सोने और चांदी के दाम में गिरावट- व्यापारियों की ताजा लिवाली और मजबूत वैश्विक संकेतों के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत दो दिनों की गिरावट के बाद गुरुवार को 600 रुपये बढ़कर 1,24,700 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। चांदी की कीमत 1,800 रुपये बढ़कर 1,53,300 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
सोना 600 रुपये उछला, चांदी भी 1800 रुपये चढ़ी
बुधवार को गुरु नानक जयंती पर छुट्टी होने के कारण सर्राफा बाजार बंद रहे थे। वैश्विक स्तर पर, हाजिर सोना 28.96 डॉलर बढ़कर 4,008.19 डॉलर प्रति औंस हो गया जबकि हाजिर चांदी 1.22% बढ़कर 48.60 डॉलर प्रति औंस हो गई।
सोना 1,24,700 रुपये के स्तर पर पहुंचा
बाजार के जानकारों ने कहा सुरक्षित निवेश की मांग और अमेरिकी डॉलर में मामूली गिरावट आने से गुरुवार को सोने में तेजी आई। अमेरिका में सरकारी विभागों के वित्तीय प्रावधान न होने से जारी शटडाउन सबसे लंबा शटडाउन बन गया है। इस लंबे शटडाउन ने वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता पैदा कर दी है, जिसका फायदा सुरक्षित निवेश वाली कीमती धातुओं को मिल रहा है।
1 डॉलर ₹88.63 का, इससे सोने के दाम में फिर आ सकती है तेजी
भारतीय करेंसी रुपया, एक बार फिर बड़ी कमजोरी देख रहा है। गुरुवार को एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए 88.63 रुपए देने पड़े। यह उस रिकॉर्ड निचले स्तर (88.97/डॉलर) के बहुत करीब है, जिसे हमने इसी साल सितंबर में देखा था। पिछले एक साल में रुपया करीब 5% कमजोर हो चुका है। इसका सीधा असर सोने की कीमत, हमारी अर्थव्यवस्था और रोज इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों पर पड़ सकता है। चूंकि इसके चलते पेट्रोल, डीजल, सीएनजी महंगे हो सकते हैं, लिहाज माल ढुलाई का खर्च बढ़ सकता है।
हर वो चीज महंगी हो सकती है, जो बाहर से घरों तक पहुंचती है
ऐसे में हर वो चीज महंगी हो सकती है, जो कहीं और से हमारे घरों तक पहुंचती है। कमजोर रुपया सीधा सोने कीमत बढ़ा सकता है। रुपए में 1% गिरावट आने से वायदे में यानी एमसीएक्स पर सोने की कीमत 0.7-1% बढ़ जाती है। इसका असर सराफा बाजार पर भी होता है, जहां कीमतों का रुझान वायदा बाजार से संकेत लेता है। हालांकि कमजोर रुपए से उन परिवारों का फायदा भी होता है, जिन्हें विदेश में रहने वाले किसी सदस्य से डॉलर में मनी ऑर्डर आता है।
विदेशी निवेश निकलने, कूड महंगा होने से ₹ में कमजोरी
विदेशी पैसा निकल रहा
सितंबर से अब तक विदेशी संस्थाओं ने भारतीय बाजार से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए के बराबर डॉलर निकाले क्योंकि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.5% से ऊपर जाने से भारतीय इक्विटी कम आकर्षक हो गए हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ी और रुपए की घटी।
महंगे तेल का आयात
कच्चे तेल के दाम 65 डॉलर बैरल से ऊपर निकल गए। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर तक एक साल में क्रूड के दाम करीब 5% बढ़ गए। भारत 85% कच्चा तेल आयात करता है, जिसके पेमेंट के लिए देश में डॉलर की मांग बढ़ी है।
कमजोरी के फायदे भी…
कमजोर रुपए से उन परिवारों का फायदा होगा, जिन्हें विदेश में रहने वाले किसी सदस्य से डॉलर में मनी ऑर्डर आता है। भारत में डॉलर भुनाने पर रुपए में अब पहले से करीब 5% ज्यादा रकम मिलेगी।
आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल कंपनियों की कमाई में 80% तक हिस्सेदारी निर्यात की है। यानी डॉलर में आय होती है। आय बढ़ने से ये विस्तार करेंगी। नौकरियां बढ़ सकती हैं।
देश को सस्ते सोने का फायदा नहीं मिल रहा
डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट को भारत में पूरी तरह ट्रांसलेट होने से रोक रही है। मतलब यदि आप किसी और देश में सोना खरीदेंगे तो फायदे में रहेंगे। इसके अलावा यदि रुपया और कमजोर हुआ तो विदेशी पूंजी की आमद भी कम हो जाएगी।
अगर रुपया 89 प्रति डॉलर तक गिरता है तो फिर से सोने के दाम बढ़ना शुरू हो जाएंगेः त्रिवेदी
सोना महंगा होगाः एलकेपी सिक्युरिटीज के वीपी (करेंसी-कमोडिटी रिसर्च) जतीन त्रिवेदी ने कहा, ‘यदि रुपया 89 से नीचे आता है तो यह 90 प्रति डॉलर तक गिर सकता है। ऐसे में सोने की कीमत 1.24 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है।’ गुरुवार को देश में 24 कैरेट सोने की औसत कीमत 1.21 लाख रुपए से कम रही।
महंगाई बढ़ेगी
पेट्रोल, डीजल, खाद्य तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयातित सामान महंगे होंगे। यदि रुपए में गिरावट नहीं थमी तो घरेलू बजट पर 5-7% अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है।
विदेश यात्रा/पढ़ाई महंगी
रुपए में 5% गिरावट से डॉलर में खर्च बढ़ेगा। 1 करोड़ रु. के बजट पर 5 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च करना होगा। 2018 से अब तक इसमें करीब 24% बढ़ोतरी हो चुकी है।
वर्तमान स्थिति और कारण
वर्तमान में (7 नवंबर, 2025 तक), भारत के विभिन्न शहरों में सोने और चांदी की कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। कई जगहों पर कीमतों में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण ये हैं:
- मुनाफावसूली: रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद निवेशकों द्वारा मुनाफा कमाने के लिए बिकवाली।
- वैश्विक तनाव में कमी: भू-राजनीतिक तनाव कम होने से ‘सुरक्षित निवेश’ (safe-haven) के रूप में सोने की मांग में कमी आई है।
- मजबूत अमेरिकी डॉलर: डॉलर के मजबूत होने से सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती हैं।
- मौसमी मांग में कमी: दिवाली जैसे त्योहारों के बाद मौसमी मांग में कमी आना भी एक कारण है।
कब महंगे होंगे दाम?
कीमतों में फिर से उछाल आने की संभावना निम्नलिखित स्थितियों पर निर्भर करती है:
- वैश्विक अनिश्चितता: यदि वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता या भू-राजनीतिक तनाव फिर से बढ़ता है, तो निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में सोने और चांदी की ओर रुख करेंगे, जिससे कीमतें बढ़ेंगी।
- डॉलर में कमजोरी: यदि अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें आमतौर पर बढ़ जाती हैं।
- औद्योगिक मांग में सुधार: औद्योगिक मांग में सुधार होने पर चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है।
- शादी का सीजन: भारत में शादी-ब्याह के सीजन के दौरान स्थानीय मांग बढ़ने से भी कीमतें प्रभावित होती हैं।
संक्षेप में, कीमतों में गिरावट अस्थायी हो सकती है, और बाजार विशेषज्ञ भविष्य में सोने और चांदी को केंद्रीय बैंक की नीतियों और औद्योगिक मांग के चलते समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे दाम फिर बढ़ सकते हैं।
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