बिहार के लडकों ने फिर यूपीएससी की परीक्षा में रचा इतिहास - मिलिए बिहारी IAS टॉपर 2024 से
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बिहार के लडकों ने फिर यूपीएससी की परीक्षा में रचा इतिहास – मिलिए बिहारी IAS टॉपर 2024 से

बिहार के लडकों ने फिर यूपीएससी की परीक्षा में रचा इतिहास – मिलिए बिहारी IAS टॉपर 2024 से:-देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में बिहार ने एक बार फिर झंडा गाड़ा है. हर बिहारियों के लिए यह गर्व की बात है कि छोटे जिले व कस्बों से उभरती प्रतिभाएं भी अब सिविल सेवा में अपनी जगह बना रही है. पिछले कुछ सालों में बिहार की प्रतिभाओं ने देशभर में अपना लोहा मनवाया है. पढ़ाई के प्रति प्रतिबद्धता व लक्ष्य को हासिल करने की जिद ने बिहार के युवाओं को यह प्रतिष्ठा दिलायी है. पेश है ऐसे ही सफल छात्र-छात्राओं के दृढ़ निश्चय की कहानी.

शिवम कुमार टिबरेवाल समस्तीपुर रैंक 19
सिविल सेवा परीक्षा में शिवम कुमार टिबरेवाल ने 19वां रैंक हासिल किया है. उनके पिता प्रदीप टेकरीवाल दवा दुकानदार है. माता संतोषी देवी गृहिणी है. शिवम फिलहाल नागपुर में इनकम टैक्स में पदाधिकारी हैं. वे बेंगलुरु में मर्सिडीज कंपनी में लगभग दो साल नौकरी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में लग गये.

सौरव शर्मा गोपालगंज रैंक 23
गोपालगंज के सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता जय किशोर शर्मा के पुत्र सौरभ शर्मा को 23वां स्थान प्राप्त हुआ है. महज 22 वर्ष की उम्र में सौरव ने पहले ही प्रयास में 23वां रैंक लाकर प्रदेश का मान बढ़ाया है. वे वर्तमान में अपने पिता के साथ कुशीनगर में रह रहे है. सौरव ने बताया कि पिता जय किशोर शर्मा व मां प्रभा शर्मा व बड़े भाई ने मार्गदर्शन ने अहम भूमिका निभायी. वे आइआइटी 2022 में दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके हैं. आठ महीने नौकरी के देश बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी.

विरुपाक्ष विक्रम सिंह औरंगाबाद रैंक 49
औरंगाबाद सदर प्रखंड के जम्होर गांव निवासी आइपीएस अधिकारी विनीत विनायक के पुत्र विरुपाक्ष विक्रम सिंह ने यूपीएससी परीक्षा में 49 वां स्थान हासिल किया है. बता दें कि विरुपाक्ष विक्रम सिंह पटना हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय अभय कुमार सिंह के प्रपौत्र हैं. बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि वाले विरुपाक्ष विक्रम सिंह का बचपन से ही सपना था कि वह एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर पूरे की सेवा करें. उन्होंने बताया कि मैंने सेल्फ स्टडी पर फोकस किया और तैयारी पूरे मन लगाकर की और सफलता पायी.

प्रिया रानी फुलवारीशरीफ रैंक 69
यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में प्रिया को रैंक 69वां प्राप्त हुआ है. फुलवारीशरीफ कुरकुरी निवासी किसान अभय कुमार की पुत्री प्रिया रानी ने बताया कि बीटेक के दौरान कैंपस प्लेसमेंट में उसने बेंगलुरु की एक कंपनी में एक वर्ष के लिए काम किया. इसके बाद तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी. इस क्रम में वर्ष 2021 में दूसरे प्रयास में उसे इंडियन डिफेंस सर्विस मिला. तीसरे प्रयास में सफलता नहीं मिलने के कारण मन दुःखी हो गया. पिता के कहने पर चौथे प्रयास में साक्षात्कार के लिए पहुंची. मैं सुबह चार बजे उठकर पढ़ाई करती थी.

सिद्धांत कुमार पटना रैंक 114
पटना चित्रगुप्त नगर स्थित बैंक मेस कॉलोनी के रहने वाले सिद्धांत कुमार ने यूपीएससी में 114 रैंक प्राप्त किया है. सिद्धांत ने बताया कि यूपीएससी में उन्हें चौथी बार में सफलता मिली है. इससे पहले वह दो बार इंटरव्यू फेस भी किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. वे प्रतिदिन आठ से 10 घंटे सेल्फ स्टडी करने के साथ ही ऑनलाइन क्लास की भी मदद ली.

