स्कूल में अब हाजरी आपके चेहरे से बनेगी- इस दिन से:-राज्य भर के स्कूलों में अब पारंपरिक उपस्थिति प्रणाली (Attendance Register) की जगह फेस रिकग्निशन (Face Recognition) तकनीक ले रही है। यानी अब बच्चों की हाजिरी शिक्षक की आवाज़ नहीं, बल्कि चेहरे की पहचान से लगेगी। यह डिजिटल कदम शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और तकनीकी उन्नति की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
स्कूलों में बच्चों की हाजिरी अब उनके चेहरों से बनेगी
राज्य भर के सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अब हाजिरी को लेकर सख्ती होगी। इसमें किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकेगा।
इस व्यवस्था को लागू करने के लिए एजेंसी का चयन किया गया
अब राज्य भर के 76 हजार हजार स्कूलों में चेहरे की पहचान आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली से उपस्थिति बनाने की व्यवस्था लागू होने जा रही है। इससे पहले राज्य के पांच जिले के पांच-पांच स्कूलों में तीसरी कक्षा के बच्चों की हाजिरी बनाने से इसकी शुरुआत हुई थी।
एजेंसी जिला स्तर इसके लिए प्रशिक्षण देगी, बीईपीसी के एसपीडी ने डीईओ को लिखा पत्र
इसमें सफलता मिलने के बाद राज्य भर में इसके रॉलआउट को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक (एसपीडी) मयंक वरवड़े ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (ईई-एसएसए) को पत्र लिखा है।
हाजिरी टैबलेट के माध्यम से बनाई जाएगी
हाजिरी टैबलेट के माध्यम से बनाई जाएगी। इस कार्य के लिए एजेंसी का चयन किया गया है। एजेंसी की ओर से इसको लेकर जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। टैबलेट में एप्लीकेशन डाउनलोड किया जाएगा। एसपीडी ने जिला स्तर पर इससे संबंधित सभी तरह के कार्य के लिए डीपीओ को नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश डीईओ (डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर) को दिया है। इसके अनुश्रवण को लेकर टीम के गठन का भी निर्देश एसपीडी ने सभी डीईओ को दिया है।
चेहरे की पहचान आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे के डिजिटल चित्र के जरिए उसकी पहचान करती है और उसे सत्यापित करती है।
ये फायदे होंगे
सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अब हाजिरी को लेकर छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी। समय की बचत होगी। स्वचालित होने से मैन्युअल एंट्री की गलती का गुंजाइश नहीं रह जाएगी।
- पटना, नालंदा, वैशाली, जहानाबाद, सारण और भोजपुर के बाद अब राज्य भर में होगा लागू
कब से लागू होगी नई व्यवस्था?
शिक्षा मंत्रालय ने तय किया है कि फेस रिकग्निशन अटेंडेंस सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों में लागू किया जाएगा।
- पहले चरण में यह प्रणाली 1 दिसंबर 2025 से राजधानी और जिला मुख्यालयों के स्कूलों में शुरू की जाएगी।
- दूसरे चरण में इसे ग्रामीण व प्रखंड स्तर के स्कूलों में मार्च 2026 तक लागू किया जाएगा।
फेस रिकग्निशन हाजिरी सिस्टम क्या है?
फेस रिकग्निशन हाजिरी सिस्टम एक AI आधारित तकनीक है, जिसमें छात्र का चेहरा कैमरे के माध्यम से स्कैन किया जाता है।
सिस्टम उस चेहरे को डेटाबेस में मौजूद छात्र की जानकारी से मिलान करता है और स्वचालित रूप से उपस्थिति दर्ज कर लेता है।
इसमें शिक्षक को रोज़ाना उपस्थिति लिखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी — सब कुछ डिजिटल तरीके से मोबाइल या टैबलेट पर हो जाएगा।
यह सिस्टम कैसे काम करेगा?
