डंकी रूट से विदेश जाकर कैसे कमाते हैं करोड़ों भारतीय | यहाँ से देखें डंकी रूट
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डंकी रूट से विदेश जाकर कैसे कमाते हैं करोड़ों भारतीय | यहाँ से देखें डंकी रूट

डंकी रूट से विदेश जाकर कैसे कमाते हैं करोड़ों भारतीय | यहाँ से देखें डंकी रूट:-ट्रंप सरकार ने अमेरिका में में रह रहे 104 अवैध भारतीय आप्रवासियों को वापस भारत भेज दिया है। उन्हें भेजने के तरीके पर सवाल उठने के साथ ही एक बार फिर से डंकी रूट चर्चा में है।

इ डोनाल्ड ट्रेप अपने देश से अवैध आप्रवासियों को बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे पर अमल करने की वजह से दुनियाभर में सुर्खियों में हैं। लेकिन भारत में यह मुद्दा तब खबरों में आया, जब 104 अवैध आप्रवासी भारतीयों की सैन्य विमान में बिठाने और उन्हें बेड़ियों में बांधकर वतन भेजने की तस्वीरें सामने आई। ये तस्वीरें जारी होते ही इसको लेकर हंगामा मच गया। जहां भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसे ‘ये कोई नई बात नहीं कहते हुए अमेरिकी कार्रवाई को उचित ठहराने की कोशिश विपक्ष ने अमेरिका द्वारा भारतीयों को वापस भेजे जाने के तरीके पर सवाल उठाए। और इस बहस के बीच फिर वह मुद्दा सामने आ गया कि आखिर भारतीय अमेरिका या अन्य विकसित देशों में अवैध रूप से जाते कैसे हैं।

भारत से अधिकांश अवैध आप्रवासन डंकी रूट के जरिए होता है। यह मूलतः पंजाबी शब्द ‘डुनकी’ से आया है, जिसका अर्थ होता है रुक-रुककर एक जगह से दूसरी जगह मूव करना। व्यापक अथों में समझा जाएं तो विभिन्न देशों के जरिए रुक-रुककर अवैध तरीकों से गंतव्य देश में प्रवेश करना। हालांकि यह शब्द भारत में ही प्रचलित है। अन्य देशों में इसे ‘इललीगल माइ‌ग्रेशन रूट’ या ‘अनडॉक्यूमेंटेड रूट’ कहा जाता है। ‘हामन स्मगलिंग रूट’ के नाम से भी इसे जाना जाता है। नाम चाहे जो हो.

इस तरह से गंतव्य देश में पहुंचने के तमाम रास्ते जोखिम भरे होते हैं, जिनका उपयोग लोग अमेरिका या अन्य विकसित देशों में अवैध रूप से प्रवेश करने के लिए करते हैं। ये मार्ग कई देशों से होकर गुजरते हैं और इनमें कई तरह की चुनौतियां और खतरे होते हैं। मुख्य रूप से यह उन लोगों द्वारा अपनाया जाता है जो कानूनी वीजा प्राप्त नहीं कर सकते या आर्थिक कारणों से दूसरे देशों में जाकर बसना चाहते हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा अवैध आप्रवासन अमेरिका में ही होता है। वल्र्ड पापुलेशन रिव्यू की मानें तो आज भी यह देश पूरी दुनिया के लिए एक ‘स्वप्न लोक’ बना हुआ है। इसीलिए दुनियाभर से वहां वैध-अवैध तरीकों से जाने के प्रयास होते रहते हैं। वैध रूप से प्रवेश करने के लिए तो वहां हर साल 4 लाख वीजा ही जारी किए जाते हैं। इसलिए लोग स्वप्न लोक’ में प्रवेश के लिए अवैध तरीके अपनाते हैं। पिछले 50 साल में वहां अवैध आप्रवासियों की संख्या में 400% तक की चढ़ोतरी हुई है। अमेरिका और अन्य देशों में अवैध तरीकों से प्रवेश करने की कवायद जानलेवा भी होती है। ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के अनुसार 2014 से अब तक अमेरिका या यूरोपियन यूनियन के देशों में पहुंचने के फेर में 50 हजार से भी ज्यादा आप्रवासी या तो मारे गए या लापता हैं।

भारत की बात करें तो प्यू रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में करीब 7.25 लाख से भी अधिक भारतीय अवैध तरीकों से रह रहे हैं। हर साल हजारों नए लोग अवैध रूप से घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं। इनमें से कुछ पकड़े भी जाते हैं, जिन्हें या तो वहां की जेलों में डाल दिया जाता है अथवा भारत भेज दिया जाता है। 2022-23 में ऐसे करीब 96 हजार लोग पकड़ में आए थे। अमेरिका की डिकन्सन यूनिवर्सिटी में गवर्नमेंट पॉलिसीज के प्रोफेसर डैन कैसिनो का दावा है कि संभावना है कि अमेरिका इनमें से केवल 20 हजार भारतीयों को ही वापस भारत भेज सकेगा।

