भारत का एक ऐसा गाँव जहाँ – 400 करोड़ तक लोन मिलता है वो भी कैश में:-भारत में लोन लेने के लिए लोग बैंक, NBFC या ऑनलाइन लोन ऐप्स पर निर्भर होते हैं। लेकिन हरियाणा में एक ऐसा गाँव है जो हाल ही में पूरे देश की सुर्खियों में आ गया। कारण?
यहाँ लोग 400 करोड़ रुपये तक का कर्ज नकद में देते हैं, वो भी बिना किसी बैंक प्रक्रिया के।
यह खबर अचानक चर्चा में इसलिए आई क्योंकि दो पुलिस अधिकारियों की आत्महत्या के मामले में यह गाँव फिर से फोकस में आया, जहाँ बड़े पैमाने पर अवैध फाइनेंसिंग और कैश ट्रांजैक्शन होने की बात सामने आई।
आइए समझते हैं पूरी कहानी—
हरियाणा का एक गांव… 400 करोड़ रुपए तक का कर्ज नकद देता है !
बीते 14 अक्टूबर को रोहतक की साइबर सेल में तैनात सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार लाठर ने आत्महत्या कर ली थी। मरने से पहले उन्होंने वीडियो रिकॉर्ड कर आरोप लगाया था कि फाइनेंसर ‘मंजीत 6.3’ मर्डर केस से राव इंद्रजीत यादव का नाम हटाने के लिए हरियाणा के आईजी वाई वाई पूरन पूरन कुमार ने 50 करोड़ की घूस मांगी थी।
राव इंद्रजीत एक म्यूजिक कंपनी का मालिक है। हालांकि आरोप लगने से पहले ही आईजी सुसाइड कर चुके थे, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में हरियाणा के झज्जर जिले का एक गांव डीघल सुर्खियों में आ गया। 14 हजार की आबादी वाला दक्षिण हरियाणा का सबसे समृद्ध गांव। यहां झोपड़ी नहीं मिलेंगी। पक्की सड़कें और उनके किनारे बनी कोठियां ही नजर आएंगी।
इस बहुचर्चित घटनाक्रम की तह तक जाने के लिए जब भास्कर टीम डीघल पहुंची तो गांव की समृद्धि के हैरान करने वाले किस्से सामने आए। लोगों ने बताया कि
यह फाइनेंसरों का गांव है। 20 से 50 साल तक के करीब 1200 युवा हैं, जो 10 से 20 लाख रु. तक का पूल बनाकर बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स को 400 करोड़ रु. तक का लोन देते हैं। वो भी कैश में। पूरा धंधा सिर्फ जुबान और 5% मासिक व्याज पर चलता है। यानी एक करोड़ के लोन पर 5 लाख रु. ब्याज। ज्यादातर कर्जदार यूपी, राजस्थान, गुड़गांव, मुंबई, दिल्ली के रियल एस्टेट कारोबारी हैं। इनसे वसूली के लिए डीघल, गुड़गांव, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, जींद, कैथल के हजारों लड़के पूरे राज्य में लगे हुए हैं।
गांव वालों की बातों की पुष्टि हमने राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से की।
उन्होंने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि सारे फाइनेंसर डीघल और आसपास के गांवों के हैं, लेकिन धंधा दिल्ली-गुड़गांव से चलता है। लोन लेने वाली कंपनियां भी हजारों करोड़ के वैल्यूएशन वाली हैं। हमारे पास अब तक 5-10 करोड़ रु. के लोन वालों की ही शिकायतें आईं। जांच भी की, लेकिन बड़ा कर्ज लेने वाला कोई सामने नहीं आया। डीघल की पूर्व सरपंच और जिला परिषद सदस्य उर्मिला देवी के मुताबिक ये युवा पूरा लोन कैश देते हैं।
डीघल के एक फाइनेंसर ने बताया कि
यह मामला इतना हाई प्रोफाइल है कि कोई सामने नहीं आना चाहता। लेकिन, मंजीत 6.3 की हत्या ने इसे सुर्खियों में ला दिया। मंजीत के चाचा और डीघल के पूर्व सरपंच हंसराज अहलावत बताते हैं कि मंजीत 6 फीट 3 इंच लंबा था। हत्या से कुछ महीने पहले गांव के डेढ़ हजार युवा गुड़गांव के टायर बेचने वाले एक कॉर्पोरेट ग्रुप के दफ्तर पर प्रदर्शन करने गए थे, क्योंकि इन्होंने ईएमआई रोक दी थी। प्रदर्शनकारियों में मंजीत भी था। कई जिलों के इन युवाओं ने आपस में 10-20 लाख रु. पूल करके 200 करोड़ रु. से ज्यादा का कैश लोन कंपनी को दे रखा था।
राव इंद्रजीत ने कंपनी का ब्याज खुद तय करने की बात कही तो भारी विवाद हुआ।