- छात्र का डेटा अपलोड:–
हर छात्र की फोटो और बुनियादी जानकारी (नाम, कक्षा, रोल नंबर, स्कूल कोड आदि) ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। - फेस स्कैन:–
स्कूल में लगे कैमरे या शिक्षक के मोबाइल ऐप से रोज़ाना चेहरे की स्कैनिंग की जाएगी। - ऑटो अटेंडेंस अपडेट:–
जैसे ही चेहरा स्कैन होता है, अटेंडेंस रियल टाइम में शिक्षा विभाग के सर्वर पर अपडेट हो जाएगी। - पैरेंट नोटिफिकेशन:–
बच्चों के स्कूल पहुँचते ही माता-पिता को SMS या ऐप के ज़रिए सूचना मिलेगी कि उनका बच्चा उपस्थित है या अनुपस्थित।
इस तकनीक के पीछे कौन-सी एजेंसी है?
शिक्षा विभाग ने इस प्रोजेक्ट के लिए NIC (National Informatics Centre) और MeitY (Ministry of Electronics & IT) के साथ मिलकर काम शुरू किया है।
इसके अलावा Microsoft Azure Cloud या AWS जैसे सुरक्षित सर्वर पर डेटा को स्टोर किया जाएगा ताकि कोई डेटा लीक न हो।
कौन-सा ऐप इस्तेमाल किया जाएगा?
इस सिस्टम के लिए एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया गया है जिसका नाम होगा “School Attendance App”।
इसमें शिक्षक अपने मोबाइल या टैबलेट से छात्रों की रियल टाइम उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे।
यह ऐप Google Play Store और UMANG Portal दोनों पर उपलब्ध होगा।
इस प्रणाली के मुख्य लाभ
- हाजिरी में पारदर्शिता: कोई भी छात्र या शिक्षक फर्जी हाजिरी नहीं लगा सकेगा।
- समय की बचत: रोज़ाना 10-15 मिनट की मैनुअल अटेंडेंस प्रक्रिया खत्म।
- ऑटो रिपोर्टिंग: ऑनलाइन डेटा से हफ्ते/महीने की रिपोर्ट अपने आप बन जाएगी।
- अभिभावक निगरानी: पैरेंट्स तुरंत जान पाएंगे कि उनका बच्चा स्कूल पहुँचा या नहीं।
- डिजिटल इंडिया का समर्थन: यह कदम शिक्षा क्षेत्र को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में मदद करेगा।
छात्रों और शिक्षकों को क्या तैयारी करनी होगी?
- हर छात्र को स्कूल में अपनी फोटो और Aadhar से लिंक ID देना होगा।
- शिक्षक को अपने मोबाइल ऐप या टैबलेट में सिस्टम इंस्टॉल करना होगा।
- स्कूल प्रशासन को Wi-Fi या इंटरनेट सुविधा सुनिश्चित करनी होगी ताकि डेटा तुरंत अपलोड हो सके।
- बिजली और नेटवर्क समस्या वाले इलाकों में ऑफलाइन मोड भी रहेगा, जिससे बाद में डेटा सिंक किया जा सके।
क्या डेटा सुरक्षित रहेगा?
सरकार ने बताया है कि सभी छात्रों का डेटा एन्क्रिप्टेड सर्वर में रखा जाएगा।
किसी भी तीसरे पक्ष को यह जानकारी नहीं दी जाएगी।
डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के नियमों के तहत यह सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
भविष्य में और क्या बदलाव होंगे?
- फेस रिकग्निशन के साथ-साथ आवाज और फिंगरप्रिंट पहचान को भी सिस्टम में जोड़ा जा सकता है।
- छात्रों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट, होमवर्क स्टेटस और डिजिटल मार्कशीट भी इसी पोर्टल से लिंक होंगी।
- स्कूलों में AI कैमरे और स्मार्ट बोर्ड की स्थापना का भी प्लान है।
निष्कर्ष
भारत के स्कूलों में अब “चेहरे से हाजिरी” का नया दौर शुरू होने जा रहा है।
यह बदलाव सिर्फ उपस्थिति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह शिक्षा को और पारदर्शी, सुरक्षित और डिजिटल बनाएगा।
अब बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर में नहीं, बल्कि AI कैमरे में दर्ज होगी — जो भविष्य की शिक्षा व्यवस्था की दिशा तय करेगा।
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