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जीवन में पाने चाहते हैं नाम पैसा शोहरत तो आज से ये नियम अपना ले

जीवन में पाने चाहते हैं नाम पैसा शोहरत तो आज से ये नियम अपना ले-

अकेले समय बिताना चाहिए। इस दौरान आप समझते हैं कि क्या आप स्वयं के साथ शांति में हैं, या आपके जीवन का अर्थ केवल दैनिक जीवन की सतही घटनाओं तक सीमित है। यदि आपका जीवन केवल बाहरी गतिविधियों पर टिका है, तो अकेले रहने का समय आपका स्वयं से साक्षात्कार कराएगा। यह आपको भीतर से मजबूत बनाएगा और बुद्धि और आंतरिक शक्ति को विकसित करने में सहायता करेगा।

हम सभी कुछ मूलभूत आवश्यकताओं और इच्छाओं के साथ जीवन की यात्रा शुरू करते हैं। एक सुखदायक घर, पर्याप्त भोजन, अर्थपूर्ण और अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी, आराम और आनंद। ये सभी जीवन में आवश्यक हैं। लेकिन प्राप्त करने से पहले देना आवश्यक है। जब हम खुले दिल से कुछ देते हैं, चाहे वह समय, प्रेम, सहायता या ज्ञान हो तो जीवन हमें बदले में उससे कहीं अधिक लौटाता है।

कृतज्ञता का भाव विकसित करें। यह समझें कि हर बार जब हम सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं तो हमें खुश होने का कारण मिलता है। हर बार जब हमारे बच्चे हमें देखकर मुस्कराते हैं, हमें खुश होने का अवसर मिलता है। हर बार जब हम सुबह उठकर गहरी सांस लेते हैं और टहलने जाते हैं, हमें खुशी महसूस होती है। यही सुखी जीवन का सार है। खुशी पर फोकस करने से ही जीवन में खुशी बढ़ती है।

क्षमा एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन का मूल है। माफ करना ही संबंधों की रक्षा करता है। यह उस व्यक्ति की भी रक्षा करता है जो क्षमा करता है। यह प्रेम देने का एक तरीका है। माफ करना यह कहने का एक तरीका है कि मैं तुम्हारी गलती को जाने देने वाला हूं, मैं कड़वाहट को नहीं अपनाऊंगा, और फिर भी तुमसे प्रेम करता रहूंगा। जब हम क्षमा करते हैं, तो हम दिव्यता की शांति प्राप्त करते हैं और ईश्वर के समान बन जाते हैं। ईश्वर के लिए कोई अपराध अक्षम्य नहीं होता; केवल मनुष्य ही ऐसा मानते हैं।

  • समय अनमोल है, लेकिन सत्य समय से कहीं अधिक मूल्यवान होता है।
  • किसी विषय से परिचित होने का सबसे अच्छा तरीका
    है उस पर लिखना।
  • यह जानना कि आप अज्ञानी हैं, ज्ञान की ओर एक बड़ा कदम उठाने जैसा है।
  • सफलता का रहस्य लक्ष्य के प्रति निरंतरता है।
  • कार्य हमेशा खुशी नहीं लाताः लेकिन बिना कार्य के कोई खुश नहीं हो सकता।
  • छोटी बातें छोटे दिमागों को ही प्रभावित करती हैं।
  • इस दुनिया में सबसे कठिन चीजों में से एक है यह स्वीकार करना कि आप गलत हैं।
  • अपने मन को महान विचारों से पोषित करें, क्योंकि आप कभी भी अपने विचारों से ऊपर नहीं उठ सकते। • हम सभी प्रेम के लिए जन्मे हैं। यह अस्तित्व का मूल सिद्धांत है और एकमात्र उद्देश्य भी।
  • इंतजार कर सकते हैं

यार काम तो हम भी कम नहीं करते। बॉस के दिए हुए सारे प्रोजेक्ट समय पर पूरे कर देते हैं। फिर भी हम 3 साल से एक ही जगह अटके हुए हैं और यह रिया हमेशा बाजी मार लेती है। 3 साल में उसे दो बार प्रमोशन मिल गया है। हमारा एक बार भी वेतन नहीं बढ़ा जबकि उसकी दो बार सैलरी बढ़ने के साथ पोस्ट भी बढ़ा दी गई।’ अन्वी ने अपनी ख़ास सहेली और कलीग जाह्नवी से अपने मन की पीड़ा बताई। जाह्नवी ने कहा, ‘यार तू समझती नहीं। रिया काम करने के साथ-साथ उसका बखान भी खूब कर लेती है। यही उसका प्लस पॉइंट है। जबकि तू चुपचाप काम करके निकल लेती है।’

जाह्नवी ने अन्वी से बिलकुल सही कहा था। प्रमोशन मेहनत, खुद की अच्छी ब्रांडिंग और रणनीति का संयोजन है। इसके लिए मानव स्वभाव का अध्ययन, थोड़ी व्यावहारिकता और मनोविज्ञान की जानकारी भी जरूरी है।

माना कि आप एक मेहनती कर्मचारी हैं और मन लगाकर काम करते हैं। आप अपने बॉस द्वारा दिए गए कामों और ज़िम्मेदारियों को बखूबी अंजाम देते हैं। मगर इन सबके साथ सबसे जरूरी यह है कि आप जो कर रहे हैं उसकी जानकारी आपके वरिष्ठ व प्रभावी जन को होनी चाहिए। हर रोज की ‘टू डू’ लिस्ट बनाकर टीम को मेल करें। शाम तक या तयशुदा समय में काम पूरा करके हर काम के आगे ‘सही’ का निशान लगाएं। यह सबकी निगाह में रहेगा।

