जीवन की सफलता का रहस्य | आज से ये आदतें अपना लें सफलता कदम चुमेगी
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जीवन की सफलता का रहस्य | आज से ये आदतें अपना लें सफलता कदम चुमेगी

जीवन की सफलता का रहस्य | आज से ये आदतें अपना लें सफलता कदम चुमेगी:-जब भी किसी की उपलब्धियों का जिक्र होता है तो उनकी रोज की आदतें जानने की इच्छा भी मन में उठती है। हम किसी काम को जितना अधिक करते हैं, उतना ही उस काम के लिए दिमाग का न्यूरॉन नेटवर्क मजबूत हो जाता और फिर दिमाग बार-बार हमें उसी काम की ओर ले जाता है। यही कारण है कि हम छोड़ना भी चाहें तो अपनी कुछ आदतों को आसानी से नहीं छोड़ पाते।

साधारण ही लगने बाली आदतों में कितनी शक्ति होती है, इसका एक उद्यहरण हमारी रोजमर्रा की आदतें हैं। ऐसी आदतों का होना इस बात का सूचक है कि पूरे दिन के कुछ हिस्से पर हमारा नियंत्रण होता है। अर्थात, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे लिए क्या महत्वपूर्ण है। और अन्य कामों से अलग हटकर उसके लिए स्थान बनाया जा सकता है। मेरे लिए रोजाना निम्न तीन कार्य अपरिहार्य है।

इसका अर्थ व्यायाम से लेकर योग तक कोई भी शारीरिक गतिविधि हो सकती है। लंबी सैर पर जाना और चहलकदमी करना भी इसमें शामिल किया जा सकता है, क्योंकि में शारीरिक गतिविधियों की शकिा में बहुत सकीन रखता हूं। नियमित गतिविधियां शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनसे ऊर्जा और पोषण मिलता है। साथ ही हमारा मिजाज अच्छा साता है, शरीर के दर्द और अकड़न में आराम मिला है और रात को अच्छी नींद आती है। बानी अच्छा महसूस करने के सारे कारण गतिशीलता में किये हैं।

किसी बात पर प्रतिक्रिया देने से पहले उसे समाने, कुछ ग्रहण करने और दोबारा से एक नई शुरुआत करने के लिए। र स्थिर होना आवश्यक है। मेरे लिए यह कुदरत के साथ मिलना और समय बिताना है लंबी और है और योग है। साथ ही इस स्थिरता में एक छोटा हिस्सा अपने मत्र के भाव लिखने और ध्यान लगाने के लिए भी आरक्षित है। मुझे स्थिरता में ऊर्जा का अनुभव प्रकृति के सान्निध्य में होता है। आपका अनुभव इससे अलग हो सकता है।

क्योंकि संगीत मुझे व्यस्तता के धागों में अपना दिन्नाग शांत रखने में मदद करता है और मुझे स्वयं से जोड़ता है। लेकिन कभी-कभी स्थिरता के इन फ्लों का लाभ में स्वयं की देखभाल करने में थी उठा लेता हूँ, क्योंकि कभी-कभार हम सभी को अपना खास खाल रखने का अधिकार है। यह समय कृतज्ञता दिखाने के लिए भी उपयुक्त है।

इसलिए मैं एक से लेकर तीन एक उन चीजों को याद करता हूं, जिनके लिए में कृतज्ञा। कृतज्ञता का अभ्यास करने के लिए समय निकालना एक ऐसा शक्तिशाली बदलाव कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में ला सकता है। इससे दुनिया को देखने का नजरिया ही बदल जाता है।

प्रसन्नता और वास्तविक आनंद का अनुभव करने लगते हैं, तो नकारात्मक परिस्थितियों में रहना असंभव हो जाता है। जीवन में अकसर ऐसे अवसर आते हैं, जब हमारा दिमाग वालने लगता है। जब समझ नहीं आता कि पहले क्या करना जरुनी है। इस स्थिति में संतुलन की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे अवसरों पर स्थिरता का अभ्यास हमें स्वयं से ओडल है।

कुछ नया सोखने या करने की इच्छा विकसित करें। इसकी शुरुआत किताब पढ़ने, पॉडकास्ट सुनने या किसी समझदार व्यक्ति की बातें सुनने से की जा सकती है। कभी-कभी किसी किताब कर कोई माक्य या अंश मुझ पर इतना गहरा प्रभा डालता है कि मैं सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इससे मुझे आगे बढ़ने बढ़ने की प्रेरणा और कुछ बेहतर करने को ऊर्जा मिलती है। यही समय किसी विश्व की गहराई में जाने के लिए भी उपयुक्त है।

किसी गुरु से मिल कर कुछ नया सीखने वा अपनी पसंद का कोई काम करने, स्वयं को समझने और अपने हिसाब से अपनी महत्वपूर्ण आदतें बनाने के लिए यह उपयुक्त समय है। इसका अभ्यास करने से हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलती है। उन्हें एक कागंज पर लिख लीजिए और दिमाग में बसा लीजिए। यह समय स्वयं के विकास का भी है और नहीं समय बदलाव का भी होता है।

