कड़ाके की ठंड शुरू | स्कूल कॉलेज में छूट्टी | विश्व के सबसे ठंडा शहर के बारे में जाने
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कड़ाके की ठंड शुरू | स्कूल कॉलेज में छूट्टी | विश्व के सबसे ठंडा शहर के बारे में जाने

कड़ाके की ठंड शुरू | स्कूल कॉलेज में छूट्टी | विश्व के सबसे ठंडा शहर के बारे में जाने:-राज्य में बर्फीली हवाओं के चलते कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गुरुवार को दिनभर रह-रह कर धूप निकलती रही, लेकिन इसका कोई असर नहीं था। धूप में भी ठिठुरन भरी ठंड महसूस हो रही थी।

राज्य के उत्तर और पश्चिम हिस्से में अगले 24 घंटे में कोल्ड डे का अलर्ट जारी किया गया है। किशनगंज में सबसे अधिक ठंड व ठिठुरन रही। मौसम विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे कम तापमान बांका और डेहरी का 4.4 डिग्री सेल्सियस रहा।

धूप और धुंध की वजह से आसमान भी साफ नहीं था। पटना का न्यूनतम तापमान बुधवार के मुकाबले 0.6 डिग्री गिर कर 10.6 डिग्री पर पहुंच गया, लेकिन अधिकतम तापमान 1.4 डिग्री ऊपर चढ़कर 16.4 डिग्री पहुंच गया। मौसम विज्ञान केन्द्र की माने तो अभी दो और पश्चिमी विक्षोभ आने वाला है। इससे तापमान और ऊंच-नीच संभव है।

छह जनवरी के बाद फिर कड़ाके की ठंड की चपेट में पूरा प्रदेश होगा। मौसम विज्ञान केन्द्र ने अगले 24 घंटे में उत्तर और पश्चिमी बिहार के कुछ इलाकों में कोल्ड डे का भी अलर्ट जारी किया गया है। मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, सहरसा, मधुबनी और समस्तीपुर के एक दो इलाकों में कोल्ड डे रहेगा। इसके अलावे पश्चिमी बिहार के रोहतास, बक्सर, अरवल और कैमूर में भी कोल्ड डे रहने की संभावना है। कोल्ड डे पर मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है। लोगों से सावधानी बरतने को कहा है।

शहरअधिकतम तापमान न्यूनतम
पटना16.410.6
मुजफ्फरपुर17.812.5
गया16.87.8
बांका18.46.7
औरंगाबाद196.7
राजगीर15.67.7

ठंड बढ़ने पर परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रमंडलीय संगठन प्रभारी लखन लाल निषाद ने बच्चों के स्वास्थ्य – को देखकर स्कूलों को बंद करने की मांग की है। पहली जनवरी से ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। साथ ही पछुआ हवा के कारण कनकनी भी – बढ़ी है। इससे बच्चे प्रभावित हो -सकते हैं। डीएम से आग्रह किया है कि ठंड को देखते हुए स्कूलों को बंद किया जाए। संघ के प्रमंडलीय प्रभारी लखन लाल निषाद ने कहा कि पिछले वर्ष ठंड को देखते हुए विद्यालय बंद नहीं किया गया था। इस कारण मुजफ्फरपुर में बच्चे की मौत हुई थी। उस समय अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग केके पाठक थे और उनकी मनमानी के कारण स्कूल बंद नहीं हुए थे।

हिमयुग को देखना और जीना हो तो रूस के साइबेरियाई शहर याकुत्स्क आएं। गुरुवार सुबह के 8 बजे रहे हैं और में अभी है दुनिया के सबसे सर्द शहर में। मेरी स्मार्ट वॉच में तापमान दिखा रहा है माइनस 55 डिग्री। इस शहर में 9 महीने बर्फ गिरती है, क्योंकि वह उत्तरी ध्रुव से 430 किमी ही दूर है।

में सारखा जनजाति से हूं और हम खून जमा देने वाली ठंड से लड़ते नहीं, बल्कि इसके साथ जीते हैं। हमारे पुरखों ने ये मंत्र 20 हजार साल में सीखा है। याकुलक में सर्दियों में न्यूनतम तापमान माइनस 60 डिग्री तक गिरता है और गर्मियों में माइनस 33 से-351 डिग्री। इतनी सदी में जोने के हमारे चार सीक्रेट हैं।

पहनावा, खानपान, सावधानी और ढेर सारा हौसला। हम 7 लेयर के कपड़े पहनते हैं। ध्यान रखते हैं कि कभी भी 15 मिनट से ज्यादा खुले में नहीं रहें वरना फ्रॉस्ट बाइट (बर्फ की पार) से जिंदा जम जाने का खतरा रहता है। रूस की दो तिहाई जमीन पांफ्रॉस्ट यानी जमी हुई है। ये गर्मी में पिचलती है, इसलिए याकुत्स्क में घर खंभों पर बनाते हैं।

सर्दियों में दिन में कभी-कभार एक घंटे ही धूप खिलती है। इसी वक्त लोग कपड़े सुखाते हैं और खुद को भी सेंक लेते हैं। यहां गीले कपड़ों को टांगने की जरूरत नहीं पड़ती। गर्म पानी में धोकर नम कपडे बाहर लाते-लाते उसी शेप में कड़क हो जाते हैं। मिनटों में इन पर बर्फ जम जाती है। फिर इन्हें झाड़ दी तो पूरी बर्फ गिर जाती है और कपडा सूखा मिलता है। तस्वीर में दिख रही महिला कपड़े को एक कोने से पकड़े हुए है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इन कपड़ों में बर्फ की खुशबू जमा हो जाती है।

गुरुवार को जब हम याकुत्स्क के आर्कटिकेशकाया शकोला स्कूल पहुंचे, उस वक्त बच्चे बर्फ में स्लाइड पर खेल रहे थे। एक बच्चे के पिता वेलेंस्क्सी ने बताया कि यहां हवा तय करती है कि स्कूल खुलेंगे या नहीं। बाहर यदि हवा नहीं चल रही और तापमान माइनस 45 डिग्री या इससे ऊपर है तो पहली से ऽवीं तक के बच्चे स्कूल नहीं जाते। हवा की गति 2 मी. सेकंड या इससे ज्यादा है और तापमान माइनस 55 डिग्री भी है तो स्कूल खुलेंगे। हवा शरीर पर सदी के असर को कम करती है। यदि वो नहीं है तो ठंड सुर्ख होकर खून जमाने लगती है।

यहां की जमीन में 30 प्रमुख रसायनिक तत्व और कई रत्न हैं। इनका खनन ही मुख्य काम है। गाकुत्स्क रूस का तीसरा सबसे बड़ा सोना उत्पादक है। लेकिन, लोग चांदी के आभूषण पहनना पसंद करते हैं, क्योंकि यह ठंडी जगह है।

यहां के पारंपरिक कपड़े आर्कटिक लोमड़ी की खाल से बनते हैं। इनकी कीमत 8 से 15 लाख के बीच होती है। ये माइनस 70 डिग्री में भी कारगर हैं। वैसे सर्दी के 9 महीने में यहां लोग एक-दो बार ही नहाते हैं।

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