बिना सिम के नहीं चलेगा व्हाट्सएप और टेलिग्राम – बड़ा बदलाव:-भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने डिजिटल सुरक्षा और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए OTT और मैसेंजर ऐप्स पर बड़ा नियम लागू कर दिया है। अब जो भी लोग व्हाट्सएप, टेलिग्राम, स्नैपचैट, सिग्नल, इंस्टाग्राम चैट, फेसबुक मैसेंजर जैसे ऐप का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें ध्यान देना जरूरी है।
नई गाइडलाइन के अनुसार – अब बिना सिम के ये ऐप्स काम नहीं करेंगे।
सरकार ने कहा है कि सभी मैसेंजर ऐप्स पर वही नंबर और वही डिवाइस इस्तेमाल होना चाहिए, जिससे सिम रजिस्टर है। इसका मतलब है कि फर्जी नंबर, वर्चुअल नंबर, इंटरनेट सिम या किसी और के सिम से ऐप चलाना अब संभव नहीं होगा।
अब बिना सिम के व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप्स काम नहीं करेंगे
डिजिटल सुरक्षा और पहचान धोखाधड़ी को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने ओटीटी और मैसेंजर एप्स के लिए बड़ा निर्देश जारी किया है। अब बिना सिम के व्हाट्सएप, टेलीग्राम, स्नैपचैट, शेयर चैट और सिग्नल जैसे मोबाइल एप्स काम नहीं करेंगे। नए प्रावधानों के तहत अब सभी मैसेजिंग और कम्युनिकेशन एप्स को यूजर के मोबाइल नंबर, सक्रिय सिम और डिवाइस की सत्यापन अनिवार्य रूप से करनी होगी।
नए निर्देशों के अनुसार मोबाइल में लगी सिम हट जाती है, निष्क्रिय हो जाती है या सस्पेंड हो जाती है तो ऐप तुरंत काम करना बंद कर देगा। वेब और डेस्कटॉप वर्जन के लिए कई पाबंदियां भी लगाई गई हैं।
कंप्यूटर पर हर 6 घंटे बाद ऑटो लॉगआउट हो जाएगा
वेब या कंप्यूटर पर लॉगइन का उपयोग करने वाले यूजर्स को हर 6 घंटे बाद ऑटो लॉगआउट कर दिया जाएगा। इसके बाद फिर से मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन कर सिम की उपस्थिति की पुष्टि करानी होगी। 90 दिनों के अंदर यूजर्स को सिम से वेरिफिकेशन कर लेना होगा। दूरसंचार विभाग के सुरक्षा के उपमहानिदेशक सूर्य प्रकाश ने बताया कि यह व्यवस्था मोबाइल पहचान आधारित धोखाधड़ी, फेक अकाउंट और साइबर क्राइम पर प्रभावी रोक लगाने में सहायक होगी।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम की जांच सीबीआई करे, इंटरपोल से भी मदद लेंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को देशभर में डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच का आदेश दिया है। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से भी पूछा है कि साइबर ठगों के बैंक खाते एआई की मदद से फ्रीज कर सकते हैं या नहीं।
सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच के समक्ष एमिकस क्यूरी ने सोमवार को डिजिटल अरेस्ट, निवेश और पार्ट टाइम जॉब के नाम पर हो रहे साइबर अपराधों का उल्लेख किया था। बेंच ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर सीबीआई को तत्काल ध्यान देना जरूरी है। बेंच ने निर्देश दिया कि सीबीआई सबसे पहले डिजिटल अरेस्ट की जांच करे। अन्य श्रेणियों के साइबर क्राइम अगले चरणों में लिए जाएंगे।
कोर्ट ने केंद्र को सभी हितधारक मंत्रालयों से इनपुट पर विचार करने का निर्देश दिया। दूरसंचार विभाग को अगली सुनवाई पर मौजूद रहने को कहा गया है। यह आदेश अक्टूबर में शुरू हुए स्वतः संज्ञान केस में पारित किया गया है।
