आजकल पैसा ठगी करने के ऑनलाइन तरीका- साइबर अपराधी लगातार लोगों से ठगी कर रहे हैं। पटना में अप्रैल में ही 300 से अधिक लोगों से करोड़ों की ठगी हुई है। दैनिक भास्कर की टीम ने पिछले दो महीने की 250 एफआईआर को खंगाला तो ठगी के 10 ट्रेंड सामने आए। ये नौकरी और मुनाफे का लालच देकर, बेटा- बेटी की गिरफ्तारी का भय दिखाकर, बिजली कनेक्शन काटने की धमकी देकर ठगी करते हैं। \
साइवर अपराधियों से बातचीत
साइवर अपराधियों से बातचीत और दर्ज एफआईआर की तफ्तीश से पता चला कि उनकी एक टीम होती है, जो दिनभर लोगों का सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगालती है। प्रोफाइल से उनके दोस्तों, उनकी जरूरतों, पसंद-नापसंद की जानकारी जुटाकर ठगी की साजिश रची जाती है। बीते पांच सालों में सोशल मीडिया के जरिए साइबर ठगी की घटना में 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके जरिए वर्ष 2019 में विहार में ठगी के 149 केस दर्ज किए गए थे। वहीं साल 2023 में 6446 केस दर्ज हुए।
कर्मचारियों से खरीद रहे डाटा
खुलासा : डिलिवरी ब्यॉय, अनुबंध वाले कर्मचारियों से खरीद रहे डाटा: साल 2023 में पत्रकारनगर, दानापुर और कंकड़बाग थाने की पुलिस ने साइबर अपराधियों के कुछ गिरोह को गिरफ्तार किया था। जांच में यह वात आई कि साइबर फ्रॉड ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाली कंपनियों के डिलिवरी ब्वॉय के अलावा साइबर कैफे, फोटो स्टेट की दुकानों से लोगों के मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि खरीदते हैं। \
क्रेडिट कार्ड बनाने वाले कर्मियों से भी डाटा खरीदते हैं
बैंकों में अनुबंध पर काम करने वाले, क्रेडिट कार्ड बनाने वाले कर्मियों से भी डाटा खरीदते हैं। पत्रकारनगर पुलिस ने दो-तीन गिरोह को गिरफ्तार किया था। जांच में यह बात आई कि नालंदा, नवादा के इन शातिरों का कनेक्शन बंगाल और झारखंड के शातिरों से भी है। बंगाल और झारखंड के गांवों के गरीबों को झांसा देकर उनके नाम पर बैंक खाता खुलवाते हैं। उन्हें 25 हजार से 35 हजार रुपए तक देकर उनका एटीएम कार्ड और पासबुक ले लेते हैं। इन खातों में ठगी की रकम मंगाई जाती है।
ये सावधानी बरतनी जरूरी
- आधार कार्ड और पैन कार्ड का फोटो किसी को नहीं दें।
- किसी अनजान व्यक्ति से मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर, एटीएम नंबर, सीवीवी, ओटीपी आदि शेयर नहीं करें।
- लोन के लिए किसी एप का सहारा नहीं लें।
- टीम व्यूअर, एनी डेस्क, अल्ट्रा व्यूअर जैसे एप इंस्टॉल नहीं करें।
- किसी अनजान के कहने पर यूपीआई नंबर कहीं इंटर नहीं करें।
ऑनलाइन पार्टटाइम जॉब
सोशल मीडिया साइबर सीरीज पार्ट-6 आधार नंबर के जरिए लोगों के खाते तक पहुंच रहे जालसाज सतर्क रहें : इन तरीकों से ठगी कर रहे साइबर फ्रॉड देता है। पर ऑनलाइन पार्टटाइम जॉब का झांसा शुरुआत में वीडियो का रिव्यू लिखवाता है और कुछ पैसे भी देता है। इसके बाद मोटी रकम ठग लेता है
क्रेडिट कार्ड
खुद को बैंक के क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट का अधिकारी बता लिमिट बढ़ाने, केवाईसी करने, रिवार्ड प्वाइंट मिलने का झांसा देकर ठगी करता है।
पुलिस के नाम पर धमकी
लोगों को पुलिस वाला बनकर फोन करता है। कई बार कस्टम अधिकारी बनकर फोन किया जाता है। शुरुआत में जेल भेजने की धमकी देता है और ठगी करता है।
बिजली के नाम पर
कस्टमर को फोन कर बिल बकाया होने, मीटर अपडेट नहीं होने, बिजली कट का भय दिखा ठगी कर लेता है।
ट्रेडिंग में मुनाफा
ऑनलाइन ट्रेडिंग सिखाने, पैसा निवेश करने, दोगुना मुनाफे का झांसा देकर ठगी करते हैं।
ओएलएक्स फॉड
ओएलएक्स पर कोई सामान बेचने के लिए डालता है। जब कस्टमर उससे जुड़ते हैं तब वह क्यूआर कोड भेजकर ठगी करता है।
जस्ट डायल/सजेस्ट एडिट फ्रॉड
गूगल व एक फीचर है सजेस्ट एंड एडिट। इसका फायदा शातिर खूब उठाते हैं। वे गूगल पर जाकर फर्जी वेबपेज बना लेते हैं। कई बार बने पेज पर मोबाइल नंबर एडिट कर देते हैं। लोग गूगल से मिले नंबर व जानकारी को सही मान ठगी के शिकार हो जाते हैं।