डंकी रूट के माध्यम से अमेरिका जाने की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है। इच्छुक व्यक्ति एजेंट्स या दलालों के माध्यम से इस प्रक्रिया में प्रवेश करते हैं। ये ए‌जेंट मोटी रकम वसूलते हैं और अबैध रास्तों से गंतव्य तक पहुंचाने का वादा करते हैं। अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश के लिए आमतौर पर इन रूट्स का इस्तेमाल किया जाता है:

दलाल या एजेंट इच्छुक व्यक्ति से कानूनी पर्यटक वीजा लेकर दुबई, तुर्की या रूस जाने को कहते हैं। फिर वहां से ये एजेंट उन्हें अमेरिका भिजवाने की व्यवस्था करते हैं। यह अपेक्षाकृत कम जोखिमभरा होता है. हालांकि अधिक खचर्चीला होता है।

कई लोग इक्वाडोर, कोलंबिया, पनामा, ग्वाटेमाला, जैसे देशों के माध्यम से अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। हालांकि यह सफर जंगलों, पहाड़ों और नदियों के माध्यम से पूरा किया जाता है। इसलिए इसे काफी खतरनाक माना जाता है।

कई लोग मैक्सिको से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सबसे पहले वैध वीजा पर लोग मैक्सिको पहुंचते हैं। फिर अलग-अलग तरीकों (जैसे ट्रक, नाव, पैदल) से अमेरिका की सीमा तक जाते हैं। वहां से वे अवैध रूप से सीमा पार करते हैं या खुद को अमेरिकी पुलिस के हवाले कर शरण मांगते हैं।

  • जानलेवा प्राकृतिक चुनौतियांः जंगलों, नदियों और रेगिस्तानों को पार करते समय कई लोग भटक जाते हैं या मर जाते हैं। अत्यधिक ठंड या गर्मी के कारण भी लोगों की मृत्यु हो सकती है।
  • डकैतों और गैंग्स का खतराः मध्य अमेरिका और मैक्सिको में सक्रिय अपराधी गिरोह प्रवासियों को लूटते और मार डालते हैं। कई प्रवासी अपहरण कर लिए जाते हैं और फिरौती न मिलने पर उनकी हत्या तक कर दी जाती है।
  • शारीरिक शोषणः दलाल प्रवासियों का शोषण करते हैं और उन्हें बीच रास्ते में छोड़ देते हैं। महिलाओं और बच्चों के साथ शारीरिक शोषण और दुर्व्यवहार की घटनाएं आम हैं।
  • अमेरिकी कानून और जेलः यदि अमेरिकी पुलिस पकड़ सेती है तो जेल या डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में प्रवासियों को महीनों तक हिरासत में रखा जाता है।
  • ट्रम्प भले ही अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए अवैध आप्रवासियों को उनके बतन भेजे जाने की कवायद कर रहे हैं, लेकन अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल इसके आर्थिक पहलुओं को लेकर चिंतित है। काउंसिल के अनुसा अनुसार अगर अमेरिका सभी 1.1 करोड़ आप्रवासियों को उनके वतन भेजता है तो इस पर उसे 315 अरब डॉलर खर्च करने होंगे।
  • चूंकि वहां रहने वाले अधिकांश अवैध आप्रवासी किसी न किसी आर्थिक गतिविधि में संलग्न हैं। इसलिए काउंसिल का अनुमान है कि इन तमाम अवैध आप्रवासियों को उनके वतन भेजने पर अमेरिका की जीडीपी में 4.2 से 6.8 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। यह राशि में 1.1 से 1.7 ट्रिलियन डॉलर के बराबर हो सकती है।
  • काउंसिल ऑफ फरिन रिलेशन्स के मुताबिक वहां अवैध आप्रवासी भारी-भरकम टैक्स भी देते हैं। काउंसिल के अनुसार 2022 में उनके द्वारा दी गई टैक्स की राशि का आंकड़ा 76 अरब डॉलर था।
  • अमेरिका की डिकन्सन यूनिवर्सिटी में गवर्नमेंट पॉलिसीज के प्रोफेसर डैन कैसिनो के मुताबिक अगर अमेरिका हर दिन औसतन 3,000 लोगों को डिपोर्ट करें तो तमाम लोगों को बाहर निकालने में उसे 10 साल से भी ज्यादा लग जाएंगे। यह बेहद खर्चीला और अर्थव्यवस्था के लिए बिनाशकारी होगा। वहां के अधिकांश कारोबारी सस्ते श्रम के लिए इन्हीं अवैध आप्रवासियों पर निर्भर हैं।
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