बीपीएससी टॉपर की सफलता की कहानी आपको रूला देगी – यहाँ से पढ़े टॉपर की कहानी:-बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने मंगलवार को 69वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है। इसमें 470 परीक्षार्थी सफल हुए है, हालांकि पदों की संख्या 475 है।
बीपीएससी 69वीं का फाइनल रिजल्ट जारी, सीतामढ़ी के उज्ज्वल बने टॉपर
इसमें उज्ज्वल कुमार उपकर पहले स्थान पर आए हैं। टॉप-10 में एक मात्र महिला क्रांति कुमारी है। इनका रैंक छठा है। पद रेवन्यू ऑफिसर का है। टॉप-10 में पहले और दूसरे रैंक वाले इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं। जबकि 2 टॉपर की मां आंगनबाड़ी सेविका है। पहले चार स्थानों पर चयनित अभ्यर्थियों ने बिहार पुलिस सेवा (बीपीएस) को पहली वरीयता दी हैं। 475 पदों के लिए 31 अगस्त को मुख्य परीक्षा हुई थी। जिसमें 1295 अभ्यर्थी सफल हुए थे। जिनका साक्षात्कार 15 अक्टूबर को था।
470 सफल… मेंस 31 अगस्त को इंटरव्यू 15 अक्टूबर को हुआ था
69वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के तहत डीएसपी के पद पर उज्जवल कुमार उपकर प्रथम, सर्वेश कुमार द्वितीय और शिवम तिवारी को तीसरा स्थान मिला है। पुलिस उपाधीक्षक तकनीकी के पद पर आनंद कुमार का सेलेक्शन हुआ है। बाल विकास पदाधिकारी में प्रमोद यादव टॉप किए है। जबकि सौरव प्रसाद द्वितीय और अंशु राज तृतीय स्थान पर है। जबकि जिला कमाडेंट में अभिषेक राज का चयन हुआ है। जेल अधीक्षक के पद अंशु राज को प्रथम स्थान मिला है। जबकि मनीष कुमार को द्वितीय, राकेश कुमार को तृतीय स्थान मिला है। लेबर ऑफिसर के पद छाया कुमारी को पहला स्थान, शोभा कुमारी को द्वितीय और वसीम को तीसरा स्थान मिला है।
भास्कर Explainer स्वीकृत पद 475… 470 ही चुने गए
69वीं बीपीएससी में परीक्षा 475 पदों के लिए हुई थी। मंगलवार को जारी फाइनल रिजल्ट में 470 ही अंतिम रूप से चुने गए हैं। 5 पद रिक्त रह गए। 475 पदों में से एकीकृत संयुक्त प्रतियोगिता के तहत 362 पद, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के 10 पद, वित्तीय प्रशासनिक पदाधिकारी व समकक्ष के 100 पद और पुलिस उपाधीक्षक (परिचालन) और उपाधीक्षक (तकनीकी) के 3 पद थे। 69वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के 362 पदों के लिए 1005 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया था। इसमें 33 अनुपस्थित रहे।
जिसमें 361 अभ्यर्थियों को अंतिम रुप से चयनित किया गया।
इसमें 1 पद खाली रहा। वित्तीय प्रशासनिक पदाधिकारी एवं समकक्ष के 100 पदों के लिए 262 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किए गए थे। साक्षात्कार में 253 अभ्यर्थी शामिल हुए और 9 अनुपस्थित थे। अंतिम रुप से 98 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इसमें 2 पद खाली रहा। पुलिस उपाधीक्षक (परिचालन) एवं उपाधीक्षक (तकनीकी) के 3 पदों के लिए 1 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किया गया था। जिसे साक्षात्कार में भी चयनित कर लिया गया। इस दौरान 2 पद रिक्त हो गए।
टॉप-10 में एक महिला… दो इंजीनियर
रैंक | नाम | आवंटित |
1 | उज्वल कुमार | बिहार पुलिस सेवा |
2 | सर्वेश कुमार | बिहार पुलिस सेवा |
3 | शिवम तिवारी | बिहार पुलिस सेवा |
4 | पवन कुमार | बिहार पुलिस सेवा |
5 | विनीत आनंद | असि. रजिस्ट्रार |
6 | क्रांति कुमारी | राजस्व |
7 | संदीप कुमार सिंह | बिहार पुलिस सेवा |
8 | राजन भारती | बिहार पुलिस सेवा |
9 | चंदन कुमार | राजस्व सेवा |
10 | नीरज कुमार | इंप्लायमेंट ऑफिसर |
बीपीएससी टॉपर्स ने कहा- सेल्फ स्टडी जरूरी, निरंतर पढ़ने से सफलता जरूर मिलेगी
उज्ज्वल कुमार की मां आंगनबाड़ी सेविका, का, पिता पिता चलाते हैं कोचिंग
