सरकारी स्कूल में अगर सज संवर कर नहीं गए तो नहीं मिलेगा प्रवेश:-प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल के बच्चे भी अब वेल मेंटेन दिखेंगे। रोज स्नान करके स्कूल आएंगे। बाल सजे-संवरे रहेंगे और नाखून का शेप भी ठीक रहेगा।
सभी स्कूल के शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना है कि
बच्चे स्नान कर कटे-संवरे बाल और कटे नाखून में आएं। शिक्षा विभाग ने आरा अगले सत्र से सरकारी स्कूलों में बड़ा बदलाव लाने की योजना तैयार की है। राज्य में पहली से 12वीं कक्षा तक स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा। सभी जिलों को गाइडलाइन भेजी गई है, जिसका पालन सख्ती से करना होगा।
सरकारी स्कूलों में भी सज-संवर कर आएंगे बच्चे, रोज होगी बाल और नाखून की जांच
बच्चों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों की जवाबदेही बढ़ा दी गई है। शिक्षक प्रतिदिन संबंधित क्लास के बच्चों की निगरानी करेंगे। यह भी देखेंगे कि बच्चे पोशाक में स्कूल आएं। साथ ही अपने बस्ते में विद्यालय की समय-सारणी के अनुसार सभी विषयों की पाठ्य-पुस्तकें, नोटबुक, पेंसिल बाक्स व पानी का बोतल भी लाएं।
स्कूल प्रबंधन के साथ ही कक्षा, छात्र और अभिभावक प्रबंधन होगा प्रभावी
विभाग ने सरकारी स्कूलों के लिए स्कूल प्रबंधन, कक्षा प्रबंधन, छात्र प्रबंधन और अभिभावक प्रबंधन गाइडलाइन तैयार की है। विद्यालय प्रबंधन के तहत कक्षा प्रारंभ के 10 मिनट पहले शिक्षक आएंगे। विद्यालय परिसर में ई-शिक्षाकोष के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे और प्राचार्य के साथ बैठ कर उस दिन की शिक्षण योजना पर विमर्श करेंगे।
बच्चे स्नान कर अपनी पोशाक में आएंगे
इसके साथ ही चेतना सत्र में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए छात्रों को अनुशासित रखेंगे। चेतना सत्र में नैतिक मूल्यों पर चर्चा होगी। शिक्षक अभिभावक बैठक होगी। वहीं कक्षा प्रबंधन के तहत हर दिन तिथि, विषय व उपस्थित-अनुपस्थित बच्चों की संख्या अंकित होगी। वर्ग शुरू होने के पांच मिनट पहले संबंधित कर्मी से वर्गकक्ष की सफाई कराई जाएगी।
शिक्षकों के लिए निर्देश: पहले तैयार करें पाठ योजना
शिक्षकों के लिए भी विभाग की ओर से दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षक पाठ योजना का दृढ़ता से पालन करेंगे, अभ्यास पुस्तिका व लेखन पुस्तिका अपडेट कराएंगे। हर हफ्ते बच्चों का वीकली टेस्ट होगा, उसके प्रश्नपत्र क्वेश्चन बैंक या शिक्षक खुद तैयार करेंगे।
क्लास में पाठ्य पुस्तकों के पठन पर विशेष बल दिया जाएगा। शिक्षकों को यह भी कहा गया है कि बच्चों के अंग्रेजी भाषा में संप्रेषण कौशल विकसित करेंगे। हर तीन महीने पर बच्चों को प्रोग्रेस कार्ड मिलेंगे। बच्चों को नियमित रूप से होमवर्क मिलेंगे। हर दिन स्कूल छोड़ने से पहले शिक्षक अगले दिन की पाठ योजना तय करेंगे।
इधर, ज्ञानदीप पोर्टल पर 451 स्कूलों ने अपलोड नहीं की इनटेक कैपिसिटी
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन में निजी स्कूल अड़ंगा डाल रहे हैं। जिले में कुल 663 निजी स्कूल शिक्षा विभाग से रजिस्टर्ड हैं, जिसमें केवल 212 स्कूलों ने ही ज्ञानदीप पोर्टल पर इनटेक कैपिसिटी अपलोड की है। शेष 451 स्कूलों की ओर से रुचि नहीं लेने के कारण हजारों बच्चे नामांकन से वंचित हो सकते हैं। इसको लेकर शुक्रवार को जिला शिक्षा विभाग की ओर से संबंधित स्कूलों को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया है।
पहल •
शिक्षा विभाग ने जारी की गाइडलाइन, सभी स्कूलों में सख्ती से होगा पालन
निजी स्कूलों में आरटीई के तहत एडमिशन के लिए विभाग ने ऑनलाइन सिस्टम लागू किया है। पात्र बच्चों का सेंट्रलाइज्ड आवेदन लेकर राज्य कार्यालय से ही स्कूल आवंटित किया जाएगा। इसके लिए 25 जनवरी तक बच्चों के रजिस्ट्रेशन का समय दिया गया है। वहीं, स्कूलों को ज्ञानदीप पोर्टल पर इनटेक कैपिसिटी अपलोड करनी है, जिसको लेकर उदासीनता सामने आ रही है। शुक्रवार को निजी स्कूलों के प्रबंधक व प्राचार्यों की बैठक जिला स्कूल में बुलाई गई थी।
डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा है कि
सभी स्कूल हर हाल में एक सप्ताह के अंदर इनटेक कैपिसिटी पोर्टल पर अपलोड करें, ताकि मुख्यालय से नामांकन के लिए पात्र बच्चों को स्कूल आवंटित किया जा सके। बच्चों का अपार आईडी बनाने में भी निजी स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं है। राज्य स्तर पर समीक्षा के बाद मुजफ्फरपुर की रिपोर्ट खराब बताई गई है। इस है। इसको लेकर सभी स्कूल प्रबंधक व प्राचायों को कहा गया कि अपार आईडी जेनरेट करने में तेजी लाएं। ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर आधार आधारित बच्चों की इंट्री की भी समीक्षा की गई। इसमें 47 स्कूलों ने ब अबतक एक भी बच्चे की इंट्री नहीं की है। 45 स्कूलों में दो-चार बच्चों की ही अबतक इंट्री हो सकी है।
स्कूलों में विद्यार्थी ट्रिक से पढ़ेंगे, पाठ लंबे समय तक याद रहेगा
राज्य के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को ट्रिक जरिए पढ़ाया जाएगा। इसमें किसी पाठ को उनके जन्मदिन, माता- पिता के नाम, प्रसिद्ध जगह, फिल्म, खेल, खिलाड़ी के नाम सहित अन्य चीजों से जोड़ कर पढ़ाया जाएगा। इससे कम समय में ही पाठ को छात्र लंबे समय तक याद रख सकेंगे। हालांकि कई स्कूलों में शिक्षक अपने स्तर पर इस तरह से छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
शिक्षा विभाग की तैयारी पहले चरण में कला विषयों में लागू होगा
लेकिन शिक्षा विभाग इसे राज्यस्तर पर लागू करने की कोशिश कर रहा है। पहले चरण में कला, संगीत, नृत्य, ललित कला, रंगमंच, शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर विज्ञान, फाइन आर्ट्स विषय की जानकारी दी जाएगी। इसकी सफलता के बाद दूसरे चरण में गणित, विज्ञान, हिंदी, साइंस, एकाउंट पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही नोट्स भी तैयार करवाया जाएगा। जिसमें चित्र और अंक के साथ ही विभिन्न विषयों को लिखा जा सके।
बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कराई जाएगी
शिक्षा विभाग छात्रों को वार्षिक परीक्षा की तैयारी के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने की भी योजना बना रहा है। हालांकि इसके लिए स्कूलों में विशेष क्लास नहीं चलेगी। शिक्षक छात्रों को पढ़ाते समय बेसिक ज्ञान को नोट कराएंगे, जिससे बड़ी क्लास और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के समय उन्हें विषय की अच्छी समझ हो सके।
इस दौरान शिक्षक छोटे-छोटे बिंदुओं को भी बताएंगे। इस संबंध में शिक्षा विभाग का कहना है कि अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जिनको छात्र पढ़े रहते हैं, लेकिन तत्काल उसका सही आंसर नहीं देते हैं। ऐसे में बेसिक तैयारी होने पर बड़ी क्लास में भी छात्रों को पढ़ाई में आसानी होगी।
शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी
विभिन्न विषयों के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए विषय विशेषज्ञ की नियुक्ति की जा रही है। इसमें कला, संगीत, नृत्य, ललित कला, रंगमंच, शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर विज्ञान से संबंधित सरकारी और प्राइवेट अधिकारी आवेदन कर सकते है। इसमें सेवानिवृत्त अधिकारी, विषय से संबंधित अधिकारी, निजी कर्मचारी,
स्वयंसेवी संस्थान से जुड़े लोगों को नियुक्त किया जाएगा।
विषय विशेषज्ञों के पास मास्टर्स डिग्री होना अनिवार्य है। लेखनी व बोलने का कौशल होना चाहिए। विषय विशेषज्ञ कंप्यूटर, मोबाइल, विभिन्न एप की भी जानकारी रखते हो। इससे शिक्षकों को किसी विषय के बारे में तत्काल जानकारी मिल सके। इसके साथ ही छात्रों के पढ़ाते समय एप, मोबाइल का सहयोग ले सकें।
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