जीवन मे सफलता कदम चुमेगी - आज से ऐसे करें पढाई
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जीवन मे सफलता कदम चुमेगी – आज से ऐसे करें पढाई

जीवन मे सफलता कदम चुमेगी :-परीक्षाओं की तैयारी में समय का हिसाब कर लेना बहुत कारगर सिद्ध होता है। इसके सिरे पकड़ लिए, तो रिवीजन भी समय पर हो जाएगा और परीक्षा के समय तनाव बिलकुल नहीं होगा।

जनवरी आ गई। परीक्षा की आहटें सुनाई है देने लगी हैं। किसी के लिए दो महीने, तो किसी के लिए तीन महीने का समय है परीक्षाओं के शुरू होने में। कुछ की बोर्ड परीक्षा भी होगी। वैसे तो पूरे साल की पढ़ाई ही अहम होती है और समय प्रबंधन भी शुरू से ही करना चाहिए, लेकिन अगर नहीं किया हो, तो यह समय बेहद अहम हो जाता है। अब पढ़ाई और फिर रिवीजन के समय को ठीक अनुपात में बांटने की जरूरत है।

जी हां, परीक्षा के ऐन पहले तक केवल पढ़ते नहीं रहना है, रिवीजन के भी कम से कम दो दौर हो जाने चाहिए, तभी तो समझा और याद किया पक्का होगा। यह सब हासिल होगा समय प्रबंधन से।
अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई को लेकर सचेत होना होगा। मिलकर एक टीम की तरह काम करना होगा, तो पढ़ाई ढंग से होगी, समझ की नींव मजबूत होगी और नतीजे अच्छे मिलेंगे।

  • बच्चे के सारे विषयों की सूची बनाएं।
  • विषयवार अध्याय की सूची को इसमें जोड़ें।
  • बच्चे को कितना पढ़ाया गया है, उसने कितना पढ़ लिया है, इसको भी मिलकर नोट कर लें।
  • नया पढ़ने को कितना बाक़ी है, इसकी सूची अभी अलग से बना लें ताकि रिवीजन व अभ्यास की तैयारी की समझ बन सके।
  • इन तमाम सूचियों को बच्चे की पढ़ाई वाली मेज या स्थान के सामने दीवार पर लगाकर, तारीख़ लिख दें।
  • इन सूचियों को हर हफ़्ते अपडेट करते हुए तारीख़ डालते रहें।
  • कृपया ध्यान दें…इन सारी गतिविधियों को करते समय बच्चे को रोकें-टोकें या डांटें नहीं।
  • सुकून से यह हिसाब- किताव कर लें।
  • इससे बच्चे को भी अपनी स्थिति का अंदाजा हो जाएगा और बड़े भी उसकी तैयारी के लिए जरूरी समय को समझ लेंगे।
  • अगर ढाई महीना बाक़ी है, तो उसके हर हफ़्ते का कैलेंडर बना लें।
  • तारीख के सामने लकीरें खींचकर तीन भाग कर लें 1) विषय, 2) क्या पढ़ा, 3) क्या रिवाइज किया। इससे हर हफ़्ते तैयारी का पता चलता रहेगा।
  • जैसे-जैसे परीक्षा के दिन नजदीक आते जाएं, नया पढ़ने वाले भाग को छोटा होता जाना चाहिए और रिवीजन को बड़ा।
    परीक्षा का टाइम टेबल आते ही, सूची पेपर के हिसाब से सेट कर लें।
  • पुराने प्रश्नपत्र हल करने का भाग अब सूची में जोड़ दें। यहां प्राप्तांक भी लिखते जाएं ताकि
    परीक्षा पूर्व तक हुई प्रगति का पता चल सके।
  • अभिभावक स्वयं भी प्रश्नपत्र सेट करके दे सकते हैं।

स्कूल से लौटने के बाद बच्चे की जितनी भी गतिविधियां होती हैं, उनकी लिस्ट बना लें। कोचिंग, ट्यूशन, कोई क्लास, खेलकूद – इन सबके लिए जरूरी समय को लिख लें। अब देखें कि स्वाध्याय यानी बच्चा ख़ुद पढ़े, इसके लिए कितना समय चाहिए और कैसे निकाला जा सकता है। दिन के 1,440 मिनटों का यथासंभव इस्तेमाल करने का यही समय है। इसकी अहमियत आप भी समझें और बच्चे को भी समझाएं।

ध्यान दें कि बच्चे पर दबाव बनाने से उसे तनाव होगा और वो पढ़ नहीं पाएगा। उसके खेल के समय को कम न करना बेहतर होगा क्योंकि पढ़ाई से ब्रेक जरूरी है। समय कम कर सकती हैं ताकि वो थककर न आए। इस बात का उसे भी अहसास कराएं। सही समय पर खाने और सोने के नियमों का पालन करें। लेकिन नियमित पढ़ाई से गुरेज हरगिज न करने दें।

महज एक मिनट ! वक़्त का वह हिस्सा जिसका निवेश आप इस पन्ने को पढ़ने में कर रहे हैं। हो सकता है यह कोई बड़ा सौदा न लगे, परंतु मैं आपको बता दूं यह एक बहुत बड़ा सौदा है, क्योंकि एक मिनट ही आपके सपनों को साकार करने का शुरुआती बिंदु है। एक महान जीवन सिर्फ़ एक मिनट से शुरू होता है। इसीलिए हमें हर मिनट को सहेजना चाहिए और इसका प्रयोग समझदारी से करना चाहिए।
प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन में चौबीस घंटे दिए गए हैं और उसके खाते में 1,440 मिनट जमा किए गए हैं। जब ये मिनट खर्च हो जाते हैं, तो आप उस दिन में और मिनट नहीं जोड़ सकते। आप थोड़ा-सा भी अतिरिक्त समय नहीं ख़रीद सकते, चाहे आपके पास जितना ही पैसा हो या आप कितने ही शक्तिशाली हों।