डॉ प्रेम कुमार दाउदनगर रैंक 130
ओबरा प्रखंड के किसान रविंद्र चौधरी व रीता देवी के पुत्र डॉ प्रेम कुमार ने 130 वीं रैंक प्राप्त किया है. 2023 की यूपीएससी परीक्षा में भी उन्हें 677 रैंक प्राप्त हुआ था और इन्होंने इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्पिस में योगदान दिया था, उनकी चाहत आइएएस बनने की थी और इन्होंने छुट्टी लेकर पढ़ाई को जारी रखा. 2013 में भागलपुर से एमबीबीएस करने के बाद वे एम्स दिल्ली में नौकरी करने लगे. पर इस्तीफा देकर यूपीएससी की तैयारी में जुट गये. तीसरे प्रयास में उनका आइएएस बनने का सपना साकार हुआ है.

नीतेश कुमार मिश्र दरभंगा रैंक 158
दरभंगा के आसी गांव के लाल नीतेश कुमार मिश्र ने यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को दूसरे ही प्रयास में बैंक कर लिया, उन्हें 158वां रैंक प्राप्त हुआ है. नीतेश के पिता रामविलास मिश्र और उनकी माता राम लहू मिश्र कामयाबी से काफी खुश है. घरवालों ने बताया की बचपन से ही पढ़ने लिखने में नितेश मेधावी था. हमेशा से उसे प्रशानिक सेवा में जाने की दिलचस्पी थी, वर्तमान में नितेश परिवारिक दायित्व के साथ विशाखापत्तनम में एग्रीकल्चर कंपनी में कार्य करते हुए पूरी लगन एवं मेहनत से यूपीएससी की तैयारी की और सफलता प्राप्त की.

अपूर्व आनंद बाका रैंक 163
बांका के एक युवा ने अपने बुरे हालात को अपनी ताकत बनाकर सफलता की मिसाल पेश की है. यह कहानी है भीखनपुर गांव निवासी ओम नारायण शर्मा के पुत्र अपूर्व आनंद की, जिन्होंने यूपीएससी में 163 वां रैंक हासिल किया है. अपूर्व ने इससे पहले आइआइटी की परीक्षा पास कर, 32 लाख रुपए का पैकेज छोड़ घर आ गये थे. अपूर्व ने बताया कि 2015 में ही पिता की मौत हो गयी थी. उसके बाद का सफर आसान नहीं था.

साएम रजा मुजफ्फरपुर रैंक 188
नवाब रोड के साएम रजा को यूपीएससी में 188वां रैंक मिला है. उन्हें तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है. साएम ने दूसरे प्रयास में गैस तक का सफर तय किया था. उन्होंने सनसाइन स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद बीआइटी बेंगलुरु से बीटेक की. वर्तमान में वे मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर डेटा साइंटिस्ट कार्यरत थे. इस सफलता पर उन्होंने बताया कि कार्य के साथ पढ़ाई का उन्होंने सामंजस्य बनाये रखा. पिछली बार जहां चूक हुई उसे ठीक किया और प्रत्येक दिन का लक्ष्य निर्धारित कर उसे पूरा करते गये.

अनिकेत कुमार दूबे गोपालगंज रैंक 226
गोपालगंज के हजियापुर मोहल्ले के रहने वाले अनिकेत कुमार दूबे ने 226वीं रैंक हासिल की है और आइपीएस बने हैं. उन्हें लगातार पांचवे प्रयास में सफलता मिली है. इनके पिता शंभू दूबे व माता नीता देवी, दोनों टीचर हैं. गोपालगंज शहर के हजियापुर में अनिकेत कुमार दूबे पहले आइपीएस बने हैं. चार बार के एग्जाम में पासआउट नहीं होने पर हार नहीं मानी औऔर जिद के साथ-साथ जुनून ने देश की सर्वेच्च परीक्षा में सफलता दिलायी.

अजय यादव छपरा रैंक 290
मढ़ौरा प्रखंड के सिहोरिया गांव निवासी कामेश्वर यादव व चांदमुनी देवी के पुत्र अजय यादव ने यूपीएससी की परीक्षा में 290 वी रैंक हासिल कर पूरे जिले का नाम रोशन किया है. अजय ने दूसरे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है अजय यादव का पूरा परिवार इस समय पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान में रहता है, जहां होटल चलाते है. परिवार काफी साधारण है. अजय ने बताया कि वह पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन सफल नहीं हो सके, उसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तैयारी जारी रखी.

