HMPV virus से क्या फिर लगेगा लॉकडाउन? क्या रद्द होगी मैट्रिक इंटर की परीक्षा

By: arcarrierpoint

On: Saturday, January 11, 2025 7:25 PM

HMPV virus से क्या फिर लगेगा लॉकडाउन? क्या रद्द होगी मैट्रिक इंटर की परीक्षा
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HMPV virus से क्या फिर लगेगा लॉकडाउन? क्या रद्द होगी मैट्रिक इंटर की परीक्षा:-चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामले अपने देश में भी सामने आये है. अब तक देश में 8 बच्चों में संक्रमण पाया गया है. इसको लेकर डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में इसके और भी मामले दिखें, लेकिन थोड़ी एहतियात व कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर इसके खतरे को टाला सकता है. इस समय किसी को सर्दी-खांसी हो तो वे विशेष ध्यान रखें. एचएमपीवी से जुड़े सवालों के बारे में बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ|

भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है की इस वायरस से रोकथाम के लिए हर तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ हॉस्पिटल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था भी किया जा रहा है।

अभी लॉकडाउन लगने की कोई भी स्थिति नहीं है। और यह वायरस ठंड के साथ सक्रिय होता है। अर्थात की जैसे-जैसे ठंड का मौसम जाएगा । वैसे- वैसे इस वायरस का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा। उसके साथ-साथ यह कोरोना के जैसा खतरनाक भी नहीं है।

बोर्ड परीक्षा पर इस वायरस का कोई असर नहीं होगा। एचएमपीवी वायरस के वजह से किसी भी बोर्ड परीक्षा की खास कर बिहार बोर्ड के मैट्रिक इंटर बोर्ड एग्जाम की तारीखों में बदलाव नहीं किया जाएगा।

अतः मैट्रिक इंटर के परीक्षार्थियों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह किसी भी अफवाह से दूर रह कर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। आपका परीक्षा निर्धारित समय पर जो रूटीन आया है। उसी के अनुसार होगा।

इसके साथ-साथ सभी बोर्ड की परीक्षाएं ससमय संचालित होगी। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी परीक्षाओं का संचालन किया जाएगा।

हालांकि इस वायरस से जागरूकता और सतर्कता अपनाना जरूरी है। आईए इस वायरस के लक्षण प्रभाव और बचाव के उपाय के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। ताकि आप किसी भी अफवाह से दूर रह कर अपनी सुरक्षा स्वयं कर पाए।

आमतौर पर वायरस दो प्रकार के होते हैं- ने डीएनए व आरएनए, डीएनए वायरस स्थिर में होते हैं, जिसमें कोई बदलाव नाहीं होता है. वहीं, आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है. एथएमपीवी एक आरएनए वायरस है, जी न्यूमीविरिडे फैमिली से संबंधित है. यह वसन तंत्र से संबंधित इन्फेक्शन को जन्म देता है. इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, सर्दी- खांसी और बखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं. चीन में यह वायरस तेजी से फैल रहा है और बच्चों व बूढ़ों को प्रभावित कर रहा है. सीडीसी हर की रिपोर्ट के अनुसार, एचएमपीवी से संक्रमित रस बच्चों में निमोनिया, बुखार, खांसी और सदीं बेसार जैसी समस्याएं ज्यादा आती हैं.

  • खासने व छोकने से निकलने वाले डॉपलेटस (साथ) से.
  • आपसी संपर्क, जैसे-छूने, हाथ मिलाने आदि से. संक्रमित वस्तुओं को छूने के बाद मुंह, नाक या आंख को छूने से.

बच्चों-बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग इस वायरस के संक्रमण की वजह से निमोनिया के शिकार हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में फेफड़ों में सूजन हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ, घबराहट और शरीर में ऑक्सीजन की कमी जैसी दिक्कते सामने आ सकती है.

यह भी सांसों से जुड़ी हुई बीमारी है, जो इस वायरस के कारण हो सकती है. ब्रॉन्काइटिस की वजह से सांस की नली में सूजन व गले में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इससे खांसी, ज्यादा बलगम बनने जैसी समस्याएं ज्यादा होती है, इस स्थिति में सांस लेने की समस्या कई बार इतनी बढ़ सकती है कि पीड़ित व्यक्ति को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ सकता है|

एचएमपीवी वायरस को लेकर श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में 25 बेड का वार्ड बनाया जायेगा। इसकी जानकारी अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा ने दी। बताया कि एचएमपीवी वायरस को ले सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार वार्ड बनाया जा रहा है। मेडिकल के अलावा सदर अस्पताल और पीएचसी में भी अलग वार्ड बनाये जायेंगे।

सीएस डॉ. अजय कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में डेंगू वार्ड को एचएमपीवी वार्ड बनाया जायेगा। पीएचसी में भी डेंगू वार्ड को ही एचएमपीवी वार्ड बनाने का निर्देश दिया गया है। बताया कि जिले में अब तक इस बीमारी का एक भी मरीज नहीं मिला है। एसकेएमसीएच अधीक्षक ने बताया कि इमरजेंसी में आने वाले सर्दी-खांसी और सांस के मरीजों पर विशेष नजर रखी जायेगी। इस बारे में बुधवार को सभी विभागध्यक्षों के साथ बैठक भी बुलाई गई है।

एसकेएमसीएच अधीक्षक और सीएस ने हर दिन सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। सीएस ने इस बारे में सदर अस्पताल अधीक्षक से लेकर पीएचसी प्रभारी तक सभी को पत्र भेज दिया है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने भी निर्देश दिया है कि सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों का डाटा रोज आईडीएसपी पोर्टल पर अपडेट किया जाये। बता दें कि एसकेएमसीएच में कई महीनों से सांस की बीमारी से ग्रसित मरीजों की रिपोर्टिंग बंद है।

विभाग ने मांगा सांस रोगियों के लिए अभियान का ब्योरा सांस के रोगियों के लिए पिछले वर्ष चलाये गये अभियान का ब्योरा स्वास्थ्य विभाग ने तलब किया है। यह अभियान 2023 नवंबर से 2024 फरवरी तक चलाया गया था। विभाग का कहना है कि इस अभियान की रिपोर्ट अब तक किसी जिले ने नहीं दी है। विभाग ने जल्द से जल्द इस अभियान की रिपोर्ट मांगी है। जिलों को अपनी रिपोर्ट में पांच वर्ष से कम के कितने बच्चों में सांस की बीमारी मिली है, इसकी जानकारी देनी है।

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