आपकी जमीन कहीं न हो जाए दुसरे की | जल्दी पढें बिहार जमीन सर्वे का नया नियम
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आपकी जमीन कहीं न हो जाए दुसरे की | जल्दी पढें बिहार जमीन सर्वे का नया नियम

आपकी जमीन कहीं न हो जाए दुसरे की | जल्दी पढें बिहार जमीन सर्वे का नया नियम:-राजस्व एवं भूमि
सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि जो जिस जमीन पर रह रहे हैं, उस पर उनका कब्जा है और उसका ऑनलाइन रसीद कट रहा है, तो उनको किसी तरह के कागजात दिखाने की जरुरत नहीं है। उनकी जमीन का सीमांकन कर सर्वे के रिकॉर्ड में उनका नाम डाल दिया जाएगा।

मंत्री, मोतिहारी में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा- राजस्व विभाग के कर्मचारी और सर्वे अमीन को निर्देश दे दिया गया है कि वे ऐसे लोगों से कोई कागजात नहीं मांगें, जिनका जमीन पर कब्जा है और उसका ऑनलाइन रसीद कट रहा है।

मंत्री ने कहा कि सर्वे का मकसद किसी की जमीन छीनना नहीं है। इस बारे में बेवजह भ्रम सी स्थिति बनी हुई है। उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि वे अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर पूरी तरह निश्चिंत रहें। मंत्री के अनुसार 72% मामलों में कोई विवाद या समस्या नहीं है।

जिनकी पुश्तैनी जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है और वे आपसी सहमति से जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें भी बिल्कुल परेशानी नहीं होगी। ऐसे लोग सर्वे टीम को अपनी घरेलू सहमति से अपने परिवार की वंशावली बनाकर देंगे। उनका काम हो जाएगा। उनका नाम सर्वे में आ जाएगा। विवाद वाली जमीन को अलग कैटेगरी में रखा जा रहा है। इसका समाधान अलग से होगा। इसके लिए निर्देश दिए गए हैं।

राज्य में दाखिल खारिज और परिमार्जन का काम बेवजह लटकाने वाले अंचलाधिकारियों (सीओ) पर विभागीय कार्रवाई शुरू की जायेगी. बड़ी संख्या में दाखिल खारिज के मामले लंबित होने और परिमार्जन की गति बहुत धीमी होने पर चिंता जताते हुए मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी डीएम को अंचलवार इसकी नियमित मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया.

वे शुक्रवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा बैठक कर रहे थे. उन्होंने ऐसे मामलों के निष्पादन के लिए समय सीमा तय करने को कहा. साथ ही, उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर दोनों सेवाओं को आधार बनाकर अंचलवार रैंकिंग तैयार की जायेगी. लगातार खराब प्रदर्शन करने वाले अंचलाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. साथ ही, संबंधित भूमि सुधार उप समाहर्ता और अपर समाहर्ता को भी अंचल कार्यालयों की सभी सेवाओं की मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया गया|

अमृत लाल मीणा ने कहा कि दाखिल खारिज और परिमार्जन में प्रगति बेहतर रहने पर जमीन सर्वेक्षण में इससे बहुत मदद मिलेगी. जमीन सर्वेक्षण में गुणवता सुनिश्चित करें ताकि भूमि विवादों की संभावना को कम किया जा सके. अंचल, अनुमंडल और जिला स्तर पर सर्वेक्षण की नियमित मॉनीटरिंग हो. उन्होंने भूमि विवाद समाधान बैठक में थाना प्रभारी को निश्चित रूप से मौजूद रहने को कहा है. गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी विभाग के कार्यों में सुधार लाने का निर्देश दिया था.

मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने विभाग में महत्वपूर्ण रिक्तियों पर नियुक्ति के लिए आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया है. साथ ही निदेशक, भू-अभिलेख एवं सहायक निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप, 18 जिलों में भू-अर्जन पदाधिकारी सहित अनुमंडलों में स्वतंत्र चार्ज ऑफिसर नियुक्त करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को अनुरोध भेजने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाएं आम लोगों को प्रभावित करती हैं. इसलिए इसके त्वरित और स्वच्छ निष्पादन के लिए विभाग के सभी पदाधिकारी एक टीम भावना के साथ काम करें. उन्होंने कहा है कि आगामी एक वर्ष की निर्धारित दस प्राथमिकताओं को समय पर पूरा करें.

मुख्य सचिव ने एनएच और रेलवे की परियोजनाओं से संबंधित भू-अर्जन की कार्रवाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया. उन्होंने हर 15 दिन में एनएचएआइ और रेलवे के नोडल पदाधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक पटना में आयोजित करने के लिए कहा. साथ ही मासिक रैंकिंग को सभी जिलों को सूचित करने का निर्देश दिया. इसमें सबसे अच्छी रैंकिंग और सबसे खराब रैंकिंग वाले जिले, अनुमंडल और अंचल की सूचना को अखबारों के माध्यम से भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

सभी सर्वेक्षित व्यक्तियों को समयबद्ध तरीके से मार्च 2025 तक वासगीत भूमि उपलब्ध कराने का मुख्य सचिव ने निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सभी भूमिहीन व्यक्तियों को पोर्टल के माध्यम से ही पर्चा वितरण होगा. साथ ही सभी जिलाधिकारी अपने-अपने अंचलाधिकारियों की मासिक बैठक में अभियान बसेरा की प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा करेंगे.

  • भूमि सुधार उप समाहर्ता व अपर समाहर्ताओं की मासिक बैठक संयुक्त रूप से होगी.
  • डिजिटल हस्ताक्षर युक्त भू-अभिलेख और राजस्व नवशों की डोर स्टेप डिलिवरी का समय कम करें.
  • योजना मद में आय और व्यय की समीक्षा के दौरान व्यय में तेजी लाएं.
  • केंद्र प्रायोजित योजना में केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाली राशि को समय पर विमुक्त करें.
  • निबंधन और कृषि विभाग के साथ अंतर्विभागीय मुद्दों के लिए शीघ्र संयुक्त बैठक बुलाएं.
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