IAS का गढ़ कहे जाने वाले बिहार में अब नाममात्र ही बन पा रहे हैं IAS IPS
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IAS का गढ़ कहे जाने वाले बिहार में अब नाममात्र ही बन पा रहे हैं IAS IPS

IAS का गढ़ कहे जाने वाले बिहार में अब नाममात्र ही बन पा रहे हैं IAS IPS- यूपीएससी में बिहार का कभी डंका बजा करता था वहीं इन दिनों यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में बिहार के अभ्यर्थी का परिणाम लगातार गिर रहा है। साल 2022 की तुलना में 2023 के परिणाम में काफी गिरावट आई है। 2022 में जहां बिहार में कुल 68 उम्मीदवारों का चयन हुआ था, वहीं 2023 में इस बार मात्र 32 अभ्यर्थियों का सलेक्शन हुआ।

मीडिया रिपोर्ट और एक्सपर्ट के अनुसार वहीं बिहार में हिंदी मीडियम के मात्र एक उम्मीदवार का सलेक्शन हुआ है। 2023 के रिजल्ट की बात करें तो कुल 1016 कैंडीडेट्स में मात्र 42 हिंदी मीडियम से सफल हुए। इस बार ऑल इंडिया टॉप टेन रैंक में राज्य से कोई भी अभ्यर्थी जगह नहीं बना पाए हैं। देशभर में 1143 पदों के लिए नियुक्ति निकाली गई थी उनमें मात्र 1016 उम्मीदवार ही सेलेक्ट हो पाए। यही नहीं हिंदी मीडियम से पास आउट उम्मीदवारों की रैंकिंग में भी काफी गिरावट आई है।

यूपीएससी के परिणाम में हिंदी मीडियम के रिजल्ट में सबसे पीछे बिहार का स्थान इस बार रहा है। हिंदी मीडियम से कुल 42 उम्मीदवारों का रिजल्ट आया जिनमें 37 लड़के हैं और पांच लड़कियां शामिल हैं। सबसे आगे है राजस्थान, यहां से 18 अभ्यर्थी हिंदी से सफल हुए। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश से 12 अभ्यर्थी हिंदी माध्यम से सफल हुए, जो कि वहां की आबादी के हिसाब से भी बहुत कम है। मध्य प्रदेश से कुल 9 रिजल्ट बाकी बचे रिजल्ट एक बिहार, एक छत्तीसगढ़ और एक गुजरात का है।

शिक्षाविद गुरु रहमान की मानें तो विहार में प्राथमिक शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक की शिक्षा की गुणवत्ता में पहले की तुलना में काफी कमी आई है जिससे छात्रों का बेस मजबूत नहीं हो पा रहा है। सीसैट एडवांस स्तर में विहार के छात्रों के प्रदर्शन को पीटी स्तर पर रोक रहा है। उन्होंने बताया कि विहार के अधिकतर छात्र हिंदी माध्यम से हैं यह सभी लोग जानते हैं कि सभी प्रश्नपत्र अंग्रेजी में बनाए जाते हैं तथा बाद में उसका अनुवाद किया जाता है। अनुवाद वाली भाषा के शब्द कभी-कभी प्रश्न के भावार्थ बदल देते हैं जिससे प्रश्न को समझना छात्र के लिए चुनौती होती है। साथ ही परीक्षक ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम के होते हैं

जिससे छात्रों के अंक में गिरावट आ रही है। हिंदी माध्यम की कोचिंग संस्था में भी उच्च गुणवत्ता की कमी है। बिहार के लड़कों को इंटरव्यू में उतना मार्क्स नहीं आ पा रहा है जितना आना चाहिए, जिससे वह फाइनल रिजल्ट में पीछे रह रहे हैं। यूपीएससी मार्किंग सिस्टम में भी बदलाव आ रहा है कई वार हिंदी भाषी छात्रों को इस बदलाव का नुकसान झेलना पड़ता है। सिविल सर्विसेज एक्सपर्ट राज किशोर दुबे की मानें तो विहार से सफल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक प्रमुख कारण सिलेबस में बदलाव और सीसैट पैटर्न को लेकर है। इसका एक दूसरा कारण हिंदी भाषी होना भी है।

हिंदी माध्यम के चलते भी उम्मीदवार इस परीक्षा में पिछड़ रहे हैं। साल 2011 में सीसैट पैटर्न में हुए बदलाव के बाद 2021 में टॉप 20 में मात्र दो विद्यार्थी हिंदी माध्यम के थे वहीं 2020-21 में हिंदी माध्यम का एक भी कैंडिडेट टॉप 100 में जगह नहीं बना पाया था जबकि इसके पहले तीन चार सालों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही थी।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट भी मंगलवार को जारी किया गया था। पिछली बार बक्सर जिला निवासी गरिमा लोहिया को दूसरा रैंक मिला था। इसके अलावा पटना के राहुल श्रीवास्तव को दसवीं रैंक मिली थी। 17वें स्थान पर अररिया के अविनाश कुमार टॉप 20 में जगह बनाने में सफल रहे थे। इसके अलावा 44वीं रैंक प्राप्त करने वाले तुषार कुमार वर्तमान में मोहनियां में अवर निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। शिवहर के प्रिंस कुमार को 89वीं रैंक मिली थी। इनके अलावा दर्जनों छात्रों का चयन हुआ था। वहीं वर्ष 2020 में बिहार के शुभम देशभर में टॉपर बने थे। इसके बाद से अबतक कोई टॉपर नहीं बना है। करीब दो दशक के बाद कोई बिहार का टॉपर बना था। पिछले साल यूपीएससी रिजल्ट के टॉप 10 में बिहार से तीन अभ्यर्थी थे।

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