बीपीएससी टॉपर सीतामढ़ी के उज्ज्वल कुमार उपकार रायपुर गांव के हैं। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा प्रयास जारी रखा और हिंदी माध्यम से पढ़कर सफलता पाई है। गांव से ही 10वीं की परीक्षा पास की, जबकि 12वीं किसान कॉलेज बरियारपुर से पास की। उनके पिता सुबोध कुमार गांव में कोचिंग चलाते हैं और मां आंगनबाड़ी सेविका हैं। उज्वल ने एनआईटी उत्तराखंड से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। उन्हें प्रशासनिक सेवा में योगदान देना था। उनका कहना है कि इसकी मदद से समाज की समस्या को ठीक कर सकेंगे। 67वीं बीपीएससी में 496 रैंक मिली थी। वे जुलाई 2024 से हाजीपुर में बीडब्ल्यूओं के पद पर हैं।
पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को ग्रंथ बना लें, मिलेगी सफलता : सर्वेश
बीपीएससी परीक्षा में सेकेंड टॉपर सर्वेश कुमार ने कहा कि उनके पिता निजी स्कूल में शिक्षक हैं और र बहुत संघर्ष से पढ़ाया। उन्हीं के सपोर्ट से चौथी बार में मुझे यह सफलता मिली है। इसमें माता, पिता, पत्नी सहित सबने मदद की। वे गया के हैं और वहीं से बिहार बोर्ड से पढ़ाई की। अगरतला एनआईटी से बीटेक किया है। पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने से एक। दिन सफलता जरूर मिलेगी। पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को अपना ग्रंथि बना लें। नेगेटिविटी और डिस्ट्रैक्शन से दूर रहने की जरूरत है। मुझे डीएसपी मिला है। मैं आम लोगों के साथ पुलिस फ्रेंडली रिलेशन के साथ लॉ एंड आर्डर को ठीक रहने में योगदान देना चाहता हूं।
दो बार दी परीक्षा, तीसरे प्रयास में सफलता मिली : शिवम तिवारी
बीएसएससी 69वीं में धई टॉपर शिवम तिवारी उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले हैं। वे कहते हैं कि सेल्फ स्टडी से उन्हें कामयाबी मिली है। वह फिलहाल प्रयागराज के कौशांबी में समाज कल्याण विभाग में कोसे को-आर्डिनेटर के पद पर संविदा पर तैनात हैं। इससे पहले उन्होंने दो बार बीपीएससी की परीक्षा दी थी, यह उनका तीसरा प्रयास रहा। उनके पिता बृजेश तिवारी शहर में रिटायर्ड कर्मचारी हैं और उनकी माता अनिता कुमारी प्रहिणी हैं। वे दो भाई हैं। इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। शिवम के पिता कड़ी मेहनत कर शिवम की पढ़ाई के लिए हमेसा प्रयासरत्न रहे। जिसे शिवम ने भी स्वीकार किया।
सेल्फ स्टडी के जरिए हासिल किया मुकाम: पवन कुमार
चोएसएससी परीक्षा में फोर्थ टॉपर पवन कुमार बक्सर के सोनबरसा के हैं। उन्होंने तीसरी बार में यह कामयाबी हासिल की है। ये कहते हैं कि सेल्फ स्टडी के साथ कोचिंग भी कारगर साबित हुआ, जिससे उन्हें सफलता मिली है। वह छात्र हैं और यूपीएससी के लिए कोचिंग ली थी। उनके पिताजी नहीं है और मां पूर्व जिला पार्षद नवानगर रह चुकी हैं। वे दो भाई तीन बहन हैं। कामयाबी का श्रेय मां और भाई-बहन को देना चाहते हैं। छात्रों को पढ़ाई के लिए कोचिंग का सहारा लेना चाहिए जिससे उनकी जिज्ञासा और जानकारी दोनों में इजाफा होता है। परीक्षा का पैटर्न भी आसानी से समझ में आता है।
कृषि क्षेत्र के विकास के लिए काम करूंगा: विनीत आनंद
पांचवें टॉपर विनीत आनंद कहते हैं कि मेरे पिता नहीं हैं, माता जी पेंशनर हैं, बहन सब इंस्पेक्टर हैं। दोनों के सहयोग से मैंने पढ़ाई की और सफलता मिली है। फाउंडेशन में मुझे कोचिंग का लाभ मिला है। वाको सेल्फ स्टडी की। सारण के मशरक पकड़ी का है। गांव में ही पढ़ाई लिखाई हुई। बाद में दिल्ली में रहकर तैयारी की। एनसीईआरटी A किताबें बेसिक के लिए जरूरी है। हिंदी मीडियम से पढ़कर मैंने सफलता पाई है। यूपीएससी की तैयारी भी कर रहा था। लगातार पढ़ाई जरूरी है। कितने घंटे पढ़ें, इससे तैयारी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। ध्यान देने पर सफलता अवश्य मिलेगी।
