जीएसटी कम होने के बावजूद- सभी कम्पनियों का बीमा और प्रीमियम महंगा

By: arcarrierpoint

On: Wednesday, November 5, 2025 6:33 PM

जीएसटी कम होने के बावजूद- सभी कम्पनियों का बीमा और प्रीमियम महंगा
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जीएसटी कम होने के बावजूद- सभी कम्पनियों का बीमा और प्रीमियम महंगा:-भारत में स्वास्थ्य बीमा को सस्ता बनाने के लिए सरकार ने सितंबर 2024 में हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाला जीएसटी (GST) पूरी तरह खत्म कर दिया था। उम्मीद थी कि इससे आम लोगों का प्रीमियम कम होगा और अधिक लोग बीमा खरीद पाएंगे।

लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट!

बीमा कंपनियों ने चुपचाप प्रीमियम बढ़ा दिया और ग्राहकों को राहत देने की बजाय उनकी जेब और ढीली कर दी।

जीएसटी काउंसिल ने सितंबर में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत के जीएसटी को शून्य कर दिया था, लेकिन ग्राहकों को उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। अधिकांश बीमा कंपनियों ने कुल प्रीमियम बीते वर्ष के मुकाबले बढ़ा दिया। यह बढ़ोतरी 10 से लेकर करीब 37 प्रतिशत तक है।

वाहन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में बीते वर्ष के मुकाबले करीब 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।

हिन्दुस्तान’ ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में की गई बढ़ोतरी को लेकर एक बीमा पॉलिसी के पूरे ब्यौरे के साथ टाटा एआईजी को ई-मेल किया, जिसमें कंपनी से पूछा गया कि बीते वर्ष एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का प्रीमियम 30,107 रुपये था, जिसमें 18 प्रतिशत जीएसटी यानी 4592 रुपये शामिल था।

अब प्रीमियम 25,515 रुपये होना चाहिए, लेकिन कंपनी 34,899 रुपये मांग रही है। यह बढ़ोतरी 36.78 प्रतिशत है। टाटा ही नहीं, दूसरी कंपनियों ने भी प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी की है।

बढ़ोतरी के पीछे कंपनी ने चिकित्सा महंगाई, बाजार की प्रवृत्तियां, दावों और सेवाओं की लागत में वृद्धि को कारण के तौर पर गिनाया। इतना ही नहीं, कंपनी ने कहा कि प्रीमियम में बढ़ोतरी इरडा के दिशा-निर्देशों के अनुसार की गई है।

बीते वर्ष के मुकाबले महंगाई कितने प्रतिशत बढ़ी और क्या प्रीमियम में 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी इरडा से अनुमति लेकर की गई है। इस पर कंपनी के प्रतिनिधि अंकित यादव की तरफ से जवाब तो मिला, मगर गोलमोल। यह जरूर बताया कि महंगाई सुरक्षा के तौर पर पॉलिसी में 416.46 रुपये, रिस्टोर इन्फिनिटी प्लस के तौर पर 1166.10 और सालाना प्रीमियम बढ़ोतरी 3210 रुपये की है।

निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने बीते वर्ष एक पॉलिसी साढे सात लाख रुपये के बीमा कवरेज के साथ 16,731 रुपये में बेची थी, जिसमें 2552.22 रुपये का जीएसटी था। इस बार जीएसटी हटने के बाद कुल प्रीमियम 14,178.78 रुपये का होना चाहिए था लेकिन कंपनी ने 14 नवंबर को रिन्युअल होने वाली पॉलिसी का प्रीमियम 17,155 रुपये बताया है।

अधिकांश कंपनियां पॉलिसी में नए राइडर (सुविधाएं एवं कवरेज) जोड़कर प्रीमियम बढ़ा रही हैं। राइडर जोड़ने से पहले पॉलिसीधारक से कोई स्वीकृति नहीं ली जा रही है। कई कंपनियों द्वारा पॉलिसी में पहले से शामिल कवरेज को नया बताकर उसका प्रीमियम भी जोड़ा जा रहा है।

एक उदाहरण देखिए, 2.30 लाख रुपये की गाड़ी पर रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के बीमा का प्रीमियम 5700 रुपये था। अब गाड़ी की कीमत घटकर 1.86 लाख रुपये रह गई है और प्रीमियम बढ़कर 6700 रुपये हो गया है

  • 95% आबादी बिना बीमा के थी 2023 में
  • 60% दोपहिया बीमारहित
  • 8-10% ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा दर
  • 63 बीमा कंपनियां हैं इस समय भारत में

बीमा सेक्टर के आंकड़ों के अनुसार:-

श्रेणीप्रीमियम बढ़ोतरी
औसत वृद्धि10% से 18%
अधिकतम वृद्धि37% तक
सीनियर सिटीजन पॉलिसीसबसे ज्यादा महंगी

इसका मतलब यह है कि GST हटने के बाद भी ग्राहकों को सस्ता बीमा नहीं, बल्कि महंगा बीमा मिल रहा है।

कई पॉलिसियों में प्रीमियम:-

  • ₹25,000 से बढ़कर ₹34,000+
  • ₹30,000 से बढ़कर ₹37,000+

यानी सालाना बोझ ₹7,000 से ₹10,000 बढ़ गया

  • प्रीमियम वृद्धि पर नियंत्रण
  • बिना अनुमति राइडर रोकना
  • प्रीमियम पारदर्शिता
  • ग्राहकों को GST लाभ का फायदा दिलाना

यह जरूरी है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और ग्राहकों को राहत दे।

  • अपनी पॉलिसी का प्रीमियम तुलना करें
  • अनावश्यक राइडर हटाएं
  • रेगुलेटर IRDAI को शिकायत करें
  • पॉलिसी रिन्यूअल से पहले प्लान चेंज करें
  • सरकार ने GST हटाया — राहत देने के लिए
  • कंपनियों ने प्रीमियम बढ़ाया — मुनाफा कमाने के लिए
  • ग्राहक — बीच में फँस गया

अगर बीमा को सस्ता और पहुंच योग्य बनाना है तो नीति और नियमन दोनों की सख्त जरूरत है।

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