अनुभव जहानाबाद रैंक309
अरवल जिले के मध्य विद्यालय काको प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार व माधुरी देवी के पुत्र अनुभव ने यूपीएससी में सफलता प्राप्त की है. बीपीएससी 68वीं के सेकंड टॉपर रहे अनुभव ने यूपीएससी में 309वां रैंक प्राप्त कर आइआरएस के लिए चयनित हुए हैं. अनुभव कहते हैं प्रतियोगिता परीक्षा से डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि, लगातार कड़ी मेहनत के साथ प्रवास करते रहना चाहिए. अनुभव ने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियों में जुटे विद्यार्थियों के लिए कहा वे लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करें.

मोनिका श्रीवास्तव औरंगाबाट रैंक 455 औरंगाबाद के सत्येन्द्र नगर की मोनिका श्रीवास्तव ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 455वां रैंक हासिल कर बिहार का गौरव बढ़ाया है. इंजीनियर ब्रजेश श्रीवास्तव एवं प्रधानाध्यापिका भारती श्रीवास्तव की पुत्री मोनिका इसके पहले आइआइटीयन रह चुकी है और एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में भी काम कर चुकी हैं.

राहुल कुमार गुजफ्फरपुर रैंक 504
मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड के फतहपुर के रहने वाले राहुल कुमार को यूपीएससी में 504वां स्थान मिला है. राहुल ने दूसरे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है. राहुल की 10वीं तक की पढ़ाई डीएवी स्कूल कांटी और इसके बाद उन्होंने बिहार बोर्ड से इंटर किया. आइआइटी भुवनेश्वर से बीटेक करने के बाद तीन साल पहले उनका चयन डीआरडीओ में हुआ. वर्तमान में राहुल एनटीपीसी विध्याचल में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. यहां जॉब के साथ-साथ उन्होंने तैयारी जारी रखी.

रानू गुप्ता रक्सौल रैंक 536
शहर के वार्ड नंबर-6 मेन रोड निवासी रेणू देवी व संजय कुमार गुप्ता के पुत्र रानू गुप्ता ने यूपीएससी 2023 परीक्षा के अंतिम परिणाम में 536 वां रैंक लाकर आइपीएस के रूप में सफलता हासिल की है. रानू को यह सफलता पहले प्रयास में ही मिली है. बैंगलुरु में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करते हुए रानू ने परीक्षा में भाग लिया और सफलता हासिल कर रक्सौल के साथ पूर्वी चंपारण का मान बढ़ाया है. रानू की प्रारंभिक पढ़ाई रक्सौल के केएचडब्लू स्कूल से हुई है.


शहंशाह सिद्दीकी नरकटियागंज रैंक 762
नरकटियागंज के शहंशाह सिद्दीकी को 762 वा रैक प्राप्त हुआ है. वे कभी एक न्यूज चैनल में कार्यरत में. उन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया और यूपीएससी में किस्मत आजमाने लगे, वक्त ने उन्हें पांच बार ठोकर मारी, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं टूटने दिया और छठवीं बार में सफलता हासिल की. इनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नरकटियागंज में ही हुई. 12 के बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की.

पटना. यूपीएससी में इस बार हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले करीब 180 अभ्यर्थी इंटरव्यू में शामिल हुए थे. इसमें काफी स्टूडेंट्स का रिजल्ट हो गया है. यूपीएससी तैयारी कराने वाले विभिन्न एक्सपर्ट ने कहा पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भी हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों का रिजल्ट बेहतर रहा है. हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों में फिर उम्मीद जगी है. 2013 में हिंदी से 25 चुने गये. 2014 में 5 प्रतिशत ही हिंदी वाले थे.

इसमें निशांत जैन की ऑल इंडिया रैंकिंग 13वीं रही थी. 2015 में शीर्ष 100 के अंदर हिंदी माध्यम वाले सिर्फ दो अभ्यर्थी थे. 2016 में शीर्ष 50 के अंदर हिंदी माध्यम से तीन, 2017 में हिंदी वाले टॉप 100 में जगह नहीं बना पाये थे. 2017 में सर्वश्रेष्ठ रैंक हिंदी वाले को 146 वीं रैंक प्राप्त हुआ था. 2018 में हिंदी में सर्वश्रेष्ठ की रैंकिंग 337 थी, दूसरी रैंक 339वीं रही. वहीं, 2019 में हिंदी माध्यम वालों का टॉप रैंक 317 था. 2020 में हिंदी वालों का टॉप रैंक 246 था. वहीं, 2021 में हिंदी माध्यम वालों का टॉप रैंक 18 था. 2021 में हिंदी माध्यम के करीब 35 अभ्यर्थियों का सलेक्शन हुआ था. 2022 में हिंदी माध्यम वाले अभ्यर्थियों की संख्या 50 से अधिक थी. वहीं, इस बार भी 1016 उम्मीदवारों में करीब 60 उम्मीदवार हिंदी माध्यम के हैं|

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