शिक्षा के महत्व को बखूबी समझती हूं: क्रांति कुमारी
क्रांति कुमारी 5 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने सेल्फ स्टडी से बीपीएससी परीक्षा में छठा रैंक हासिल किया है। वे औरंगाबाद की हैं। पिता रामाशीष प्रजापति झारखंड पुलिस में दारोगा हैं। कामयाबी का श्रेय को अपने माता-पिता और भाई को देना चाहती हैं। पढ़ाई से काफी लगाव था। शिक्षा के महत्व को बखूबी समझती हूं। दो बार यूपीएससी की परीक्षा में भी शामिल हो चुकी है। समाज में शिक्षा के महत्व को समझाना सबसे बड़ा काम है। में अपने दायित्व के स्वथ शिक्षा के महत्व को भी बताऊंगी जिससे समाज में जागरूकता फैले।
सफलता के लिए धैर्य अवश्य रखें : संदीप कुमार सिंह
बीपीएससी में रैंक 7 प्राप्त गोपालगंज के संदीप कुमार सिंह ने कहा कि सफलता की प्राप्ति के लिए श्रेयं बहुत जरूरी है। यह मेरी तीन वर्षों की मेहनत का नतीजा है। तीसरे अटेंप्ट में मुझे यह सफलता हासिल हुई है। मुझे डीएसपी पद मिला है। सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देना चाहता हूं। मैंने पिछले दो सालों से दिल्ली में रहकर परीक्षा की तैयारी की थी। मैंने परीक्षा की तैयारी के लिए प्रतिदिन छह से सात घंटे तैयारी की थी। मेस परीक्षा के दौरान प्रतिदिन आठ से 10 घंटे तक पढ़ाई की। परीक्षा की तैयारी करने कड़ी मेहनत करने के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें की सफलता के हासिल करने के लिये धैर्य अवश्य रखें।
दारोगा राजन को कड़ी मेहनत ने दिलाई सफलता, बन गए डीएसपी
सीवान के मदेशिलापुर पश्चिम टोला गांव के राजन भारती ने बीपीएससी परीक्षा में हवां स्थान पाया है। उन्हें दूसरे प्रयास में सफलता मिली। राजन ने गांव में रहकर ही 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद पटना आ गये। साल 2019 में पीयू से भूगोल में स्नातक किया। राजन ने कहा मां रीता देवी आंगनबाड़ी सेविका है, जबकि पिता सरपंच हैं। राजन अभी राजगीर में दारोगा की ट्रेनिंग में हैं। उन्होंने हाल ही में दारोगा को परीक्षा पास की थी। अब बीपीएससी में भी सफलता मिली है। 68वीं बीपीएससी में कुछ हो नंबर से रह गए थे। राजन कहते हैं कि सुबह की पढ़ाई काफी महत्वपूर्ण होती है। इसलिए, सुबह 5 बजे उठकर पढ़ता था। डेली रूटीन को भी फॉलो करता था।
जॉब में रहते हुए ऑनलाइन की पढ़ाई और पाई सफलता: चंदन
बीपीएससी में नौवां स्थान प्राप्त करने वाले गया के चंदन कुमार पोस्टल डिपार्टमेंट में गया डिवीजन ऑफिस में क्लर्क हैं। इन्होंने तीसरे अरेप्ट में परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की है। जॉब में रहते हुए उन्होंने ऑनलाइन कतास के जरिए प्रतिदिन 5 से 6 घंटे पढ़ाई कर कामयाबी हासिल की है। इनके पिता अरुण कुमार शर्मा किसान हैं और माता श्यामा देवी ग्रहिणी हैं। साधारण परिवार में जन्में चंदन बचपन से ही मेधावी थे। वे अपनी नौकरी के दौरान जो भी समय मिलता था उसमें ये ऑनलाइन पढ़ाई करते थे। जिससे उन्हें यह सफलता मिली है।
जमुई के नीरज ने सेल्फ स्टडी से हासिल की 10वीं रैंक
10वां स्थान हासिल करने वाले नीरज कुमार जमुई जिले के सिंगारपुर खैरा प्रखंड का रखने वाले हैं। उन्होंने बताया कि यह मेरा यह चौथा प्रयास था। इससे पहले जब भी शामिल हुआ पीटी उत्तीर्ण हुआ लेकिन मेन्स उत्तीर्ण नहीं हो सका था। लेकिन, मैंने हार नहीं मानी और तैयारी और। दोगुने मेहनत के साथ जारी रखी। मैंने बिहार बोर्ड से पढ़ाई की। मैंन एएनएस कॉलेज बाढ़ मगध विवि से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। इसके बाद से ही मैंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया और तैयारी प्रारंभ कर दी। मेरे पिता पेशे से व्यवसायी है और मां गृहिणी हैं। मां-पिता दोनों का सहयोग हमेशा रहा।
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