बिहार यूनिवर्सिटी के दो सत्र का मार्कशीट और रजिस्ट्रेशन स्लिप जारी
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बिहार यूनिवर्सिटी के दो सत्र का मार्कशीट और रजिस्ट्रेशन स्लिप जारी

बिहार यूनिवर्सिटी के दो सत्र का मार्कशीट और रजिस्ट्रेशन स्लिप जारी- बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में स्नातक सत्र 2023-27 के फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा अगले महीने होनी है। इस बीच लगातार लंबी छुट्टी होने के कारण छात्र-छात्राओं का सिलेबस पूरा करना मुश्किल हो गया है। छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लास चलाने का अनुरोध किया था, लेकिन इस पर विश्वविद्यालय की ओर से कोई निर्णय नहीं हो सका। अभी दिवाली और छठ के लिए 29 अक्टूबर तक अवकाश घोषित कर दिया गया है। वहीं, 14 नवंबर को बिहार विधान सभा चुनाव की मतगणना है। चुनाव के लिए प्रशासन ने कई कॉलेजों का अधिग्रहण किया

स्नातक के तीसरे सेमेस्टर का रिजल्ट विलंब से जारी हुआ, जिसके कारण चौथे सेमेस्टर का सिलेबस पूरा करने के लिए पूरा समय नहीं मिला। वहीं, इस दौरान लगातार छुट्टी के कारण भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पिछले महीने दुर्गा पूजा की छुट्टी थी। इस महीने दिवाली और छठ के लिए 12 दिन के छुट्टी हो गई है। पहले 19 से 28 अक्टूबर तक 10 दिनों की छुट्टी थी, लेकिन शिक्षक संगठन के अनुरोध पर दो दिन 18 व 29 अक्टूबर को भी छुट्टी घोषित कर दी गई। इससे छात्रों के साथ ही अतिथि शिक्षकों के लिए भी परेशानी बढ़ गई है।

छुट्टी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है, जबकि अतिथि शिक्षकों को आर्थिक नुकसान होगा। दरअसल, अतिथि शिक्षकों को क्लास के आधार पर मानदेय का भुगतान किया जाता है। कुछ कॉलेजों को लोकसभा चुनाव के लिए जिला प्रशासन ने अधिग्रहित कर लिया है, वहां कक्षाएं स्थगित कर दी गई है। अतिथि शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से ऑनलाइन क्लास के लिए आदेश जारी करने का अनुरोध किया था। बताया जा रहा है कि इसको लेकर बीते दिनों अधिकारियों ने विचार-विमर्श भी किया, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका। इसको लेकर अतिथि शिक्षकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि नियमित शिक्षकों के अनुरोध पर दो दिन की अतिरिक्त छुट्टी की गई है। यदि ऑनलाइन क्लास का आदेश जारी हो गया रहता, तो बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होती। उन्हें भी आर्थिक नुकसान उठाना नहीं पड़ता।

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में सीबीसीएस के तहत स्नातक कोर्स लागू होने के बाद तीसरे सत्र में नामांकन हो चुका है, लेकिन अब तक किसी सत्र का अंकपत्र नहीं मिला है। सत्र 2023-27 के 3 सेमेस्टर की परीक्षा हो चुकी है, जबकि सत्र 2024-28 के दो सेमेस्टर की परीक्षा हुई है। अब तक मार्कशीट का फॉर्मेट तय नहीं हो सका है। अब अंकपत्र पर विषय कोड दर्ज रहेगा या नहीं, इसको लेकर मामला फंस गया है। परीक्षा विभाग की ओर से तैयार किए गए अंकपत्र पर विषय कोड के प्रस्ताव को परीक्षा बोर्ड से पारित कराया जाएगा।

इसमें देर हो रही है। पूर्व में परीक्षा बोर्ड से अंकपत्र के फॉर्मेट को मंजूरी मिल गई, लेकिन कई बिंदुओं पर पेच फंसा हुआ था। अब यह तय हो गया है कि सीबीसीएस के तहत स्नातक के अंकपत्र पर ग्रेड ही दर्ज रहेगा। बताया जा रहा है कि विषय कोड के लिए एक यूनिक आईडी तैयार की जा रही है। इस पर सहमति बन जाती है तो छात्रों को उत्तर पुस्तिका में विषय कोड भी दर्ज करना होगा। इससे रिजल्ट पेंडिंग होने की स्थिति में उसे आसानी से सुधार किया जा सकेगा।

बिहार यूनिवर्सिटी पिछले दो-तीन सत्रों के जिन छात्रों का रजिस्ट्रेशन स्लिप बकाया था (सत्र 2023-27 और 2024-28), उनका रजिस्ट्रेशन स्लिप बिहार यूनिवर्सिटी द्वारा संबंधित कॉलेजों में PDF के रूप में भेजा जा रहा है। कॉलेज इसे प्रिंट आउट कर छात्रों को उपलब्ध कराएंगे।

राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों के अनुभव प्रमाण पत्र और दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच को लेकर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग और विश्वविद्यालयों के बीच सालभर से लिखा-पढ़ी का खेल चल रहा है। आयोग ने अभ्यर्थियों की ओर से दिए गए प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराए बगैर ही उसका वेटेज देकर चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली। मामला सामने आने के बाद विश्वविद्यालयों को जांच के लिए पत्र भेज दिया।

वहीं, विश्वविद्यालय इसे आयोग की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। लगातार शिकायतों के बाद राजभवन ने हस्तक्षेप किया, तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ ही संबंधित शिक्षकों की बेचैनी भी बढ़ गई है। मगध विवि के कुलसचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि आयोग से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के अनुभव, विकलांगता व शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच में प्रथम दृष्टया कुछ कागजातों की कमी पाई गई है।

अभ्यर्थियों ने अनुभव प्रमाण पत्र जमा किए हैं, लेकिन उसके साथ संबंधित कॉलेज का नियुक्ति पत्र, योगदान पत्र और वेतन से संबंधित बैंक स्टेटमेंट की कॉपी नहीं दी है। 1 नवंबर तक संबंधित कागजात उनके कार्यालय में जमा नहीं करने पर वेतन निकासी पर रोक लगाते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पर नियुक्ति की शिकायत राजभवन से लेकर केंद्र सरकार तक की गई है। अभ्यर्थियों ने साक्ष्य सहित संदिग्ध शिक्षकों की सूची भी भेजी है। आरोप है कि विश्वविद्यालय जान-बूझकर ऐसे शिक्षकों को बचाने के लिए जांच नहीं कर रहे हैं।

असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के मामले में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने कहा है कि अनुभव प्रमाण और अन्य प्रमाण पत्र के जांच की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है। ऐसे में किसी भी तरह की अनियमितता और धांधली के लिए जिम्मेदार विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव होंगे। इसको लेकर विश्वविद्यालयों में खलबली मची है। कहा जा रहा है कि विधान सभा चुनाव के बाद असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा उजागर होगा। आयोग की ओर से अपनी जवाबदेही से इंकार किए जाने के बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। मगध विश्वविद्यालय बोधगया के कुलसचिव की ओर से शनिवार को अधिसूचना जारी की गई, जिसमें अनुभव प्रमाण पत्र से संबंधित डॉक्यूमेंट्स 1 नवंबर तक जमा कराने का निर्देश दिया गया है।

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