बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को स्कूल में ही कराया जाएगा सरकारी नौकरी की तैयारी
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बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को स्कूल में ही कराया जाएगा सरकारी नौकरी की तैयारी

बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को स्कूल में ही कराया जाएगा सरकारी नौकरी की तैयारी:-सरकारी स्कूल में कक्षा नौ से 12 वीं तक में पढ़ रहे बच्चे अब स्कूल से ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर देंगे। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से इन बच्चों को प्रतियोगिता परीक्षा से संबंधित स्टडी मेटिरियल उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें जेईई व नीट के अलावा सामान्य ज्ञान की पुस्तक उपलब्ध कराई जाएगी।

सामान्य ज्ञान की पुस्तक में देश-दुनिया और भारत में हो रही हलचल की अपटूडेट जानकारी रहेगी। सामान्य ज्ञान से संबंधित पुस्तक बच्चों को हर महीने में उपलब्ध कराई जाएगी। इस पुस्तक को पढ़कर बच्चे अपने को अपडेट कर सकते हैं। ये सभी पुस्तक इंजीनियरिंग व मेडिकल के अलावा एनडीए, ओलंपियाड, एसएससी, रेलवे जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं पर आधारित होगी ताकि बच्चे इसे पढ़‌कर इन परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।

कक्षा एक से आठवीं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अलग से शिक्षण सामग्री तैयार की जाएगी। इन कक्षाओं के बच्चों के लिए इसमें बच्चों की कक्षा के अनुसार सामान्य ज्ञान, संचार कौशल विकसित करने के लिए तरह-तरह की कहानी आदि को शामिल किया जाएगा। पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए जो शिक्षण सामग्री तैयार की जाएगी उसमें महान वैज्ञानिकों व देश विभूतियों के बचपन की कहानी आदि रहेगी।

प्रतियोगी पुस्तक में कौन सी शिक्षण सामग्री शामिल करना है और कौन-कौन सी बातें बच्चों के लिए उपयोगी रहेगी यह राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) तय करेगा। शिक्षण सामग्री में नीट बूस्टर एमसीक्यू, एनसीईआरटी पुस्तक के कुछ अंश, स्टेटिक जीके, उन्नत भौतिकी रसायन, गणित, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान, देश के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल विभूति, पुरस्कार-सम्मान, भारत का इतिहास, बिहार का इतिहास और संस्कृति जैसे चीजों को शामिल किया जाएगा।

इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने की इच्छुक विद्यार्थी को विज्ञान के शिक्षक इसमें सहयोग करेंगे। स्टडी मेटेरियल में दिए गए सवाल को विज्ञान व गणित शिक्षक क्लास में ही बच्चों के सवालों का समाधान करेंगे। इसके अलावा सामान्य ज्ञान संबंधित पुस्तक में दिए गए मेटेरियल को वर्ग शिक्षक बच्चों को अवगत कराएंगे। शिक्षक किस तरह से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी है।

छठी कक्षा के 47% बच्चे 10 तक के पहाड़े (टेबल) भी नहीं सुना पाते। तीसरी के 45% छात्र 99 तक के अंक बढ़ते या घटते क्रम में नहीं रख पाते। तीसरी के ही 42% छात्र दो अंकों की संख्याएं भी जोड़-घटा नहीं सकते। यह खुलासा शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण ‘परख’ में हुआ।

गत 4 दिसंबर को 36 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के 781 जिलों में स्थित 74.229 स्कूलों में सर्वे हुआ था। इसमें तीसरी, छठी और नौवीं के करीब 21 लाख 15 हजार छात्र शामिल हुए। बिहार के बक्सर जिले के कक्षा-3 और कक्षा 6 में सीतामढ़ी जिला के बच्चों का प्रदर्शन देशभर में अंतिम पायदान पर है।

50% बच्चे ही 100 रुपए तक लेनदेन कर पाते हैं। 58% छात्र दो अंकों का जोड़-घटाव कर पाते हैं।

  • भाषाई समझ में लड़कियां (65%) लड़कों (63%) से आगे। गणित में दोनों बराबर।
  • गांवों में भाषा में 64% और गणित में 60% बच्चे निपुण।
  • शहरी छात्र 1-1 फीसदी पीछे। पंजाब की लड़कियों का प्रदर्शन अव्वल। सरकारी स्तर पर ग्रामीण पंजाब के स्कूल ही नंबर-1 रहे।
  • 67% बच्चे बातचीत में पर्याप्त शब्द प्रयोग करते हैं। 60% छोटी कहानियां पढ़ व समझ पाते हैं।
  • पंजाब का बरनाला देश में अव्वल जिला। टॉप-50 में पंजाब के 20 जिले। बक्सर का प्रदर्शन अंतिम पायदान पर।
टॉप-5बॉटम-5
केरलझारखंड
पंजाबबिहार
दमन-दीवनागालैंड
चंडीगढ़उत्तराखंड
हिमाचलगुजरात

51% बच्चे मूल्यों के प्रति जागरूक। जैसे कतार में खड़े होना, डस्टबिन प्रयोग… मदद को भी तत्पर रहते हैं।

  • 55% लड़के तो 59% लड़कियां भाषा सक्षम हैं।
  • गणित में लड़के आगे हैं। भाषा की समझ में केरल की लड़कियां अव्वल। गणित में पंजाब की लड़कियां नंबर-1
  • 58% बच्चे पढ़ी सामग्री का निष्कर्ष समझ पाते हैं। 54% बच्चे बड़े अंक पढ़ते हैं।
  • 29% स्थानीय भाषा में आधा, चौथाई का अर्थ समझते हैं। 49% सम, विषम, वर्ग, घन जैसे अंक पहचान पाते हैं।
  • दीव जिला देशभर में अव्वल। टॉप-50 में पंजाब के 16 जिले हैं। सीतामढ़ी जिला देश में आखिरी पायदान पर है।
टॉप-5बॉटम-5
पंजाबउत्तराखंड
केरलकर्नाटक
चंडीगढ़आंध्र प्रदेश
हिमाचलगुजरात
दिल्लीउत्तर प्रदेश

37% छात्र ही किशोर अवस्था में वृद्धि, हार्मोनल चेंज व शारीरिक देखभाल के बारे में समझ रखते हैं।

  • 54% बच्चे भाषा, 37% मैथ्स व 40-40% साइंस व सोशल साइंस में निपुण मिले।
  • भाषा समझ में लड़कियां 56% तो लड़के 52% तक सक्षम पाए गए।
  • मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस विषयों में पंजाब की लड़कियों का प्रदर्शन अव्वल है।
  • 54% बच्चे खबर, रिपोर्ट व संपादकीय पढ़ लेते हैं। 28% बच्चे प्रतिशत निकाल पाते हैं। 59% आंकड़ों को जमा करके औसत नहीं बता पाते हैं।
  • पंजाब का संगरूर देश में नंबर-1 है। पंजाब के 17 जिले टॉप-50 में हैं। झाबुआ जिला अंतिम पायदान पर है।
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