अपना पैसा यहाँ करें निवेश | मिलेगा करोड़ों का रिटर्न
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अपना पैसा यहाँ करें निवेश | मिलेगा करोड़ों का रिटर्न

अपना पैसा यहाँ करें निवेश- पैसे ऐसे बचाएं |
पीपीएफ सबसे सुरक्षित निवेश स्कीम में से है, अनुशासित बचत ऐसे करें…

पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित निवेश योजनाओं में से एक है। अगर आप रिटायरमेंट के लिए एक स्मार्ट फंड बनाना चाहते हैं तो यह स्कीम आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकती है। पीपीएफ में निवेश की 15+5+5 रणनीति से आप 25 साल में 80 लाख रुपए का फंड बना सकते हैं। इस रकम पर मिलने वाले ब्याज से हर माह 48,000 रुपए की पेंशन बना सकते हैं।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड केंद्र सरकार द्वारा समर्थित स्कीम है। इसमें 7.1% के गारंटीड व्याज के साथ निवेश पूरी तरह जोखिम फ्री है।

पीपीएफ का 15+5+5 फॉर्मूला एक तरह का निवेश प्लान है, जिसमें आप 25 साल तक अपने पैसे को बढ़ने देते हैं।

पीपीएफ स्कीम का मूल पीरियड 15 साल होता है। लेकिन 15 साल पूरे होने पर आपके पास दो विकल्प होते हैं। पहला आप अपना सारा पैसा निकाल लें या फिर 5-5 साल के दो एक्सटेंशन ले लें। आप इन 10 वर्षों में बिना निवेश किए भी अपना पैसा छोड़ सकते हैं। अगर निवेश जारी रखते हैं तो और बड़ी रकम बनेगी।

पहले 15 साल तक हर साल 1.5 लाख रुपए जमा करते हैं। इस तरह 15 साल में (15 x 1.5 लाख) 22.5 लाख निवेश करेंगे। 7.1% की व्याज दर के साथ 15 साल बाद फंड 40.68 लाख हो जाता है। इससे 18.18 लाख रुपए ब्याज से आता है।

  • अब अगर आप इसे निकालने की बजाय अगले 5 साल बिना नया निवेश किए छोड़ देते हैं, तो 20 साल पूरे होने पर 57.32 लाख का फंड बन जाएगा। व्याज से 16.64 लाख रुपए जुडेंगे।
  • 20 साल बाद फिर 5 साल का एक्सटेंशन लेते हैं तो 25 साल में 80.77 लाख का फंड बनेगा। 23.45 लाख व्याज से जुड़ते हैं।
  • अगर इन 10 वर्षों के एक्सटेंशन के दौरान हर साल 1.5 लाख का निवेश जारी रखते हैं तो 37.5 लाख के निवेश से 1.03 करोड़ बनेंगे। यानी ब्याज से 65.58 लाख की आय होगी।

25 साल पूरे होने पर आप अपने पीपीएफ खाते में 1.03 करोड़ रुपए के फंड को जारी रख सकते हैं। इस राशि पर आपको हर साल 7.1% का ब्याज मिलता रहेगा। हर साल 7.1% सालाना ब्याज पर लगभग 7.31 लाख रुपए बनेंगे। यानी हर महीने करीब 60,941 रुपए (7.31 लाख 12) मिलेंगे। खास बात यह है कि आपका मूल फंड 1.03 करोड़ जस का तस बना रहेगा। आपकी नियमित टैक्स फ्री आय शुरू हो जाएगी।

बीमा नियामक इरडा के नियम के मुताबिक अगर आपके पास दो या ज्यादा हेल्थ प्लान हैं और मेडिकल ट्रीटमेंट का बिल एक से पूरा नहीं हो पा रहा है तो अलग-अलग कंपनियों से क्लेम कर सकते हैं। ये उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास ग्रुप इंश्योरेंस के साथ ही पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस भी है।

  • आप हर साल 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं।
  • इस पर मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी की राशि भी टैक्स फ्री होती है। निवेश, ब्याज, और मैच्योरिटी तीनों पर टैक्स छूट।
  • पीपीएफ में 500 से शुरू कर सकते हैं। यह योजना सैलरीड पर्सन, गृहिणियों, छोटे बिजनेस वालों, हर किसी के लिए फिट है।
  • पीपीएफ में लॉक-इन पीरियड 15 साल का है। इससे पहले पूरा पैसा नहीं निकाल सकते। हालांकि, 7वें साल से निकासी कर सकते हैं। पर 50% से ज्यादा नहीं।
  • अगर 15 साल बाद खाते को जारी रखना चाहते हैं तो हर 5 साल में इसे एक्सटेंड करना होगा। आप इसे बिना निवेश या नए निवेश के साथ बढ़ा सकते हैं।
  • हर साल 1.5 लाख से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते। इससे ज्यादा करते हैं, तो उस पर ब्याज व टैक्स छूट नहीं मिलेगी।

भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष और देश के बढ़ते डिफेंस एक्सपोर्ट को देखते हुए रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों की ग्रोथ तेज हो रही है। पिछले तीन महीनों में निफ्टी इंडिया डिफेंस टोटल रिटर्न इंडेक्स में 27.4% की वृद्धि हुई है। ये निफ्टी 50 से बेहतर प्रदर्शन है, जिसमें 8.2% की वृद्धि हुई है। लेकिन अगर आप इस समय डिफेंस फंड में निवेश करने पर विचार कर रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

डिफेंस फंडएनएवी 6 माह1 साल
एबीएसएल10.98%27.95%9.80%
मोतीलाल10.05%28.58%0.52%
ग्रो एफओएफ 11.35 11.35%27.85%13.51%
एचडीएफसी22.87% 11.13% 15.96%

हाई वैल्युएशन को देखते हुए, उच्च जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशक ही निवेश करें। इन फंडों में निवेश इक्विटी पोर्टफोलियो के 5% तक सीमित रखें, लक्ष्य 10 वर्ष होना चाहिए। एसआईपी से निवेश करना ज्यादा बेहतर है। कंपनी कम, वैल्युएशन ज्यादा डिफेंस सेक्टर की लिस्टेड कंपनियां काफी कम है। निफ्टी डिफेंस इंडेक्स का वैल्युएशन निफ्टी 50 से दो-तीन गुना ज्यादा है। निफ्टी 50 का मौजूदा पी/ई रेश्यो 22 है, जबकि निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स 52 पर है।

बीमा नियामक इरडा के नियम के मुताबिक अगर आपके पास दो या ज्यादा हेल्थ प्लान हैं और मेडिकल ट्रीटमेंट का बिल एक से पूरा नहीं हो पा रहा है तो अलग-अलग कंपनियों से क्लेम कर सकते हैं। ये उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास ग्रुप इंश्योरेंस के साथ ही पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस भी है।

  1. ज्यादा कवर वाली पॉलिसी का 1 कैशलेस या रीइम्बर्समेंट क्लेम करें।
  2. बीमा कंपनी से मंजूर होने के बाद क्लेम और सेटलमेंट सर्टिफिकेट लें।
  3. जरूरी दस्तावेज और सेटलमेंट सर्टिफिकेट के साथ बची हुई रकम का क्लेम दूसरी हेल्थ कंपनी से करें।
  4. दूसरी बीमा कंपनी जांच और छानबीन करेगी और अगर सभी जानकारी सही पाई जाती है, तो आपका क्लेम मंजूर करेगी। (स्त्रोत- एसबीआई जनरल इंश्योरेंस)
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