समय किसी का इंतजार नहीं करता। यह चलता रहता है और लगातार आगे बढ़ता रहता है। यह किसी वस्तु या व्यक्ति के लिए नहीं रुकता। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप कितने धनी हैं या कितने शक्तिशाली हैं या कितने प्रतिष्ठित हैं- समय लगातार आगे बढ़ता रहता है।
हर मिनट क्रीमती है, क्योंकि इसके बदले में दूसरा मिनट नहीं मिलता। एक बार यह दिन गुजर जाए, तो हम इस बीते हुए समय को बदल नहीं सकते। हर दिन के समय की अपनी एक अलग इकाई होती है और इसे दोबारा नहीं जिया जा सकता। एक बार बीतने के बाद यह खत्म हो जाता है और चला जाता है, इसलिए हमें इसका उपयोग समझदारी से करना चाहिए। मेरे मित्र स्टीव हार्डीमैन ने मुझे एक अद्भुत नीतिसूत्र भेजा है, ‘आज मैं जो कर रहा हूं, वह महत्वपूर्ण है, क्योंकि मैं इसके बदले में अपने जीवन के एक दिन क्रीमत दे रहा हूं। मेरी उपलब्धि महत्वपूर्ण होनी चाहिए, क्योंकि क्रीमत बहुत ज्यादा है।’

हम सबके पास एक दिन में 24 घंटे होते हैं, न एक मिनट ज्यादा, न एक मिनट कम। सफलता की कुंजी यह है कि आप उन मिनटों का क्या कर रहे हैं, जो आपको दिए गए हैं। माइक मरडॉक कहते हैं कि हम सबके पास चौबीस मालवाहक ट्रक हैं, जो हमें हर दिन दिए जाते हैं। आप उन्हें धूल से भरते हैं या फिर हीरों से, यह आपके हाथों में है। बिल गेट्स के पास एक दिन में चौबीस घंटे होते हैं और खिड़कियां धोने वाले मेरे मित्र बॉबी के पास भी। उन दोनों के बीच अंतर यह है कि वे अपने दिए गए समय का अलग-अलग तरह से उपयोग करते हैं।

जब हम बात करते हैं, तो बॉबी हमेशा कहता है, ‘मैं यह करने जा रहा हूं, मैं वह करने जा रहा हूं, मैं अपने जीवन में इससे बड़ा काम करने जा रहा हूं।’ परंतु वह कभी नहीं करता। अगले दिन वह वहीं लौट आता है और सिक्कों के बदले में खिड़कियां धोता है, जबकि उसमें डॉलर कमाने की क्षमता है। वह अपने मिनटों को धूल से भरता है, जबकि वह उन्हें हीरों से भर सकता था। चाहे हम जीवन में कहीं भी हों, हमारे पास चुनने के लिए विकल्प होता है। अपने समय का उपयोग समझदारी से करें।

आपको अपनी जिंदगी बदलने में कितना समय लगता है? अधिकांश लोग समझते हैं कि इसमें लंबा समय लगता है, परंतु यह सोच सही नहीं है। वास्तव में इसमें सिर्फ एक मिनट लगता है। जिस मिनट आप सचमुच बदलने का फैसला करते हैं, और एक अलग दिशा में आगे बढ़ने की चुनौती स्वीकार करते हैं, उसी मिनट आप सचमुच अपनी जिंदगी बदल लेते हैं। लंबा समय तो निर्णय लेने में लगता है।

आप अनिश्चय की स्थिति में इधर से उधर भटकते हैं कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, आप परिवर्तन के मुद्दे पर कशमकश में होते हैं। कई लोग तो इस बारे में इतने लंबे समय तक सोचते हैं कि वे ‘विश्लेषण के लक्रवे’ से ग्रस्त हो जाते हैं। वे इतने लंबे समय तक वाद-विवाद करते हैं कि दरअसल कुछ भी नहीं हो पाता। परंतु जिस मिनट आप फ़ैसला करते हैं और कर्म में जुटते हैं, उसी मिनट आप सचमुच अपना जीवन बदलते हैं।

मेरे मित्र जिम और नाओमी रोड अक्सर अपना सेमिनार इस सवाल से शुरू करते हैं, ‘आप जीवन में महान लक्ष्य कैसे हासिल करते हैं’ और जब लोग सवाल पर चिंतन करते हैं, तो जिम और नाओमी इस सवाल का जवाब देते हैं। वे कहते हैं, ‘ऐसा करने का निर्णय लेकर।’
कुंजी यह है कि आप जहां भी हैं और जो भी हैं, अपने द्वारा चुने गए विकल्पों या न चुने गए विकल्पों के कारण हैं। जीवन को अपने हिसाब से ढालें, वरना जीवन आपको अपने हिसाब से ढाल लेगा। या तो आप फ़ैसला करें, वरना जीवन आपके लिए फ़ैसला कर देगा। हममें से कितने लोगों ने निर्णय न लेने का निर्णय लिया है, परंतु इसके बावजूद जीवन आगे बढ़ा है तथा इसने हमारे लिए कोई निर्णय ले लिया है।
जिस मिनट आप निर्णय लेते हैं, और उस निर्णय के हिसाब से काम करते हैं, उसी मिनट आप अपनी जिंदगी बदल लेते हैं।

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