बिहार जमीन सर्वे | जमीन सर्वे के लिए ये ये कागजात जरूरी नही | जल्दी देखें
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बिहार जमीन सर्वे | जमीन सर्वे के लिए ये ये कागजात जरूरी नही | जल्दी देखें

बिहार जमीन सर्वे | जमीन सर्वे के लिए ये ये कागजात जरूरी नही – सरकार ने नये सिरे से जमीन सर्वे की मुनादी करवायी है. गांवों में ग्रामसभा आयोजित कर रैयतों से उनकी जमीनों के कागजात मांगे जा रहे हैं, जिनका नाता गावों से बना रहा है, उन्हें भी अपनी जमीन के पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में मुश्किलें आ रही हैं. गांव के बाहर रहने वाले लोग नौकरी छोड़ गांव पहुंच रहे हैं. पेटियां खोली जा रहीं, उनमें कपड़े में बांध कर सहेजे हुए कागजात की देख चेहरा खिल तो जा रहा पर अगले ही पल इसे पढ़ने की समस्या साफ झलक रही है.

यह नजारा किसी एक घर का नहीं है पूरे बिहार में गांव से लेकर महानगरों में रहने वाले यहाँ के लोग बेचैन और व्याकुल हैं. उन्हें भय है कि यह उन्होंने अपना कागजात सही तरीके से जमा नहीं कराया, तो अधिकारी और कर्मचारी उसे बिना कुछ सोचे समझे उनकी जमीनों को सरकारी घोषित कर देंगे. उसके बाद इसे छुड़ाने मेंवर्षों बीत जायेंगे, लेकिन समस्या यह है कि अंचल से लेकर पंचायतों तक पर्याप्त संख्या में कर्मचारी उपल्बध नहीं हैं. इसके कारण दस्तावेज मुहैया नहीं हो पा रहा.

कहीं कर्मचारी हैं, तो अमीन और बंदोबस्त पदाधिकारियों को कागजात समझने का पर्याप्त ज्ञान नहीं है. कई गांवों में नियुक्त अमीनों को कड़ी, लग्घी और जरीब का मायने समझ में नहीं आ रहा. उन्हें यह नहीं मालूम की गुनिया और प्रकार की एक नोक भर सरक जाने से जमीन पर उसका असर तीन से पांच फुट तक दिख सकता है.

बिहार में हो रहे जमीन सर्वे ने दूसरे की जमीन पर बसे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है. वर्षों पहले संभ्रांत लोगों ने अपनी जमीन पर दूसरों को बसा दिया. वे तब से उस जमीन पर रह रहे हैं. अब जमीन सर्वे के लिए दूसरों की जमीन पर बसे ग्रामीणों पर भी दबाव बढ़ गया है. वे भी सीओ कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. सीओ कार्यालय जाने पर वो जमीन किसी और के नाम पर बतायी जा रही है.

अब उनके सामने समस्या है कि उनकी जमीन का सर्वे किनके नाम से होगा. रोहतास के दिनारा में इस समस्या से जूझ रहे दलित परिवार के सदस्य ने बताया कि उनको समझ ही नहीं आ रहा है कि अब क्या करें. जिस जमीन पर वर्षों से वे रह रहे हैं, उस जमीन का किसी भी तरह का कागज उनके पास है ही नहीं. उनको डर है कि नयी पीढ़ी के लोग कहीं उस जमीन से बेदखल ना कर दें.

आवश्यक है।आवश्यक नहीं है।
स्वघोषणा का प्रपत्र -2 रैयत या रैयत के वंशज द्वारा धारित भूमि को भर कर अपने अंचल के शिविर में जमा करें या भू-अभिलेख एवं परिमाप की वेबसाइट dirs.bihar.gov.in पर अपलोड करें। वंशावली पर कार्यपालक दण्डाधिकारी / नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ करने की आवश्यकता नहीं है।
खतियानी रैयत / जमाबन्दी रैयत के वंशज स्वयं प्रपत्र-3 (i) में वंशावली तैयार कर अपने अंचल के शिविर में जमा करें या निदेशालय की वेबसाइट dirs.bihar.gov.in पर अपलोड करें।वंशावली पर संबंधित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से हस्ताक्षरित कराना आवश्यक नहीं है।
राजस्व रसीद की छायाप्रति स्वघोषणा के साथ संलग्न करें।खतियान के सच्ची प्रतिलिपि की आवश्यकता नहीं है।
यदि क्रय/बदलैन / दान की भूमि हो तो दस्तावेज की छायाप्रति ।किस्तवार प्रक्रम में अपने भू-खण्ड पर आपकी उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। अगर आप स्वयं या आपका कोई विश्वस्त प्रतिनिधि जमीन पर उपस्थित रहता है तो सर्वे कर्मियों को पहचान में सुविधा होगी।
यदि सक्षम न्यायालय का आदेश हो तो आदेश की छायाप्रतिराजस्व रसीद की अद्यतन / ऑनलाइन प्रति आवश्यक नहीं है।
बन्दोबस्त भूमि/भू-दान प्रमाण पत्र/वासगीत पर्चा की छायाप्रति ।
जमाबन्दी रैयत जीवित हैं तो केवल स्वघोषणा (प्रपत्र-2) देंगे, वंशावली नहीं।

जिले के 1300 राजस्व ग्राम में जमीन सर्वे होनी है। इन राजस्व ग्रामों में सर्वे कर्मियों के द्वारा सभा की गई है। इनमें एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों ने सर्वे का बहिष्कार किया है। बिहटा और बिक्रम प्रखंड के सात पंचायतों में एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों ने सर्वे शुरू करने से पहले जमीन का कागजात अपडेट करने की मांग की। इसमें बिहटा प्रखंड के दयालपुर, दौलतपुर, सिकंदरपुर पंचायत और विक्रम प्रखंड के महजपुरा, सुंदरपुर चौठियां, एकबालगंज कटारी, निसरपुरा पंचायत के लोग शामिल हैं।

यहां के लोग सर्वे करने से पहले जमीन अधिग्रहण (भू-अर्जन) संबंधित मामले को सुलझाने, जमीन का कागजात अपडेट कर रसीद काटने की मांग कर रहें है। जिला बंदोबस्त अधिकारी राजीव रंजन प्रभाकर ने कहा कि पटना के 1300 राजस्व ग्राम में सर्वे का काम चल रहा है। ग्राम सभा का कार्य अंतिम चरण में है। लोगों से आवेदन लेने का काम ज्यादातर राजस्व ग्राम में शुरू हो गया है। सीओ और कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की मांग बिहटा प्रखंड के सिकंदरपुर पंचायत के मुखिया आगरानंद पासवान ने कहा कि ग्राम सभा के दौरान किसानों ने जमीन सर्वे से पहले जमीन का कागजात अपडेट कराने की मांग की।

बख्तियारपुर प्रखंड में ज्यादातर लोगों के पास कैथी और उर्दू भाषा में जमीन का दस्तावेज है। इस दस्तावेज को जमीन मालिक और सर्वे कार्य से जुड़े कर्मी पढ़ नहीं पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कागजात पढ़ नहीं पाने की स्थिति में आवेदन कैसे करें। इसके साथ ही जमीन का पारिवारिक बंटवारा मौखिक रूप से होने से सर्वे के लिए आवेदन फॉर्म भरने में परेशानी हो रही है। डोमा पंचायत में सर्वे के लिए कुछ सरकारी कर्मी पहुंचे तो लोगों की भीड़ जुट गई लेकिन अभी तक सर्वे कार्य शुरू नहीं हुआ है।

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