13 वर्ष की उम्र में कैसे बने क्रिकेटर | जानिए कम उम्र में सफलता के राज
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13 वर्ष की उम्र में कैसे बने क्रिकेटर | जानिए कम उम्र में सफलता के राज

13 वर्ष की उम्र में कैसे बने क्रिकेटर | जानिए कम उम्र में सफलता के राज:-भारत के जेन-ज़ी सुपरस्टार… वैभव ने 14 की उम्र में IPL खेला, तिलक मेहता ने 13 में स्टार्टअप बनाया|

14 की उम्र में आप क्या कर रहे थे? इन दिनों सोशल मीडिया पर यही सवाल छाया हुआ है। वजह हैं 14 साल के वैभव सूर्यवंशी, जिन्होंने IPL में सिर्फ 35 गेंदों में शतक जड़ दिया। वैभव की कहानी सिर्फ एक वायरल क्रिकेट मोमेंट नहीं है, ये एक बड़े ट्रेंड की तरफ इशारा करती है।

वो है जेन-जी का दबदबा। चाहे स्टार्टअप्स हों, लिटरेचर हो, आर्ट हो या स्पोटर्स, ये नई पीढ़ी हर क्षेत्र में कम उम्र में कमाल कर रही है। सोच बदली है, अप्रोच बदला है। अब फोकस सिर्फ करियर पर नहीं, खुद की पहचान बनाने पर है। आज जानते हैं कि कैसे वैभव जैसे नाम अब विभिन्न क्षेत्रों में बन रहे हैं भारत की नई पहचान।

वैभव सूर्यवंशी जैसे नाम अब तेजी से क्रिकेट में आएंगे। इनकी सफलता के पीछे तीन कारण हैं|

40 साल पहले कोई प्लेयर हवा में शॉट मारता था तो कोच उसे डांटते थे। अब प्लेयर पहली गेंद से बाउंड्री की तलाश में रहते हैं। नए प्लेयर्स में यह माइंडसेट फोटो 2017 की शिफ्ट आया है।

धोनी ने क्रिकेट डेब्यू 23 साल में किया था। पर आज क्रिकेट खेलना है तो 6-7 की उम्र से तैयारी करना होता है। 10 साल की उम्र से शुरू करना अब लेट माना जाने लगा है।

अब प्लेयर्स को कम कम्र से सही गाइडेंस मिलती है। वैभव को ही देखें तो क्रिकेट दिग्गज राहुल द्रविड़ से मॅटरिंग मिली, जो बड़ी बात है। पहले ऐसा नहीं हो पाता था।

उडेमी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 62% जेन-जी अपनी कमाई बढ़ाने के लिए नई स्किल सीख रहे हैं, जो मिलेनियल्स और जेन एक्स से ज्यादा है। 98% युवा हर हफ्ते कम से कम एक घंटा नई स्किल्स सीखने में लगाते हैं।

मुंबई के तिलक मेहता ने 13 साल में ‘Papers N Parcels’ नामक लॉजिस्टिक स्टार्टअप शुरू किया था। यह एक ऐसा डिलीवरी मॉडल है जो मुंबई के डब्बावालों के नेटवर्क को टेक से जोड़ता है। इसका टर्नओवर 100 करोड़ रु. है।

अभिजिता गुप्ता को 7 साल की उम्र में ‘दुनिया की सबसे कम उम्र की लेखिका’ का खिताब मिला है। 2020 में उनकी पहली किताब ‘हैप्पीनेस ऑल अराउंड’ प्रकाशित हुई। किताब के लिए उन्हें 3 लाख रु. रॉयल्टी भी मिली थी।

चेन्नई के लिडियन नधास्वरम को ‘Little Mozart’ कहा जाता है। लिडियन ने अमेरिका के ‘The World’s Best’ में जीत हासिल की है। साथ ही उन्होंने एआर रहमान की एक म्यूजिकल फिल्म में संगीत भी दिया है।

ब्रिटिश बैंड कोल्डप्ले ने जनवरी में मुंबई और अहमदाबाद में कुल पांच शोज किए। अब EY-Parthenon और बुकमायशो लाइव की एक नई रिपोर्ट में इस कॉन्सर्ट का आकलन किया गया है। अहमदाबाद में हुए दो कॉन्सर्ट्स में 2.2 लाख लोग शामिल हुए और इससे कुल 641 करोड़ का आर्थिक लाभ हुआ। इसमें से 392 करोड़ की सीधी कमाई सिर्फ अहमदाबाद की लोकल इकोनॉमी में गई।

रोजगार के मामले में, कॉन्सर्ट ने अस्थायी तौर पर 15,000 नौकरियों का निर्माण किया। इसमें बुकमायशो लाइव की टीम, कोल्डप्ले का क्रू, सरकारी अधिकारी और वॉलंटियर्स शामिल थे। 15,000 में से 9,000 लोग अहमदाबाद से थे, यानी लोकल लेवल पर बड़ा फायदा हुआ

2025 में हम पहले से कहीं ज्यादा डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग असल में और भी ज्यादा अकेले होते जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर दिनभर रहना, मीम्स और प्लेलिस्ट शेयर करना ही आज की बातचीत का तरीका बन गया है।

बहुत से जेन-जी और मिलेनियल्स अब इसे ‘अकेलेपन की महामारी’ कह रहे हैं। लेकिन अब कुछ नई एप्स इस समस्या का हल ढूंढने में लगी हैं। इनका उद्देश्य स्क्रीन से हटाकर असल जिंदगी में लोगों से जुड़ने का मौका देना है। इन्हें कहा जा रहा है ‘ऑफलाइन सोशल नेटवर्किंग एप्स’। यह ट्रेंड मेट्रो सिटीज में तेजी से बढ़ रहा है।

ये एप्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तो करती हैं, पर सिर्फ लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए। ये कुछ प्रमुख एप्स हैं….

  • High Table:-
    • ये कॉफी या ब्रेकफास्ट पर नए लोगों से मिलाती है, जहां अनजान लोग एक जगह बैठकर बातें करते हैं।
  • Jamm:-
    • इसके जरिए 8 लोगों तक की ऑफलाइन मीटिंग्स होती हैं। जुड़ने के लिए वेरिफिकेशन होता है।
  • Six of Strangers:-
    • एक इंस्टाग्राम-आधारित कम्युनिटी है, जो गेम्स, कैफे मीटिंग्स या एक्टिविटी बेस्ड इवेंट्स आयोजित करती है। इनमें हिस्सा लेने के लिए पहले एक फॉर्म भरना होता है, और कभी-कभी पहेलियां या सवाल हल करने होते हैं।
  • यहां लोग अजनबियों से मिलने आते हैं। फोटोज लेने की अनुमति नहीं होती, ताकि निजता भी बनी रहे।
  • ग्रुप छोटा होता है (4 से 10 लोग), जिससे असली बातचीत हो सके।
  • इवेंट्स में हिस्सा लेने से पहले एक वेरिफिकेशन प्रोसेस है, जिससे एक सुरक्षित माहौल बन सके।
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