जीवन में करना है तरक्की
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जीवन में करना है तरक्की तो आज से इन बातों का गांठ बांध लिजीए | करोडपति लोगों का सिक्रेट

जीवन में करना है तरक्कीकुछ साल पहले में नंबर वन था और खुश था। अब नंबर तीन … और उतना ही खुश हूं। मैं इस सफर, खेल और जिंदगी का आनंद ले रहा है। मुझे उम्मीद है कि मैं ये सादगी कभी नहीं खो सकता क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो में अपने एक हिस्से को खो दूंगा। हालांकि मुझे लगता है कि समय के साथ कुछ चीजें पाना और खोना तय है। आपको दस साल बाद पता चलेगा कि आखिर हुआ क्या है।

प्रेशर आपको जिंदा महसूस कराता है और बताता है कि आप किसी अहम चीज के लिए लड़ रहे हैं। मैं रैंकिंग और आंकड़ों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे रहा था और अब मुझे लगता है कि यह गलत था। अब में समझ गया हूं कि मुझे बस खेलना है क्योंकि मुझे टेनिस से प्यार है। मुझे कोर्ट पर उतरना पसंद है, बढ़िया खेल पेश करना अच्छा लगता है। अब रैंकिंग या किसी और चीज के बारे में नहीं सोचना है। क्ले सीजन में, बले टूर्नामेंट्स में, मैं यही करने की कोशिश करूंगा… बस खेलना है।

टैलेंट जरूरी है, लेकिन अगर मेहनत नहीं की तो टैलेंट कहीं नहीं ले जा सकता। मैंने कई साल तक कड़ी मेहनत की, अपने बचपन के कई सपनों और मस्ती की कुवांनी दी ताकि प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी बन सकूं। सफलता का एक ही राज है… हर मैदान में ऊर्जा के साथ जरूरी वक्त लगाना और अच्छे लोगों के साथ बड़ा होना। अगर आपके आसपास सही लोग हैं, तो बहुत मदद मिलती है और मैंने ये चीज अच्छी तरह की है। में प्रोफेशनल और अच्छे लोगों के साथ काम करता हूं, जो मुझे न सिर्फ बेहतर खिलाड़ी, बल्कि बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं।

जब आप हारते हैं, या कोई ऐसा मैच हार जाते हैं जो आप दिल से जीतना चाहते थे, तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने जोरदार प्रहार किया हो। लेकिन अपने दोस्तों और परिवार की मदद से में हमेशा खुद को कह पाया… ‘ठीक है, मैं अपना बचपन का सपना जी रहा हूं। गुस्सा करने की जरूरत नहीं, निराश होने का समय नहीं। आगे बढ़ते रहो और हर पल का आनंद लो।’ यही मेरी सोच है और इसमें मेरे परिवार और दोस्तों का रोल सबसे खास रहा है।

मैंने हमेशा कहा है कि में इतिहास का सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता हूं और ‘बिग श्री’ की मेज पर बैठना चाहता हूं, लेकिन ये बड़ी बातें हैं, कोई जिद नहीं। मेरी इच्छा है कि बच्चे मुझे एक प्रेरणा के रूप में याद रखें। एक ऐसा इंसान जो अपने सबसे पसंदीदा काम को करते हुए खुश रहता था. पुस्कराता रहता था और दूसरों को भी आनंद देता था। (तमाम इंटरव्यूज में टेनिस खिलाड़ी कार्लोस अल्कारेज)

राफेल नडाल को मैंने हमेशा अपना आदर्श माना है। वे बहुत ही विनम्र व्यक्ति हैं। जब आप उनसे पहली बार मिलते हैं, तो वो बिल्कुल आम इंसान की तरह पेश आते हैं। मैच की तैयारी कैसे करते हैं, हर पॉइंट को किस जुनून के साथ खेलते हैं… ये सब मैंने उनसे सीखा। ये भी सीखा कि वो प्रेशर हालात को कैसे संभालते हैं, किस तरह अपनी भावनाओं पर काबू रखते हैं। उनकी ये सब बातें मेरे पूरे करियर में मेरे काम आएंगी। अपने आदर्श का साथ आपको मिल जाए, तो इससे बड़ी बात हो ही नहीं सकती।

  • दार्शनिकों ने अब तक दुनिया की केवल व्याख्या की है, विभित्र तरीकों से। लेकिन असल मकसद तो इसे बदलना है।
  • अपने आप को उन लोगों से घेरिए, जो आपको खुश रखते हैं। जो आपको हंस्कते हैं, जरूरत पड़ने पर आपकी मदद करते हैं। जो सच में आपकी परवाह करते हैं। वही लोग आपके जीवन में बने रहने योग्य हैं। बाकी सब तो बस गुजरने वाले हैं।
  • मैं कुछ नहीं हूं, लेकिन मुझे सब कुछ होना चाहिए।
  • तर्क हमेशा से मौजूद रहा है, लेकिन हमेशा तर्कसंगत रूप में नहीं।
  • वस्तुओं की दुनिया का मूल्य जितना बढ़ता है, मानव की दुनिया का मूल्य उतना ही घटत्ता है। बहुत अधिक
  • उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन बहुत अधिक अनुपयोगी लोगों को जन्म देता है।
  • कुछ लोगों की मेहनत दूसरों के आलस्य को मजबूर कर देती है।
  • लोग अपना इतिहास स्वयं बनाते हैं, लेकिन अपनी मर्जी से नहीं।