इसके बाद विदेश में बैठे गैंगस्टर्स हिमांशु भाऊ और फरीदपुरिया की एंट्री हुई और 6 दिसंबर 2024 को मंजीत की हत्या कर दी गई। मामले में 20 लोग जेल में बंद हैं। लेकिन मुकदमे की चार्जशीट में कंपनी का नाम नहीं है। हंसराज के मुताबिक चार्जशीट में राव इंद्रजीत का नाम साजिशकर्ता के रूप में दर्ज है। इसे हटाने के बदले में आईजी वाई पूरन कुमार द्वारा 50 करोड़ रु. की रिश्वत मांगने का आरोप है। हरियाणा की सामाजिक कार्यकर्ता जगमति सांगवान कहती हैं कि दिल्ली-एनसीआर में ठेके पर नौकरियां शुरू हुई तो हमारे गांव के नौजवानों ने 10-20 हजार की नौकरी नहीं की। वे करोड़ों के कैश लोन के धंधे में जुट गए।
बैंक जैसे सौदे… 10 करोड़ के मुआवजे से मुनाफे का खेल
धंधा सालों से, पर विवाद सिर्फ एक
गुड़गांव के एक फाइनेंसर ने बताया कि इस धंधे में मुख्य तौर पर किसानों के बेटे शामिल हैं। अकेले डीघल में 1200 से ज्यादा युवा फाइनेंसर हैं। इनमें से ज्यादातर की जमीनें कॉरपोरेट या सरकार ने खरीदी हैं, जिसके बदले इन्हें 10 करोड़ तक का मुआवजा मिला है। इस रकम को बैंक में रखने या कोई धंधा करने पर वह मुनाफा नहीं हासिल होगा, जो 5 प्रतिशत मासिक के ब्याज पर मिलता है। आपस में पैसा पूल करके यह रकम इतनी बड़ी हो जाती है कि हम लोग बैंक जैसे सौदे करने लगते हैं। गुड़गांव वाले विवाद को छोड़कर काम अब भी सामान्य तरीके से चल रहा है।
लोन की शर्तें ये ही तय करते हैं…
फाइनेंसरों की जांच में जुटे एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘लोन देने से पहले फाइनेंसर 5% ब्याज जोड़कर मासिक चेक लेते हैं। 6 महीने पहले का बैंक खाता, टर्नओवर भी देखते हैं। मामला संदेहास्पद होने पर जमीन, मकान और कंपनी के मालिकाने के ओरिजिनल कागजात भी गिरवी रख लेते हैं। फिर सबसे जरूरी चीज होती है बीच में एक राजनीतिक-सामाजिक रूप से मजबूत आदमी का होना, जो दोनों की ओर से पंच की भूमिका निभाता है, क्योंकि पूरा सौदा जुबान और ताकत के दम पर चलता है।
गांव में खौफ… लोग कुछ बोल नहीं रहे, फाइनेंसरों के घर सुरक्षा
एक फाइनेंसर के घर तैनात गार्ड।
हंसराज ने बताया कि मंजीत की हत्या के बाद से डीघल के फाइनेंसरों के पास 5 से 10 करोड़ रु. की फिरौती के लिए फोन आने लगे। इसलिए मुझ समेत करीब 10 फाइनेंसरों को पुलिस ने सुरक्षा भी दी है। हमारे घर के बाहर 24 घंटे जवान तैनात रहते हैं। गांव में इतना तनाव है कि अहलावत खाप के प्रधान जय सिंह अहलावत दो टूक कहते हैं कि मैं फाइनेंस, फाइनेंसर और गैंगस्टर किसी के बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता।
2005 में 5-10 करोड़ देते थे, अब बेहिसाब दे रहे…
मैं जब 2005 में आईजी रोहतक था। तब फाइनेंसर ट्रक और कार का धंधा करने वालों को कैश लोन देते थे। हमारे संज्ञान में यह मामला तब आया, जब इनके गुंडे रास्तों से ट्रक और कार उठाने लगे। हमने इनके खिलाफ डकैती के मुकदमे दर्ज किए और गिरफ्तारियां कीं।
यह बचने के लिए हाईकोर्ट का ऑर्डर ले आए, जिससे यह साबित करना चाहते थे कि
इनकी अराजकता सही है। उस समय तक हमने जांच में पाया कि 5 करोड़ तक के फाइनेंसर हैं। फाइनेंस के धंधे ने गांवों में उस समय जड़ें जमायीं, जब यूपीए सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव किए और मुआवजे में भारी वृद्धि की। उसके बाद गांव, ज्वार और भाइचारे के नाम पर पैसा पूल होना शुरू हुआ, जो अब 200-400 करोड़ के लोन के रूप में कंपनियों को दिया जा रहा है। हजारों युवा सिर्फ इसी धंधे में जुट गए हैं।
निष्कर्ष — क्या यह मामला बड़ा घोटाला बन सकता है?
हाँ, विशेषज्ञों के मुताबिक:-
- 400 करोड़ नकद का लेनदेन
- गाँव के 1200+ फाइनेंसर
- कंप्यूटराइज्ड रजिस्टर
- बाहरी राज्यों से आने वाले लोग
- ब्याज का बड़ा खेल
यह सब संकेत देता है कि यहाँ सैकड़ों–हजारों करोड़ के कैश ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
यदि इस पर जाँच होती है, तो यह देश की सबसे बड़ी अनौपचारिक फाइनेंसिंग कड़ी बन सकती है।
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