सेक्सटॉर्शन
महिला शातिर वाट्सएप पर वीडियो कॉल करती है। खुद न्यूड हो जाती है और स्क्रीनशॉट रख लेती है। बाद में ब्लैकमेल करती है।
फेक प्रोफाइल
किसी भी व्यक्ति का फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बना उसके दोस्तों व रिश्तेदारों से ठगी की जाती है।
आधार नंबर के जरिए लोगों के खाते तक पहुंच रहे जालसाज
साइबर अपराधी आधार नंबर के जरिए भी लोगों के बैंक खातों तक पहुंच रहे हैं। हाल में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें लोगों के पास शातिरों का कॉल नहीं आया, लेकिन उनके खाते से निकासी हो गई। एक नए तरह का फ्रॉड भी सामने आया है। इसे ऑनलाइन मेट्रिमोनियल फ्रॉड कहा जा रहा है। बीते पांच सालों में ऑनलाइन मेट्रिमोनियल फ्रॉड में 48 गुनी बढ़ोतरी हुई है। इसके सबसे अधिक शिकार गया के लोग हुए हैं। साइबर अपराधी मेट्रिमोनियल साइट पर प्रोफाइल डालने वालों से संपर्क साधते हैं और शादी की बात कर कई जानकारी ले लेते हैं। इसके बाद खाते से निकासी कर लेते हैं। वहीं गया और समस्तीपुर के लोग सबसे अधिक आधार से फ्रॉड के शिकार हुए हैं।
विदेशों से आए नौकरी के ऑफर तो हो जाएं सचेत
कम्बोडिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से नौकरी का ऑफर है तो उसे परख लें। ऐसे नहीं की आप धोखाधड़ी के शिकार हो जाएं। फर्जी एजेंट इन दिनों सक्रिय हैं जो साइबर अपराध में भी शामिल हैं अपने भारतीय एजेंटों के साथ मिलकर लोगों को धोखा देने की फिराक में लगे हैं। इसको लेकर पटना स्थित विदेश मंत्रालय के प्रवासी संरक्षक कार्यालय ने इन क्षेत्रों में नौकरी की चाह रखनेवालों को सचेत किया है।
पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में नौकरी करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है
कंबोडिया समेत दक्षिण पूर्व के देशों में नौकरियों के लिए यात्रा करनेवालों को सलाह दी गई कि केवल भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से अधिकृत एजेंटों के माध्यम से ही संपर्क करें। ऐसा नहीं करने पर उनके साथ धोखा हो सकता हैं। क्योंकि विदेशों में नौकरी देने के नाम पर कई फर्जी एजेंट सक्रिय हो गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में नौकरी करने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
नौकरी दिलाने के नाम पर 2-5 लाख तक की वसूली की जाती है
लोगों दूसरे देशों में नौकरी करने जा रहे हैं। विदेश में नौकरी के लिए जानेवाले भारतीय की बढ़ती संख्या को देखते हुए अपंजीकृत और अवैध एजेंट इसका फायदा उठाने में लगे हैं। लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी के लिए तरह- तरह के लालच दिए जाते हैं। नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से 2-5 लाख रुपये तक की वसूली की जाती है।
विदेश मंत्रालय के अधिकृत एजेंट के जरिए ही जाएं
भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा अपने सभी पंजीकृत भर्ती एजेंटों को एक लाइसेंस नंबर जारी किया जाता है, जिसे उनके कार्यालय परिसर या सरकारी वेबसाइट www.emigrate.gov.in पर जाकर उनकी वास्तविकता की पहले जांच करें। भर्ती एजेंट द्वारा प्रवासी को प्रदान की गई सेवाओं के लिए प्रवासी से 30 हजार रुपये व जीएसटी लिया जाता है। इसके बाद उनको एक सेवा शुल्क की प्राप्ति रसीद दी जाती है। बता दें कि बिहार में पंजीकृत भर्ती एजेटों की संख्या 23 हैं।
कई एजेंट एजेंसियों को काफी कम विवरण देते हैं
प्रवासी संरक्षक कार्यालय के आधिकारिक सूत्रों के बताया कि कई ऐसे मामले जिसमें अवैध एजेंट फेसबुक, व्हाट्सएप, टेक्स्ट मैसेज और अन्य माध्यमों से भी फर्जी नौकरी का ऑफर देते हैं। वे अपनी एजेंसियां के ठिकानों और संपर्कों के बारे में बहुत कम या कोई विवरण नहीं देते हैं। ऐसे में नौकरी की पेशकश की वास्तविकता का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
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