हममें से अधिकतर लोगों ने अपने जीवन में कभी न कभी अपने काम में छोटी-मोटी असफलता का सामना तो किया ही होगा। लेकिन जब आपको झटका इतना बड़ा लगता है कि जिसमें आपकी नौकरी चली जाती है या आपका करियर पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है, तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? अगर आप किसी ऐसे झटके का सामना कर रहे हैं जो आपको कुछ असंभव सा लगता है, तो याद रखें कि वापसी मुमकिन है। बस आपको कुछ बातों का पूरा ध्यान रखना है। करियर पटरी से उतर जाए तो आप कैसे उसे वापस ला सकते हैं….

करियर में बड़ी असफलता के बाद आप खुद को बेहद थका हुआ और टूटा हुआ महसूस कर सकते हैं। ऐसे में अगर संभव हो, तो कुछ समय अपने लिए जरूर निकालें। आराम करने, स्थिति को समझने और नया दृष्टिकोण पाने के लिए यह जरूरी है। जो भी पहला अवसर सामने आए, उसे तुरंत न पकड़ें। यह सेटबैंक आपके लिए एक अवसर है, अपनी दिशा को दोबारा तय करने का।

वो कौन-सा हुनर या रुचि हुआ करती थी, जिसे आपने कभी अपने सपने में संजोया हुआ था, लेकिन जीवन के बहुत सारे तनाव और घोर आपाधापी में उसे रास्ते में ही बहुत पीछे छोड़ दिया था? हो सकता है अब ही शायद वो समय है अपने उस शौक को दोबारा जिंदा करने का, अपनाने का। अपने जुनून को एक मौका देने के बारे में विचार करें। हो सकता है वहीं से एक नई शुरुआत हो।

आगे बढ़ना’ और ‘आगे निकल जाना इन दोनों में बहुत ज्यादा फर्क होता है। अगर आप आगे निकल जाते हैं, तो आप दर्द और उससे मिली सीख को बहुत पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन अगर आप आगे बढ़ते हैं तो आप अनुभव, नुकस्तन और भविष्य की आशा, ये सब कुछ साथ लेकर चलते हैं। दरअसल यही असली मजबूती है। यही लचीलापन है। जरूरी है इसके अर्थ को फिर से समझना।

करियर को यह में आए कई सारे उतार-चढ़ाव से जो अनुभव और समझ आपने पाई है, वो दूसरों के लिए बेहद अनमोल साबित हो सकती है। इस दर्दनाक लेकिन शिक्षाप्रद सफर ने आपको एक बेहतर लोडर बना दिया है। जब आपके सहकर्मी खुद संकट में हों, तो उन्हें सहारा देना, शांत सुझाव देना और उनका हमदर्द बनना, यही असली नेतृत्व क्षमता है. जिसे आपने अर्जित किया है।

लोगों के आपको पसंद न करने के अनगिनत कारण हो सकते हैं। आप वही रहें जो आप वास्तव में हैं। जब आप दूसरों को खुश करने के लिए खुद को बदलते हैं, तो आप अपने आत्म-मूल्य को खो बैठते हैं। अपने सर्वोत्तम स्वरूप में जिएं। अपने लिए खड़े हों। अपनी बात कहें। आप आत्म-विश्वासी हैं, तो नकारात्मकता का सामना कर जाते हैं।

अपने कार्य का मूल्यांकन करें। तय करें क्या उस कार्य को किसी रुकावट से चाधित होने देना चाहिए। हम अक्सर रुकावटों को प्राथमिकता देने का समय नहीं निकालते। यदि हम रुकावट के महत्व का मूल्यांकन करें और तप करें कि कार्य में रुकावट लाना उचित है, तो हमारे व्यवहार और परिणाम वास्तविक प्राथमिकताओं को बेहतर दर्शा पाएंगे।

हम्मारे दैनिक जीवन में सजगता लाना अत्यंत उपयोगी है। संक्षेप में कहें तो, जब हम अपने दैनिक कार्यों में स्वयं को सजगता से देखने लगते हैं, तो हम अपने ऊपर थोपी गई सीमित आत्म-छवियों, सामाजिक दिखावे और मनोवैज्ञानिक अवरोधों को काटने लगते हैं। तब हम अधिक स्वेच्छा से, अधिक जागरूक होकर जीना शुरू करते हैं।

हममें से कई लोग अक्सर अपने अहंकार में फंस जाते हैं। हम इतने घमंडी हो जाते हैं कि यह स्वीकार नहीं कर पाते कि हमें किसी की जरूरत है या हमें किसी चीज में मदद चाहिए। हम न ती रास्ता पूछते हैं, न सलाह लेते हैं और न ही मदद मांगते हैं हमें यह भ्रम होता है कि हर काम खुद करना है। जो आप चाहते हैं, उसे पाने के लिए आपको पहल करनी होगी। केवल सपने देखने का समय समाप्त हो चुका है। अब उठने और अपने लिए मांगने का समय है। धीरे-धीर शुरुआत करें।

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