ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की पूरी प्रक्रिया समझे- अब सिर्फ फॉर्म भरने से बात नहीं बनेगी। बिहार में स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए आपको 69 सेकंड में बाइक और 4 मिनट में कार चलाकर दिखाना होगा। वो भी ऑटोमेटिक हाईटेक ट्रैक पर। इस समयावधि में यदि अभ्यर्थी ट्रैफिक नियमों के अनुसार सफलतापूर्वक वाहन नहीं चला पाता है, तो उसे फेल माना जाएगा। अगली बार फिर से स्लॉट बुक करना होगा। फिर से स्लॉट बुक करके टेस्ट प्रक्रिया में जाना पड़ेगा।
डीएल के लिए 69 सेकेंड में बाइक और 4 मिनट में कार टेस्ट पास करना होगा
परिवहन विभाग के अनुसार, पहले चरण में पटना, दरभंगा, भागलपुर, गया, छपरा और पूर्णिया में यह नई प्रक्रिया लागू की जा रही है। फिलहाल पटना और दरभंगा में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही अन्य जिलों में भी लागू कर दिया जाएगा। बिहार में अब स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया और ज्यादा तेज और पारदर्शी की जाएगी।
जानिए… वो सबकुछ जो आपके लिए जरूरी
- पहले रोज 200 स्लॉट ही उपलब्ध थे। जिसे बढ़ाकर 300 स्लॉट रोज किया गया है।
- महीन करीब 3 लाख 42 हजार लोगों को स्थाई डीएल मिल सकेगा।
- ऑटोमेटिक टेस्ट ट्रैक बनकर तैयार हैं। 10 जिलों में काम जारी है।
- मॉनिटरिंग सिस्टम से टेस्ट प्रक्रिया की निगरानी की जाएगी।
फेल होने पर फिर मौका
- यदि कोई अभ्यर्थी टू-व्हीलर /फोर-व्हीलर के टेस्ट में फेल हो जाता है, तो उसे एक सप्ताह बाद दोबारा टेस्ट देने का मौका मिलेगा।
- इस दौरान उसे फिर से स्लॉट बुक करना होगा और शुल्क भी देना होगा। एक वाहन में फेल होने पर 800 और दोनों में फेल होने पर 1150 शुल्क देना होगा।
ये भी जरूरी है..
- लर्निंग लाइसेंस बनवाने के 6 महीने के भीतर यदि स्थाई डीएल के लिए आवेदन नहीं किया गया तो लाइसेंस अवधि खत्म हो जाएगी।
- टू व्हीलर और फोर व्हीलर लर्निंग लाइसेंस के लिए 740 रु. शुल्क और स्थाई डीएल के लिए 2300 रु. शुल्क तय है।
- फिर से लर्निंग को रिन्यू करवाने के लिए 690 शुल्क देना होगा।
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए साबित करना होगा कि आप ‘ड्राइवर’ हैं
पारदर्शिता लाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर टेस्ट लिया जा रहा है। वही पास होंगे जिन्हे वाहन चलाना आता है। बाइक के लिए करीब 40-69 सेंकेड और फोर व्हीलर के लिए साढ़े तीन-चार मिनट का टेस्ट का समय रखा गया है।
11-12वीं के छात्रों को भी पढ़ाया जाएगा सड़क सुरक्षा का पाठ
राज्य में 11वीं और 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी अब सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसे सत्र 2026-2027 के सिलेबस में जोड़ दिया जाएगा। कोर्स की किताब में इसके लिए अलग से एक चैप्टर जुड़ेगा। यह चैप्टर आर्टस, साइंस और कॉमर्स तीनों संकायों के कोर्स में शामिल रहेगा। इस प्रस्ताव को राज्य कार्यपालक समिति द्वारा स्वीकृति दे दी गई है।
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की पूरी प्रक्रिया समझे
इसके साथ ही राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीआरटी) ने आवश्यक प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। दरअसल यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की समिति के निर्देश के आलोक में लिया गया है। आगामी शैक्षणिक सत्र से यह विषय पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा जिससे किशोर अवस्था में ही विद्यार्थियों को यातायात नियमों, सड़क सुरक्षा व्यवहार और नागरिक उत्तरदायित्वों की जानकारी मिल सके।
अभी कक्षा 3 से 10 तक कोर्स में शामिल
पाठ्यक्रम की सामग्री विद्यार्थियों की बौद्धिक और व्यावहारिक क्षमता के अनुरूप तैयार की जा रही है। गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 से लेकर 10वीं तक के बच्चों को पहले से ही इसकी शिक्षा दी जा रही है। यह चैप्टर इन कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल है। इसके जरिए विद्यार्थियों को बाइक चलाने के दौरान हेलमेट पहनने, ट्रैफिक संकेतों की पहचान, सड़क पार करने की सावधानी जैसे बिंदुओं की जानकारी दी जा रही है। अब सड़क सुरक्षा के चैप्टर को इंटरमीडिएट स्तर का बनाकर 11वीं और 12वीं के कोर्स में शामिल किया जाएगा।
व्यावहारिक जानकारी देना उद्देश्य, दीवार लेखन भी होंगे
परिवहन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्रा ऐसे आयुवर्ग में होते हैं जब वे वाहन चलाना शुरू करते हैं। ऐसे में उनके लिए सड़क पर सुरक्षित व्यवहार, यातायात नियमों का पालन और सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर गहराई से जानकारी जरूरी है। यह पहल केवल शिक्षण नहीं, बल्कि जीवन रक्षा की दिशा में उठाया गया कदम है।
स्कूली छात्र-छात्राओं को इसका पाठ पढ़ाए जाने के साथ-साथ सड़क सुरक्षा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पंचायत भवनों और सरकारी विद्यालयों की दीवारों पर वाल पेंटिंग भी कराई जा रही है। इन दीवारों पर बाइक चलाते समय हेलमेट पहनने, धीरे चलने, सड़क पार करते समय दोनों तरफ देखने जैसे व्यावहारिक और सरल संदेश रंगीन चित्रों के रूप में उकेरे जा रहे हैं। विभाग का मानना है कि यह तरीका खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लिए बेहद असरदार होगा।
इस पहल से इन बदलावों का लक्ष्य
बच्चे और युवा सबको सड़क सुरक्षा का ज्ञानबोध ग्रामीण इलाकों में भी जागरूकता की पहुंच बढ़ेगी इनके व्यवहार में आने से हादसों में कमी आएगी समाज में नागरिक जिम्मेदारी का भाव मजबूत होगा।
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