जिसके बल पर हम आगे बढ़ सकते हैं और स्वयं के लिए मजबूत नीव का निर्माण कर हैं। लेकिन, सवाल यया उठता है कि यह सब इतना ही महत्वपूर्ण है तो सिर्फ वीन आदतें ही क्यों अपनाई जाएं। अमल में आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है, जो आप पर निर्भर करता है। आप अपने हिसाब से कम या ज्यादा आद अपना सकत है, लेकिन यह तीन सबसे सामान्य और प्रभावशाली आदतें है।

अब यह है कि हम अपनी महत्वपूर्ण दैनिक आदती का अभास उपलध समय के हिना से कर किसी भी भी काम के बीच में जब भी समय मिले, तब इनका पालन किया जा सकता है। या हम अपने अन्य दैनिक कार्यों में इन आदत को शामिल करने की संभावना भी तलाश सकते हैं। उदाहरण के लिए घर की सफाई करते समय योग क बादाम किया जा सकता है। इसी प्रकार अपनी सैर को एक धान लगाने वाली सैर में बदला जा सकता है।

जो हमारे लिए जसरी हैं और स्वयं से ध्यान रखने का वायदा भी है कुछ दिन हमारे पास ज्यादा समय हो सकता है तो कुछ दिन कम समय भी कर सकता है। हमें सकता है। हमें उपलब्ध समय और सं मेंही उन आदतों का पालन करना है, क्योंकि ऐसा करने का कोई सही या निश्चित तरीका नहीं है। यह आदतें हमारे जीवन को सुधारती है, इसलिए इनका अभ्यास अवश्य कीजिए।

जीवन में कुछ दुख ऐसे होते हैं, जिनकी उम्र बहुत लंबी होती है। कुछ ऐसा जीवन से चला जाता है, जिसकी कमी हमेशा खलती है, जिसकी भरपाई फिर कभी होना मुश्किल लगता है। हम अपने भाग्य को, ब्रह्मांड को कोसते हैं। पर, जीवन की निरंतरता और उस पर रखा गया विश्वास कहता है कि ब्रह्मांड जितना छीनता है, उससे ज्यादा देता है।

कई बार एक ही क्षण में हम अर्श से फर्श पर आ जाते हैं। ऐसे में निराशा हावी हो न्वाती है। मुश्किल लगता है कि हम कभी इससे उबर भी पाएंगे। ब्रह्मांड अगर दुख देता है तो उसके बदले में हमें जान, लचीलापन, विनम्रता, करुणा और चरित्र की दृढ़ता का उपसार भी देता है। हम इन गुणों को खरीद नहीं सकते। जब हम किसी अनभाते हालात में फेस जाते है, तब हमें पता चलता है कि हम वास्तव में कौन हैं। यकीन करें, ज्ञान व करुणा के साथ अपने दुखों का सामना करते हुए आप फिर से वापसी कर सकते हैं|

आप अकेले नहीं है जो दुखों का सामना कर रहे हैं। हम सभी दुख और पीड़ा से गुजरते है। हमारी कला का परिक्षण क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने दुखों को किस तरह से देखते हैं। कई लोग बड़े धीरज के साथ जीवनभर दुख सहते है। उनके इस पैर्य का कारण है, उनकी जीने की इच्छा जीवन के प्रति प्रेम। कठिनाइयां हमारे संकाय को मजबूत करती है। इनसे गुजरते हुए हम यह जान पाते हैं कि हमारे जीवन में क्या महावपूर्ण है। हमारी तकलीफ दूरमों के दुख-दर्द को दूर करने का कारक बन जाती है।

हम अपनी पीड़ा का उपयोग अपने वा समाज के लिए महत्पूर्ण चीजों पर स्थान केंद्रित करने में कर सकते हैं, जैसेकि सामाजिक न्याय, अरावानता, पर्यावरणीय मुद्दे था मानवता से प्रभावित करने वाले दूसरे मु‌द्दे। जब लोगों के जीवन से कुछ पीने खो हो जाती है, तो कुछ लोग उस विपदा में गहरे मायने ढूंढ़ लेते हैं। अपने ही समान दुखद घटनाओं से प्रभावित लोगों की मदद करें, सामाजिक कार्यों में खुद की लगाएं।

जो हो गया, उसे स्वीकार करें और ब्रह्म पर भरोसा करें। अपनी पीड़ा का उपयोग अपनी बेहतरी या दूसरे लोगों की भलाई के लिए कारें। नीमन न तो अच्छा है और न बुरा। दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को समझने के लिए हमारा मन जीवन के अच्छा बुरा होने जैसे विचारों के औचित्य को सही ठहराता है। अट ने आपके जीवन से कुछ छीन लिया है, तो निकट भविष्य में उसके बदले कोई चेहतर चीन आपके जीवन में आ बारगी।

अपने नुकसान से मुंह न मोड़ते हुए खुद को उसका सामना करने के लिए समय दें। सही भावनाओं के साथ दुख को अपने सेवन में स्वीकारते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करें। यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने कहा था ‘प्रकृति शून्यता पसंद नहीं करती, यानी किसी खी गई चीग का स्थान कोई समान माहत्य की चीज उससे बेहतर चीज भर देगी।

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