पदोन्नति में मेहनत के साथ लाइमलाइट में बने रहने और खुद को विश्वसनीय साबित करने की कला भी जरूरी है। जो लोग लगातार अपने नियोक्ता या बॉस की नजर में बने रहते हैं, उनके द्वारा जताई गई किसी भी चिंता या कंपनी की किसी भी समस्या में खुद आगे बढ़कर ‘मैं हूं ना’ कहने का साहस रखते हैं, उनके प्रमोशन की संभावना बहुत ज्यादा होती है। आपको अपने मैनेजर, नियोक्ता या प्रभावशाली अधिकारी के साथ बराबर संपर्क में रहना चाहिए। उन्हें बताएं कि कैसे कंपनी से आप भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं और कंपनी की तरक्की आपकी भी जिम्मेदारी बनती है।

याद रखें, किसी भी कंपनी का मालिक या मैनेजर हमेशा अपनी कंपनी को आने वाले समय के रुझान, मांग और चुनौतियों के लिए तैयार व अपडेटेड रखना चाहता है। आपको यह भविष्य केंद्रित मानसिकता समझनी होगी।
अगर आप अपने टीम लीडर्स को यह जताने और बताने में कामयाब रहेंगे कि आप एक अपडेटेड कर्मी हैं, जिज्ञासु हैं और लगातार भविष्य के रुझान, तकनीक और मार्केटिंग स्ट्रेटजी सीखते, समझते रहते हैं तो आप उनकी पसंदीदा सूची में रहेंगे। इसके लिए आपको इन चीजों की जानकारी रखनी होगी और उनके साथ चर्चा और साझा करते रहना पड़ेगा। फ़ायदा यह होगा कि वे भले ही अच्छी तरह ना सुनें या ना समझें, लेकिन आपके प्रति उनके मन में भरोसा रहेगा और वह आपको पदोन्नति देते रहेंगे।

मानव मनोविज्ञान के स्पॉटलाइट प्रभाव को समझें। इसके तहत आपको न सिर्फ अपनी टीम बल्कि पूरे दफ्तर के सहयोगियों के बीच एक ऐसे व्यक्ति की छवि बनानी होगी जो बड़ा मिलनसार, विनम्र और मददगार स्वभाव का है। साथ ही आप एक स्मार्ट तकनीकी जानकार, मेहनती और दूरदर्शी व्यक्ति हैं। कुल मिलाकर आप एक समस्या हल करने वाले व्यक्ति हैं। इससे कोई आपका समर्थन करे या ना करे, लेकिन कोई विरोध नहीं करेगा। आप हमेशा लोगों की नजर और स्पॉटलाइट में रहेंगे। अपने संस्थान में नेटवर्किंग रिलेशनशिप आपके प्रमोशन में मददगार साबित होगी।

जब आप अंतर्मुखी होते हैं तो आपके प्रबंधक का अवचेतन मन आपको पदोन्नति देने से रोकता है। आप चाहे जितने मेहनती क्यों न हों, उनकी नज्जर और मन से आपका नाम हट जाता है। सुबह से शाम तक अपने ही केबिन में या अपनी कुर्सी पर ना बैठे रहें। ऑफिस में आपको सक्रिय रहना चाहिए और टीम व टीम मैनेजर से संवाद करते रहना चाहिए। आपका स्मार्ट होना और दिखना दोनों जरूरी है। अपने कौशल को अपडेट करने और सुधारने के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व और समग्र रूप को भी सुधारें।

देर से से सोने वालों के लिए ख़तरे के नए संकेत सामने आए हैं। नतीजे कहते हैं कि जो लोग रात एक बजे सोते हैं उनके मानसिक स्वास्थ्य को कई जोखिम हो सकते हैं। ऐसे लोगों में तनाव, अवसाद और बेचैनी का स्तर बहुत बढ़ा हुआ हो सकता है। क़रीब 75,000 लोगों पर किया शोध सायकायट्री रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधार्थियों ने अध्ययन के लिए चुने समूह के सोने के समय को समझा। इनमें देर से सोने वाले, जल्दी उठने वाले और सही समय पर सोकर पूरी नींद लेने वाले शामिल थे। सबके नींद के पैटर्न को जांचने के लिए उन्हें एक्सेलेरोमीटर नामक एक उपकरण पहनने को दिया गया।

शोध के तहत एक हफ्ते तक सभी के नींद के पैटर्न को दर्ज किया जाता रहा। इसके साथ ही उनकी सेहत से जुड़ी तमाम जांचों के नतीजे भी दर्ज किए गए। इन सबके मद्देनजर एक बजे सोने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य में अवसाद और बेचैनी के लक्षण दिखाई दिए और इनके बिगड़ने की आशंका भी। सुबह उगते सूर्य के साथ उठने वालों की मानसिक सेहत बहुत अच्छी पाई गई

शोधार्थियों ने इंगित किया कि देर से सोने वालों की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। रात
में जागने वाले अवसादग्रस्त हो सकते हैं और इसी के चलते नकारात्मक गतिविधियों की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। ‘माइंड आफ्टर मिडनाइट’ की अवधारणा कहती है कि आधी रात के बाद मन व शरीर में होने वाले परिवर्तन नकारात्मक मूड तथा ख़तरे उठाने की सोच को बल देते हैं।वहीं जो लोग समय पर सोकर प्रातः जल्दी उठते हैं, कहने की आवश्यकता नहीं कि उनकी निर्णय क्षमता देर से उठने वालों की तुलना में बेहतरीन पाई गई।

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