बेंच ने कहा कि
कोर्ट के संज्ञान के बाद भी डिजिटल अरेस्ट के केस आए हैं। ठग लगातार नए-नए नाम गढ़कर लोगों को ठग रहे हैं। पार्ट-टाइम जॉब घोटाले में पीड़ितों को पॉजिटिव रिव्यू जैसे काम के लिए लुभाते हैं और फिर उन्हें फुसलाकर बड़ी रकम वसूलते हैं।
निर्देशः जहां ठगों के खाते खोले गए, उन बैंकर्स की भी जांच की जाए
- डिजिटल अरेस्ट के लिए बैंक खाते खोलने में शामिल बैंकर्स की भूमिका की जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत की जा सकेगी|
- कोर्ट ने आरबीआई से मदद मांगी। पूछा- संदिग्ध खातों की पहचान/फ्रीज करने में एआई मशीन लर्निंग टूल्स लागू कर सकते हैं या नहीं।
- अपराध की गंभीरता और भारत की सीमा से परे फैलने की संभावना को देखते हुए सीबीआई जरूरत पड़ने पर इंटरपोल से मदद मांग सकती है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम 2021 के तहत आने वाले प्राधिकारियों को जरूरत पड़ने, सीबीआई के साथ सहयोग करना होगा।
- जिन राज्यों ने अभी तक सीबीआई को अपने यहां जांच की अनुमति नहीं दी है, उन्हें सहमति देने का निर्देश दिया गया है।
- सिम कार्ड या एक नाम पर कई सिम जारी करने में लापरवाही मिली तो दूरसंचार विभाग को सिम का दुरुपयोग रोकने की योजना पेश करनी होगी।
- राज्यों को स्टेट लेवल साइबर क्राइम सेंटर बनाने का निर्देश। दिक्कत हो तो कोर्ट को बताएं।
डिजिटल अरेस्ट में भारतीयों से 3 हजार करोड़ से ज्यादा ठगी
- डिजिटल अरेस्ट स्कैम से 3 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी हो चुकी है। 2024 में साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 1.23 लाख शिकायतें आई थीं। 2025 के पहले दो महीनों में 17,718 घटनाएं रिपोर्ट हुई।
- सबसे बड़ा निशाना बुजुर्ग हैं। 78% से 82% तक पीड़ित 60 साल से ऊपर होते हैं। कई जगह यह संख्या ११% तक है।
- जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच रिपोर्ट 46% साइबर धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट के तार म्यांमार, कंबोडिया और लाओस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से जुड़े थे।
काम की बात
कॉल आए तो फॉर्मूला याद रखें ‘स्टॉप, थिंक, एक्ट’
- स्टॉप… शांत रहें। हड़बड़ी में कोई भी व्यक्तिगत जानकारी न दें।
- थिंक… जांच एजेंसियां फोन पर पूछताछ या पैसे नहीं मांगती हैं।
- एक्शन… साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) पर रिपोर्ट करें।
- याद रखें डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी नियम भारत में नहीं है।
आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?
फायदा
- सुरक्षा बढ़ेगी
- फ्रॉड कम होगा
- फेक नंबर से धोखाधड़ी बंद
नुकसान
- एक नंबर को कई जगह इस्तेमाल करने वालों को परेशानी
- लैपटॉप/कंप्यूटर यूज़र्स को बार-बार लॉगिन करना पड़ेगा
- कस्टमर केयर, ऑफिस कार्य, बिज़नेस चैट पर असर पड़ेगा
निष्कर्ष
“बिना सिम के व्हाट्सएप और टेलिग्राम नहीं चलेगा” नियम भारत में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करेगा।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश डिजिटल arrest scam पर बड़ी कार्रवाई की दिशा में अहम कदम है।
आने वाले दिनों में ऑनलाइन मैसेजिंग और डिजिटल भुगतान दोनों और अधिक सुरक्षित हो जाएंगे।
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