर देखना ही पड़ता है

मैंने अपने अनुभवों से सीखा कि ज्यादा सोचने से कुछ बेहतर नहीं बन जाता है, बल्कि जरूरत से ज्यादा सोचना हमारे साहस को खत्म कर देता है, इसलिए प्रत्येक पल को खुल कर जिएं। लोग तो आपके साथ आगे भी गलत करेंगे और आपको दर्द का अहसास भी होगा। लेकिन इस वजह से जो कुछ भी अच्छा है, उसे त्याग देना भला कहां की समझदारी है। दूसरों से अपेक्षाएं सबसे ज्यादा तकलीफ देती हैं। बेहतर होगा कि आप वास्तविकता में रहते हुए अपने हिसाब और अपनी क्षमताओं के आधार पर अपने जीवन की बुनियाद रखें। बेशक, हमें दूसरों की जरूरत पड़ती है, लेकिन वो आपके जीवन का आधार नहीं बन सकते हैं।

हमारे जीवन में आने वाले लोग हमें अनुभव दे सकते हैं, पर हमारा जीवन नहीं जी सकते। इसलिए पहले अपने अंतर्मन से स्वयं को जोड़िए ताकि आप आप दुख और पीड़ा जैसे भावों से बहुत ज्यादा प्रभावित न हों। आप अपनी सीमाएं तय करें कि किस चीज को कितना बर्दाश्त करना है और जब अति होने लगे तो उस व्यक्ति, उस भाव से खुद को अलग कर लें। मेरा तलाक मेरे जीवन का बेहद दुखदाई अनुभव था, पर आज जब मैं पीछे मुड़ कर देखती हूं तो लगता है कि अच्छा ही हुआ। उस एक कष्ट की वजह से ही मैं जीवन में आगे बढ़ पाई और आज मैं अपने हिसाब से अपना जीवन जी रही हूं।

याद रखिए, प्रत्येक दुख में एक रोशनी की किरण छिपी होती है, लेकिन हम उस समय उसे देख नहीं पाते हैं। लेकिन खुद पर भरोसा रख कर और अपने अनुभवों से सबक लेकर सुख को पाया जा सकता है।

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